
अनिल अंबानी की कंपनियों पर ED की छापेमारी: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा एक्शन ।
मुंबई – देश के प्रमुख उद्योगपतियों में शामिल अनिल अंबानी एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर हैं। गुरुवार को ED ने मनी लॉन्ड्रिंग के एक गंभीर मामले में रिलायंस एडीए ग्रुप (Anil Dhirubhai Ambani Group) से जुड़ी कई कंपनियों पर छापेमारी की। यह कार्रवाई मुंबई में स्थित विभिन्न दफ्तरों और ठिकानों पर एक साथ की गई, जिससे कारोबारी जगत में हलचल मच गई है।
प्रवर्तन निदेशालय की यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत की जा रही है। एजेंसी को शक है कि अनिल अंबानी समूह की कुछ कंपनियों ने फंड का ग़लत तरीके से उपयोग करते हुए विदेशों में अवैध रूप से पैसे भेजे हैं। इनकम टैक्स विभाग और अन्य वित्तीय एजेंसियों से मिले इनपुट के आधार पर ED पिछले कुछ महीनों से इस मामले की जांच कर रही थी।
छापेमारी कहां-कहां?
सूत्रों के अनुसार, मुंबई में रिलायंस इंफ्रास्ट्रक्चर (Reliance Infrastructure), रिलायंस पावर (Reliance Power), रिलायंस कैपिटल (Reliance Capital) और रिलायंस कम्युनिकेशंस समेत समूह की कई कंपनियों के दफ्तरों और निदेशकों के आवासों पर तलाशी ली गई। अधिकारियों ने कंपनी के रिकॉर्ड्स, डिजिटल डेटा और कंप्यूटर सिस्टम जब्त किए हैं।
ED ने छापे के दौरान कई बैंकिंग दस्तावेज, विदेशी निवेश से जुड़े कागजात और इलेक्ट्रॉनिक सबूत भी बरामद किए हैं। हालांकि अभी तक इस कार्रवाई में किसी की गिरफ्तारी नहीं हुई है।
मामला क्या है?
सूत्रों का कहना है कि मामला बड़े पैमाने पर विदेशी मुद्रा उल्लंघन और शेल कंपनियों के माध्यम से धन के अवैध हस्तांतरण से जुड़ा है। कुछ विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश कराने के नाम पर कथित रूप से भारी मात्रा में फंड का दुरुपयोग किया गया। यह भी जांच की जा रही है कि क्या इन कंपनियों ने लोन लेकर धन को संबंधित या फर्जी संस्थाओं को ट्रांसफर किया।
बताया जा रहा है कि एजेंसी को कुछ संदिग्ध ट्रांजेक्शन की जानकारी मिली थी, जिसमें बैंकिंग चैनल्स के जरिये रकम को हांगकांग, दुबई और ब्रिटेन जैसे देशों में ट्रांसफर किया गया।
क्या बोले ED के अधिकारी?
ED अधिकारियों ने इस कार्रवाई को रूटीन जांच का हिस्सा बताते हुए कहा कि अभी जांच शुरुआती स्तर पर है। “हमें कुछ अहम सुराग मिले हैं, जिन्हें पुख्ता करने के लिए यह कार्रवाई की गई है,” एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम ना प्रकाशित करने की शर्त पर बताया।
उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी तो कंपनी के अधिकारियों को पूछताछ के लिए तलब किया जा सकता है। जांच पूरी होने के बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी।
क्या कहता है रिलायंस ग्रुप?
अब तक रिलायंस एडीए ग्रुप की ओर से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि ग्रुप से जुड़े एक सूत्र ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि “कंपनी जांच में पूरा सहयोग कर रही है। हम आश्वस्त हैं कि सभी वित्तीय गतिविधियां कानून के अनुरूप हुई हैं।”
इस बात का इंतजार किया जा रहा है कि अनिल अंबानी स्वयं या कंपनी की ओर से कोई प्रेस कॉन्फ्रेंस या विस्तृत प्रतिक्रिया दी जाती है या नहीं।
अनिल अंबानी और विवाद
यह पहला मौका नहीं है जब अनिल अंबानी की कंपनियों का नाम जांच एजेंसियों के साथ जुड़ा है। बीते वर्षों में रिलायंस कम्युनिकेशन पर बकाया ऋण, विदेशी कर्ज़ और कर्ज़ चुकाने में चूक के चलते कई बार विवाद हुआ है। रिलायंस कैपिटल के दिवालिया प्रक्रिया में जाने और निवेशकों को नुकसान के मामले में भी समूह को जांच का सामना करना पड़ा है।
साल 2020 में भी अनिल अंबानी को मुंबई में ED के सामने पेश होना पड़ा था, जब उनके विदेशी निवेश और संपत्तियों को लेकर सवाल उठे थे। उस समय उन्होंने दावा किया था कि उनके पास “शून्य नेटवर्थ” है और वे कर्ज में डूबे हुए हैं।
राजनीतिक हलकों में हलचल
जैसे ही ED की यह छापेमारी सार्वजनिक हुई, विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर “विरोधियों और पूंजीपतियों को निशाना बनाने” का आरोप लगाया। कांग्रेस के प्रवक्ता ने कहा, “मोदी सरकार का एजेंडा सिर्फ राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करना है, चाहे वह विपक्ष हो या अपने पुराने करीबी कारोबारी।”
हालांकि बीजेपी के नेताओं ने इस कार्रवाई को कानून सम्मत और नियमों के अनुसार बताया। पार्टी का कहना है कि अगर कोई भी व्यक्ति या संस्था वित्तीय गड़बड़ियों में लिप्त है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए, चाहे वह कितना भी बड़ा नाम क्यों ना हो।
फिलहाल ED की छापेमारी जारी है और जांच के नतीजे आने में समय लग सकता है। लेकिन यह तय है कि एक समय देश के सबसे चर्चित उद्योगपतियों में शुमार रहे अनिल अंबानी के लिए यह एक और झटका साबित हो सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि ED की जांच किस दिशा में जाती है और अनिल अंबानी समूह इसके जवाब में क्या रुख अपनाता है।
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