
रांची। झारखंड में आज बुलाए गए बंद का राज्य भर में व्यापक असर देखने को मिला। राजधानी रांची समेत कई जिलों में आदिवासी संगठनों के आह्वान पर लोग सड़कों पर उतर आए। उन्होंने हाथों में सरना झंडा, बैनर और पोस्टर लेकर शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन किया। बंद के दौरान कई जगहों पर बाजार, स्कूल-कॉलेज और सरकारी कार्यालयों पर असर पड़ा, वहीं सड़कों पर यातायात भी प्रभावित रहा।
आदिवासी संगठनों ने यह बंद विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक मांगों को लेकर बुलाया है। उनका कहना है कि सरकार उनके धार्मिक अधिकारों और परंपराओं की अनदेखी कर रही है। विशेष रूप से सरना धर्म को संविधान में मान्यता देने की मांग को लेकर आदिवासी समुदाय एकजुट होकर सामने आया है।
बंद के दौरान प्रदर्शनकारी पारंपरिक वेशभूषा में ढोल-नगाड़ों के साथ नारे लगाते हुए आगे बढ़ते नजर आए। कई जगहों पर रैलियां निकाली गईं और प्रशासन को ज्ञापन सौंपे गए। हालांकि, प्रशासन की ओर से कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए थे, जिससे किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की खबर नहीं है।
रांची, खूंटी, सिमडेगा, चाईबासा, लोहरदगा, गुमला और दुमका जैसे आदिवासी बहुल जिलों में बंद का विशेष प्रभाव देखने को मिला। सड़कों पर ऑटो, बस और टैक्सी जैसी सार्वजनिक परिवहन सेवाएं सीमित रही, जिससे आम लोगों को आवाजाही में परेशानी हुई।
बंद के दौरान कई संगठनों ने एक स्वर में कहा कि जब तक उनकी मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार नहीं करती, तब तक उनका संघर्ष जारी रहेगा। यह बंद आदिवासी समुदाय की एकजुटता और उनकी सांस्कृतिक पहचान के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बन गया है।