क्रेडिट कार्ड से विदेश में गैर-अनुमत संपत्ति खरीदने पर भारतीयों पर ED की सख्त नज़र – RBI नियमों की अवहेलना”

“क्रेडिट कार्ड से विदेश में गैर-अनुमत संपत्ति खरीदने पर भारतीयों पर ED की सख्त नज़र – RBI नियमों की अवहेलना”

भारतीय अधिकारी अब ऐसे नागरिकों पर कड़ी नज़र बनाए हुए हैं, जिन्होंने नियमों की अवहेलना करते हुए क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेशों में संपत्ति खरीदी है। विशेषकर दुबई में, कई भारतीयों ने इंटरनेशनल क्रेडिट कार्ड (ICC) का उपयोग करके रियल एस्टेट की डिपॉजिट और किस्तें चुकाई, जिससे भारतीय नियामकीय प्रक्रिया की अनदेखी हुई है। यह पूरा मामला अब प्रवर्तन निदेशालय (ED) और राजस्व विभाग (I-T) के संज्ञान में है।

1. क्या है सामंजस्य — ICC का गलत उपयोग

मौजूदा स्थिति: कई भारतीय निवेशकों ने दुबई में डाउन पेमेंट और किस्तों के लिए ICC का इस्तेमाल किया — चाहे वह बिल्डर द्वारा भेजे गए ऑनलाइन पेमेंट लिंक के माध्यम से हो या व्यक्तिगत यात्रा के दौरान कार्ड का उपयोग।

नियमों का उल्लंघन: RBI के अनुसार ICC केवल करंट खाता ट्रांजैक्शन्स (जैसे किताबें, होटल बुकिंग, डिजिटल खरीदारी) के लिए होते हैं, न कि कॅपिटल खाता लेन-देन जैसे संपत्ति खऱीदना। हालांकि यह स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित नहीं है, लेकिन नियमों के दायरे में यह गैर-अनुमत माना जा रहा है।

2. एनआरआई—एलआरएस (LRS) नियम: सीमा और अनुपालन

भारतीय निवासी वर्ष में $250,000 तक का विदेशी निवेश या संपत्ति खरीद सकते हैं, लेकिन Liberalised Remittance Scheme (LRS) के अंतर्गत, बस बैंकिंग चैनलों के माध्यम से।

ICC द्वारा की गई संपत्ति खरीद, चाहे वह विदेश में क्यों न हो, LRS के तहत मान्य नहीं मानी जाती — यह नियम का उल्लंघन है।

3. ED की प्रतिक्रिया और नियमों का उल्लंघन

ED की कार्यवाही: कई निवेशकों को नोर्दर्न भारत में summons जारी किए गए हैं, जिसमें उन्हें बैंक ट्रांजैक्शन का प्रमाण प्रस्तुत करने को कहा गया है। ED ने I-T से प्राप्त जानकारी के आधार पर यह कार्रवाई शुरू की है।

कैसे पता चला: UAE की संपत्ति जानकारी संभवतः भारतीय अधिकारियों के पास पहुँची, जिसे उन्होंने तीसरे देश के माध्यम से प्राप्त किया।

न्यायिक दृष्टिकोण: यदि विदेशी संपत्ति भारतीय करदाताओं ने अवैध भुगतान के जरिए खरीदी (जैसे क्रिप्टो या ICC), तो यह FEMA और PMLA के अंतर्गत दंडनीय हो सकता है। इतना ही नहीं, ब्लैक मनी कानून के तहत मूल्य का 120% तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है।

4. बचाव की रणनीतियाँ: नियमितीकरण की राह

त्रुटि सुधार: प्रभावित निवेशक अब पुराने ICC भुगतान को रद्द करवा रहे हैं और LRS के तहत नए फंडों के जरिए सही तरीके से भुगतान कर रहे हैं, ताकि बिल्डर रिफंड दे सके।

RBI से समन्वय: कई लोग RBI से अनुरोध कर रहे हैं कि इस उल्लंघन के लिए compounding किया जाए— यानी जुर्माना अदा करके मामला बंद कर दिया जाए, बजाय संपत्ति बेचे जाने के।

TCS का पालन: संपत्ति खरीद से जुड़े किसी भी भुगतान पर 20% TCS लागू होता है, चाहे भुगतान कोई भी माध्यम हो।

5. विशेषज्ञों की टिप्पणी

राजेश शाह (Jayantilal Thakkar & Co): “RBI को उदार दृष्टिकोण अपनाना चाहिए क्योंकि भुगतान वैध था, केवल तरीका गलत था। कंपाउंडिंग की अनुमति मिल जाय तो संपत्ति बेचने की नौबत नहीं आएगी।”

मोइन लाधा (Khaitan & Co): “ICC के माध्यम से संपत्ति खरीदना RBI के नियमों के अनुसार नहीं है। इसे उत्तरदायित्वपूर्वक नियमितीकृत करना आवश्यक है—या तो बाद में अनुमोदन लेकर या कंपाउंडिंग कर।”

ऐशिश करुण्डिया: “चाहे भुगतान माध्यम कुछ भी हो, विदेश में संपत्ति खरीदने पर 20% TCS लागू होता रहेगा।”

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