बिहार:मोकामा विधानसभा क्षेत्र में हुए चर्चित दुलारचंद यादव हत्याकांड में अब एक नया मोड़ सामने आया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद पुलिस जांच की दिशा बदल सकती है। रिपोर्ट में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि दुलारचंद यादव की मौत गोली लगने से नहीं, बल्कि तेज धारदार हथियार से हुए गहरे घावों और सिर में लगी चोट के कारण हुई थी। इस मामले में जहां एक ओर परिजन लगातार पूर्व विधायक अनंत सिंह पर हत्या करवाने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं पुलिस अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर नए सिरे से जांच की तैयारी में जुट गई है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से उजागर हुआ सच
मोकामा थाना क्षेत्र में हुई इस हत्या के बाद शव को पुलिस ने पोस्टमार्टम के लिए भेजा था। तीन डॉक्टरों की टीम ने रिपोर्ट तैयार की, जिसमें बताया गया कि
“दुलारचंद यादव के शरीर पर कई गंभीर चोटों के निशान पाए गए हैं, लेकिन गोली लगने के कोई साक्ष्य नहीं मिले।”
रिपोर्ट में कहा गया है कि सिर और गर्दन पर लगे गहरे घाव मौत का प्रमुख कारण बने। इससे यह साफ होता है कि हत्या बेहद नृशंस तरीके से की गई थी।
हत्या के बाद इलाके में फैला तनाव
घटना के बाद से ही पूरे मोकामा क्षेत्र में तनाव का माहौल बना हुआ है। ग्रामीणों ने हत्या के विरोध में सड़क जाम कर पुलिस प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की थी। भीड़ ने आरोप लगाया कि अगर समय रहते पुलिस सुरक्षा दी होती, तो इस घटना को रोका जा सकता था।
मृतक दुलारचंद यादव के पोते रविरंजन यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा—
“मेरे दादा की हत्या अनंत सिंह के इशारे पर हुई है। अब मुझे भी अपनी जान का खतरा है।”
रविरंजन ने राज्य सरकार से सीबीआई जांच की मांग की है ताकि असली दोषियों को सजा मिल सके।
पुलिस की जांच नई दिशा में
पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मोकामा पुलिस ने कहा है कि अब केस को नए एंगल से जांचा जाएगा।
पुलिस सूत्रों के अनुसार,
“मामले में कई संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है और घटनास्थल से कुछ ठोस सबूत मिले हैं जो हत्या के पैटर्न को समझने में मदद करेंगे।”
एसएसपी पटना ने भी बताया कि तकनीकी साक्ष्य (CCTV फुटेज, मोबाइल लोकेशन आदि) के आधार पर अपराधियों की पहचान की जा रही है।
राजनीतिक रंग भी गहराया
दुलारचंद यादव की हत्या अब राजनीतिक विवाद का रूप ले चुकी है। विपक्षी दलों ने इस घटना को लेकर सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल खड़े किए हैं।
आरजेडी नेता ने कहा—
“अगर किसी आम आदमी की जान इतनी आसानी से ली जा सकती है, तो जनता खुद को कैसे सुरक्षित महसूस करेगी?”
वहीं जेडीयू और एनडीए नेताओं का कहना है कि कानून व्यवस्था पूरी तरह मजबूत है और अपराधियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव के लोगों ने बताया कि दुलारचंद यादव सामाजिक रूप से सक्रिय व्यक्ति थे और कई वर्षों से पंचायत स्तर पर लोगों की समस्याएं उठाते रहे हैं। हाल के दिनों में कुछ स्थानीय विवाद भी सामने आए थे।
एक ग्रामीण ने कहा—
“दुलारचंद जी हमेशा लोगों की मदद करते थे। उनका किसी से झगड़ा होना हैरान करने वाला है।”
स्थानीय लोगों की मांग है कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार कर सख्त सजा दी जाए ताकि इलाके में शांति लौट सके।
परिवार का दर्द और न्याय की पुकार
मृतक के परिजनों का कहना है कि पुलिस ने शुरुआती जांच में कई अहम पहलुओं को नजरअंदाज किया। उनका आरोप है कि अगर समय पर एफआईआर में नामजद आरोपियों को पकड़ा गया होता, तो हत्या की साजिश का पर्दाफाश जल्दी हो सकता था।
रविरंजन यादव ने कहा—
“हम किसी कीमत पर हार नहीं मानेंगे। हमारे दादा के लिए न्याय जरूर मिलेगा।”
सीएम तक पहुंचा मामला
यह मामला अब राज्य सरकार के संज्ञान में भी आ चुका है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने डीजीपी से रिपोर्ट तलब की है। वहीं पटना पुलिस ने एक स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) गठित की है जो पूरे मामले की तफ्तीश करेगी।राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इस केस को लेकर लगातार चर्चा हो रही है। माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस केस में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं।
दुलारचंद यादव की हत्या केवल एक आपराधिक मामला नहीं, बल्कि बिहार की कानून व्यवस्था और राजनीति दोनों के लिए एक कसौटी बन चुकी है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने अब इस केस को एक नई दिशा दे दी है — जहां गोली नहीं, बल्कि धारदार हथियार से की गई हत्या ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
अब देखना यह है कि SIT की जांच में आगे क्या निकलता है और क्या वाकई न्याय मिल पाता है या यह केस भी बाकी मामलों की तरह सिर्फ सुर्खियों में सिमट कर रह जाएगा।
