
दशहरा, जिसे विजय दशमी के नाम से भी जाना जाता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक पर्व है। इस दिन देशभर में रावण के पुतले जलाए जाते हैं। रावण दहन केवल परंपरा नहीं है बल्कि यह एक गहरी सीख भी देता है कि जीवन से सभी बुराइयों को दूर करके अच्छाई को अपनाना चाहिए। धार्मिक दृष्टि से यह पर्व महत्वपूर्ण है, वहीं मानसिक और सामाजिक दृष्टि से भी यह दिन हमें बहुत कुछ सिखाता है।
जैसे रामायण में रावण के दस सिर अलग-अलग बुराइयों का प्रतीक थे, वैसे ही हमारे मन और दिमाग में भी कई नकारात्मक भावनाएं छिपी रहती हैं। ये भावनाएं धीरे-धीरे हमारी सोच, व्यवहार और मानसिक स्वास्थ्य को कमजोर कर देती हैं। यदि हम दशहरे के दिन इन “मानसिक रावणों” का दहन करें तो जीवन को अधिक सकारात्मक और संतुलित बनाया जा सकता है।
दिमाग के 10 रावण और उनका प्रभाव
1. क्रोध (Anger) – जरूरत से ज्यादा गुस्सा करना मानसिक शांति को खत्म कर देता है और रिश्तों में दूरी ला सकता है।
2. मोह (Attachment) – हर चीज से अति मोह रखने से निर्णय लेने की क्षमता प्रभावित होती है और जीवन में असंतुलन आता है।
3. काम (Lust) – कामना और इच्छाओं का अतिरेक मनुष्य को सही रास्ते से भटका सकता है।
4. लोभ (Greed) – धन, पद और सुख-सुविधाओं का लालच कभी संतुष्टि नहीं होने देता और तनाव को बढ़ाता है।
5. ईर्ष्या (Jealousy) – दूसरों की सफलता देखकर जलन महसूस करना आत्मविश्वास को कमजोर करता है।
6. अत्यधिक इच्छा (Over Desire) – जरूरत से ज्यादा इच्छाएं पूरी न होने पर निराशा और तनाव को जन्म देती हैं।
7. तनाव (Stress) – लगातार चिंता और दबाव में रहना मानसिक बीमारियों का कारण बन सकता है।
8. अहंकार (Ego) – अहंकार व्यक्ति को अकेला कर देता है और रिश्तों को बिगाड़ सकता है।
9. भय (Fear) – डर इंसान को अपनी क्षमता का पूरा इस्तेमाल करने से रोकता है।
10. निराशा (Depression/Negativity) – उम्मीद खो देना जीवन को अंधकारमय बना देता है और मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालता है।
क्यों जरूरी है इन मानसिक रावणों का दहन?
अगर हम दशहरे जैसे पर्व पर इन दस मानसिक दुर्गुणों को पहचानकर उन्हें खत्म करने का संकल्प लें, तो यह न केवल हमारे जीवन को सरल और खुशहाल बनाएगा बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी मजबूत करेगा। यह दिन हमें याद दिलाता है कि सच्चा विजय केवल दूसरों पर नहीं बल्कि स्वयं के नकारात्मक विचारों और बुरी आदतों पर जीत हासिल करना है।
दशहरा 2025 का पर्व केवल रावण दहन का त्योहार नहीं है बल्कि यह अपने मन के भीतर छिपी बुराइयों को खत्म करने का सही अवसर भी है। यदि हम क्रोध, मोह, लोभ, ईर्ष्या, अहंकार और तनाव जैसे भावनाओं पर विजय पा लें तो जीवन में संतुलन, सुख और मानसिक शांति प्राप्त कर सकते हैं।
यह लेख धार्मिक मान्यताओं और मानसिक स्वास्थ्य संबंधी सामान्य जानकारी पर आधारित है। किसी भी गंभीर मानसिक समस्या की स्थिति में विशेषज्ञ डॉक्टर या काउंसलर से परामर्श अवश्य लें।