
भारत पर दोहरी मार: अमेरिका ने 25% टैरिफ लगाया, ट्रंप प्रशासन ने 6 भारतीय कंपनियों पर ईरान डील को लेकर बैन ठोका
अमेरिका और भारत के व्यापारिक रिश्तों में तनाव एक बार फिर बढ़ गया है। एक ओर जहां अमेरिका ने भारत से आयात होने वाले कई उत्पादों पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, वहीं दूसरी ओर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन ने ईरान के साथ पेट्रोलियम लेन-देन को लेकर 6 भारतीय कंपनियों पर बड़ा प्रतिबंध भी लगा दिया है। यह फैसला वैश्विक राजनीति, व्यापार और कूटनीति के लिहाज से भारत के लिए झटके जैसा माना जा रहा है।
1. अमेरिका की तरफ से 25% टैरिफ का ऐलान
अमेरिका ने हाल ही में कई देशों से आयात होने वाले स्टील, एल्यूमिनियम, और अन्य उद्योगिक उत्पादों पर भारी शुल्क लगाने की घोषणा की है। भारत भी इस फैसले की जद में आ गया है। इससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। इसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था और अमेरिका में भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धा पर पड़ेगा।
2. ट्रंप प्रशासन की दूसरी बड़ी कार्रवाई: 6 भारतीय कंपनियों पर बैन
ईरान के साथ पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद-फरोख्त को लेकर अमेरिका लंबे समय से कड़ा रुख अपनाए हुए है। इसी क्रम में ट्रंप प्रशासन ने भारत की छह कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है। अमेरिका का आरोप है कि ये कंपनियां ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का उल्लंघन कर रही थीं। इन कंपनियों पर अमेरिका में व्यापार करने, अमेरिकी तकनीक का उपयोग करने और अमेरिकी वित्तीय प्रणाली का लाभ लेने पर रोक लगा दी गई है।
3. ईरान से तेल खरीद की मजबूरी या रणनीति?
भारत, अपनी ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए ईरान जैसे देशों से किफायती दरों पर तेल खरीदता रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के दबाव के बावजूद भारत को अपने राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए कदम उठाने होते हैं। हालांकि यह भी सच है कि भारत धीरे-धीरे ईरान से तेल आयात कम करता जा रहा है, लेकिन कुछ कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई दिखाती है कि अमेरिका की नजरें अब भी सतर्क हैं।
4. भारत सरकार की प्रतिक्रिया का इंतजार
इस पूरे घटनाक्रम पर भारत सरकार की आधिकारिक प्रतिक्रिया अब तक नहीं आई है, लेकिन कूटनीतिक सूत्रों का कहना है कि सरकार मामले को गंभीरता से ले रही है और जल्द ही अमेरिका से बातचीत के जरिए हल निकालने की कोशिश करेगी।
5. व्यापारिक समुदाय में चिंता
भारतीय व्यापारिक समुदाय में इस कार्रवाई को लेकर चिंता बढ़ गई है। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इससे भारत-अमेरिका व्यापार पर नकारात्मक असर पड़ेगा। यदि अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ्स में राहत नहीं दी जाती, तो भारत को अपने उत्पादों के लिए नए बाजार खोजने की रणनीति बनानी पड़ेगी।
6. क्या ये ट्रंप की चुनावी रणनीति है?
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि ट्रंप प्रशासन का यह कदम कहीं न कहीं घरेलू चुनावी समीकरणों से जुड़ा हो सकता है। ट्रंप का ‘अमेरिका फर्स्ट’ एजेंडा पहले भी वैश्विक व्यापार पर असर डाल चुका है। भारत जैसे विकासशील देश जो अमेरिकी टेक्नोलॉजी और व्यापार का अहम हिस्सा हैं, उनके खिलाफ ऐसे कदम चिंता पैदा करते हैं।
विशेषज्ञों की राय:
डॉ. अजय शर्मा (अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार)
“अमेरिका की यह कार्रवाई उसके व्यापक वैश्विक एजेंडे का हिस्सा है। भारत को समझदारी से संतुलन बनाना होगा। एक तरफ ईरान से सस्ता तेल है, दूसरी ओर अमेरिका के साथ रणनीतिक साझेदारी।”
नीतू वर्मा (ट्रेड एनालिस्ट)
“25% टैरिफ से भारत के SME सेक्टर को भारी नुकसान हो सकता है। सरकार को अमेरिका से बातचीत कर राहत दिलाने की कोशिश करनी चाहिए।”
अमेरिका और भारत के रिश्तों में यह एक संवेदनशील मोड़ है। ऐसे वक्त में जब दुनिया भर में आर्थिक अनिश्चितता है, भारत को अपनी विदेश नीति में संतुलन साधते हुए अपने व्यापारिक हितों की रक्षा करनी होगी। ट्रंप प्रशासन के इस फैसले से यह साफ है कि वैश्विक मंच पर अमेरिका की नीति पहले से अधिक आक्रामक होती जा रही है।