
एमपी में नशे का नेटवर्क गहराया: लड़कियां बन रही हैं नशे की सप्लायर
मध्य प्रदेश में नशे का व्यापार अब संगठित अपराध का रूप ले चुका है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि इस नेटवर्क में अब लड़कियों को भी ड्रग्स की डिलीवरी के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भास्कर की इन्वेस्टिगेशन टीम ने एमपी के अलग-अलग जिलों से नशे की तस्करी से जुड़े अहम सबूत जुटाए हैं, जिनमें वीडियो फुटेज भी शामिल हैं। इन वीडियो में यह देखा जा सकता है कि कैसे खुलेआम सड़कों और ठेलों पर नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं।
लड़कियों से कराई जा रही नशे की सप्लाई
भास्कर की जांच में यह बात सामने आई है कि ड्रग्स और नशीले पदार्थों की सप्लाई में लड़कियों का उपयोग किया जा रहा है। कारण स्पष्ट है – महिलाएं और लड़कियां आमतौर पर पुलिस की जांच से बच निकलती हैं, जिससे तस्करी का यह तरीका अधिक “सुरक्षित” माना जाता है।
ठेलों पर बिक रहा नशा
एमपी के कई छोटे-बड़े कस्बों में ठेलों और दुकानों की आड़ में खुलेआम नशीले पदार्थ बेचे जा रहे हैं। रिपोर्टर ने पांच अलग-अलग जगहों से खुद जाकर ड्रग्स खरीदे और इन सबूतों को स्थानीय पुलिस को सौंपा।
यूपी सीमा के पुलिसकर्मी भी संदेह के घेरे में
सबसे गंभीर बात यह सामने आई है कि उत्तर प्रदेश से सटे जिलों की पुलिस पर तस्करी को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं। कुछ मामलों में यह भी संदेह जताया जा रहा है कि पुलिस के कुछ अधिकारी इस काले कारोबार में संलिप्त हो सकते हैं।
भास्कर के कैमरे में कैद हुए 10 ड्रग डीलर के चेहरे
भास्कर की टीम ने कैमरे के ज़रिए 10 से अधिक ऐसे चेहरों को रिकॉर्ड किया है जो इस नेटवर्क से सीधे जुड़े हुए हैं। इनमें कुछ नाबालिग भी शामिल हैं, जो “कोरियर बॉय” या “सप्लाई एजेंट” की भूमिका में दिखे।
स्कूल-कॉलेज के पास भी बिक्री
नशे का सामान स्कूलों और कॉलेजों के आसपास भी खुलेआम बेचा जा रहा है। युवाओं को निशाना बनाकर यह नेटवर्क तेजी से फैल रहा है।
तस्करी का तरीका
ड्रग्स को छोटे पैकेट में बांधकर पेन, चॉकलेट या बिस्किट पैकेट में छिपाकर सप्लाई की जा रही है।
महिला सप्लायर्स को “स्टूडेंट” या “हाउस वाइफ” के रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
व्हाट्सएप और टेलीग्राम जैसे प्लेटफॉर्म से ऑर्डर लिए जाते हैं।
स्थानीय पुलिस की भूमिका पर सवाल
हालांकि पुलिस का दावा है कि वह कार्रवाई कर रही है, लेकिन भास्कर द्वारा सौंपे गए प्रमाणों के बावजूद कार्रवाई की गति धीमी रही है। कुछ जगहों पर तो सबूत मिलने के बावजूद कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई।
जनता में आक्रोश, प्रशासन पर दबाव
स्थानीय लोग इस स्थिति से बेहद परेशान हैं। अभिभावकों का कहना है कि उनके बच्चे नशे की गिरफ़्त में जा रहे हैं और सरकार मूकदर्शक बनी हुई है। अब प्रशासन पर इस मामले में सख्त कार्रवाई का दबाव बढ़ता जा रहा है।
एक्सपर्ट की राय
मनोचिकित्सकों और समाजशास्त्रियों का मानना है कि यदि समय रहते इस नेटवर्क को नहीं तोड़ा गया तो आने वाले समय में एमपी देश के सबसे बड़े नशा केंद्रों में शामिल हो सकता है।
मध्य प्रदेश में नशे का जाल तेजी से फैल रहा है। सबसे गंभीर चिंता की बात यह है कि इसमें युवतियों और लड़कियों को भी जबरन या लालच देकर शामिल किया जा रहा है। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस नेटवर्क पर कड़ा प्रहार करे और दोषियों को सख्त सजा दिलाए।