
भारत में दशहरा का पर्व हर साल बड़ी धूमधाम और उत्साह के साथ मनाया जाता है। जगह-जगह पंडाल सजाए जाते हैं, रावण दहन की परंपरा निभाई जाती है और लोग परिवार व दोस्तों के साथ मेले का आनंद उठाते हैं। लेकिन इस बार दशहरा का रंग बारिश ने फीका कर दिया। कई राज्यों में लगातार हो रही भारी बारिश की वजह से लोगों को घर से बाहर निकलने में दिक्कत हुई और पंडालों तक पहुंचने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी कम हो गई।
बारिश ने उत्सव की रौनक की फीकी
दशहरा का पर्व बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है, लेकिन मौसम की मार ने इस बार लोगों को घर में ही पूजा-पाठ और जश्न मनाने पर मजबूर कर दिया। जहां एक ओर बच्चे आतिशबाजी और झूले का आनंद लेने से वंचित रहे, वहीं दूसरी ओर रावण दहन देखने के लिए तैयार किए गए मैदानों में भी भीड़ कम दिखाई दी।
दिल्ली, बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश समेत कई राज्यों में दशहरा के दिन झमाझम बारिश ने लोगों के उत्साह पर पानी फेर दिया। जिन मैदानों में हजारों की भीड़ उमड़ने की संभावना थी, वहां लोग गिने-चुने ही पहुंचे।
आयोजकों को हुआ नुकसान
दशहरा मेले और पंडाल सजाने वाले आयोजकों के लिए यह बारिश घाटे का सौदा साबित हुई। सजावट पर लाखों रुपये खर्च किए गए थे, लेकिन बारिश ने न केवल सजावट को नुकसान पहुंचाया बल्कि आने वाले लोगों की संख्या भी आधी कर दी। कई जगहों पर तो तैयार रावण के पुतले भीग गए और उन्हें जलाने में कठिनाई हुई।
आयोजकों का कहना है कि इस बार बारिश की वजह से दशहरा का रंग फीका पड़ गया। पंडालों में बैठे कलाकारों के नाटक और रामलीला देखने के लिए भी दर्शक कम पहुंचे।
घरों में मनाया गया दशहरा
बारिश ने भले ही मैदानों और पंडालों में दशहरा की रौनक को फीका किया हो, लेकिन घरों में इसका उत्साह कायम रहा। लोगों ने अपने-अपने घरों में राम की पूजा की, मिठाई बांटी और परिवार के साथ मिलकर विजयादशमी का पर्व मनाया।
बच्चों ने घर में ही आतिशबाजी की और महिलाएं एक-दूसरे को विजया दशमी की शुभकामनाएं देती नजर आईं। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने घर से ही अपने दशहरा उत्सव की तस्वीरें और वीडियो साझा किए।
मौसम विभाग की चेतावनी बनी वजह
मौसम विभाग ने पहले ही दशहरा के दिन बारिश की चेतावनी जारी की थी। कई राज्यों में भारी बारिश और आंधी-तूफान की भविष्यवाणी की गई थी। नतीजतन, लोग पहले से ही घर पर रहकर पर्व मनाने की योजना बनाने लगे थे।
विशेषज्ञों का कहना है कि मानसून की वापसी में हो रही देरी के कारण अक्टूबर के महीने में भी बारिश हो रही है। यही वजह रही कि दशहरा जैसे बड़े पर्व पर भी लोगों को घर में रहकर पूजा करनी पड़ी।
सांस्कृतिक महत्व पर असर
दशहरा का पर्व न केवल धार्मिक बल्कि सांस्कृतिक महत्व भी रखता है। इस दिन जगह-जगह रामलीला का मंचन होता है और रावण दहन के जरिए यह संदेश दिया जाता है कि बुराई कितनी भी बड़ी क्यों न हो, अंत में अच्छाई की जीत होती है।
लेकिन इस बार बारिश के कारण लोगों ने मैदान में जाकर इस अनोखी परंपरा को देखने से परहेज किया। कई जगहों पर तो आयोजन स्थगित कर दिए गए और कुछ जगहों पर पुतले जलाने का समय भी बदलना पड़ा।
लोगों की प्रतिक्रिया
लोगों का कहना है कि दशहरा का असली मजा पंडाल और मैदानों में जाकर ही आता है, लेकिन मजबूरी में घर पर रहना पड़ा। हालांकि उन्होंने इसे निराशा नहीं बनने दिया और परिवार के साथ मिलकर इसे खास बनाने की कोशिश की।
कई लोगों ने ऑनलाइन पूजा देखी और टीवी पर प्रसारित होने वाली रामलीला का आनंद लिया।
बारिश ने इस बार दशहरा उत्सव की चमक को भले ही कम कर दिया हो, लेकिन लोगों की आस्था और उमंग पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। घरों में मनाए गए इस पर्व ने यह साबित कर दिया कि दशहरा सिर्फ रावण दहन या मेलों तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अच्छाई की जीत का प्रतीक है जिसे कहीं भी और किसी भी रूप में मनाया जा सकता है।