
गूगल और मेटा को ईडी का नोटिस: सट्टेबाजी ऐप मामले में 21 जुलाई को पूछताछ के लिए बुलाया
नई दिल्ली:
भारत में बढ़ती ऑनलाइन सट्टेबाजी की प्रवृत्ति पर अब कानून का शिकंजा कसता नजर आ रहा है। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गूगल और मेटा (फेसबुक की पेरेंट कंपनी) को नोटिस जारी करते हुए 21 जुलाई को पूछताछ के लिए तलब किया है। यह कार्रवाई ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स के जरिए हो रहे आर्थिक अपराधों की जांच के तहत की जा रही है, जिनके प्रचार-प्रसार में इन टेक कंपनियों के प्लेटफॉर्म्स का उपयोग हो रहा है।
ईडी ने स्पष्ट किया है कि वह इस बात की जांच कर रही है कि क्या गूगल और मेटा के माध्यम से ऐसे अवैध ऐप्स को प्रमोट किया गया है और इसके बदले में इन कंपनियों को किस प्रकार का विज्ञापन राजस्व प्राप्त हुआ है। यह समन भारत में सख्त होते साइबर और वित्तीय अपराध कानूनों के बीच एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
क्या है मामला?
ईडी की जांच ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े कई ऐप्स की गतिविधियों के इर्द-गिर्द घूम रही है, जो कि कथित रूप से भारतीय उपभोक्ताओं को लुभाकर अवैध रूप से पैसे की उगाही कर रहे हैं। इन ऐप्स का प्रमोशन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर बड़े स्तर पर किया गया, जिससे लाखों लोग इनके जाल में फंसे। एजेंसी के अनुसार, इन ऐप्स ने देशभर से भारी मात्रा में धन इकट्ठा किया, जिसे हवाला और अन्य अनधिकृत तरीकों से विदेशों में भेजा गया।
डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की भूमिका
ईडी की नजर में गूगल और मेटा की भूमिका इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इन ऐप्स को प्रमोट करने के लिए इन्हीं के विज्ञापन प्लेटफॉर्म्स का सहारा लिया गया। माना जा रहा है कि सट्टेबाजी कंपनियों ने गूगल के Google Ads और मेटा के Facebook Ads के माध्यम से अपना प्रचार किया, जो बड़े पैमाने पर भारतीय इंटरनेट यूज़र्स तक पहुंचा।
सूत्रों के मुताबिक, ईडी ने दोनों कंपनियों से पूछताछ के दौरान यह जानकारी मांगी है:
विज्ञापनदाताओं की केवाइसी प्रक्रिया क्या रही?
क्या इन ऐप्स के सट्टेबाजी या जुए से जुड़े होने की जानकारी थी?
अब तक की कार्रवाई
प्रवर्तन निदेशालय इससे पहले भी ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़े कई मामलों में बड़ी कार्रवाइयाँ कर चुका है। हाल ही में कुछ फिनटेक कंपनियों और पेमेंट गेटवेज़ पर छापेमारी की गई थी। इन जांचों में सामने आया कि चीन सहित कई देशों से संचालित होने वाले ऐप्स भारतीय ग्राहकों को निशाना बना रहे हैं और लाखों-करोड़ों की रकम बाहर भेजी जा रही है।
ईडी ने इस सिलसिले में दर्जनों बैंक खातों को सीज़ किया है और मनी लॉन्ड्रिंग (PMLA) की धाराओं के तहत मुकदमे दर्ज किए हैं।
टेक कंपनियों की जिम्मेदारी पर सवाल
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर टेक कंपनियों की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी पर बहस छेड़ दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि गूगल और मेटा जैसे बड़े प्लेटफॉर्म्स को इस बात की गहन जांच करनी चाहिए कि उनके एड नेटवर्क पर कौन-कौन से प्रोडक्ट्स और सेवाएं प्रमोट की जा रही हैं।
हालांकि दोनों कंपनियों ने अब तक इस मामले पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन इससे पहले के मामलों में वे यह कहते आए हैं कि वे किसी भी अवैध गतिविधि को बढ़ावा नहीं देते और उनके पास एड कंटेंट की मॉनिटरिंग के लिए सख्त गाइडलाइंस हैं।
ईडी की यह कार्रवाई एक संकेत है कि सरकार अब डिजिटल दुनिया में हो रहे वित्तीय अपराधों को हल्के में नहीं ले रही। गूगल और मेटा जैसे दिग्गजों को तलब करना बताता है कि जांच एजेंसियां अब सिर्फ स्थानीय ऑपरेटरों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि इंटरनेशनल नेटवर्क और उनके प्लेटफॉर्म्स की भी जिम्मेदारी तय करने की दिशा में बढ़ रही हैं।
इसके अलावा, सरकार भी जल्द ही डिजिटल इंडिया एक्ट जैसे सख्त कानून लाने की तैयारी में है, जो इंटरनेट पर हो रही आर्थिक धोखाधड़ी, गलत सूचना और डेटा उल्लंघनों पर सख्त नियंत्रण लाने का वादा करता है।
गूगल और मेटा को भेजा गया ईडी का यह समन भारत में बढ़ रही ऑनलाइन सट्टेबाजी और उससे जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामलों के विरुद्ध एक निर्णायक मोड़ बन सकता है। यह मामला सिर्फ आर्थिक अपराध नहीं, बल्कि देश के डिजिटल भविष्य की नैतिकता और सुरक्षा से भी जुड़ा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि टेक कंपनियां इस समन पर क्या प्रतिक्रिया देती हैं और ईडी की जांच से कौन-कौन से नए खुलासे सामने आते हैं।