
नई दिल्ली/पटना। भारत में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और मजबूत बनाने की दिशा में चुनाव आयोग (Election Commission of India – ECI) ने बड़ा कदम उठाने की तैयारी कर ली है। आयोग ने संकेत दिए हैं कि SIR प्रणाली (Systematic Information Review) को अब पूरे देश में एक साथ लागू किया जाएगा। बिहार में यह प्रक्रिया 30 सितंबर तक चलेगी, जबकि अंतिम फैसला 10 सितंबर को दिल्ली में होने वाली उच्चस्तरीय बैठक में लिया जाएगा।
SIR क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण?
SIR यानी Systematic Information Review एक ऐसी प्रक्रिया है जिसके माध्यम से मतदाता सूची और चुनावी प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी और विश्वसनीय बनाया जाएगा।
इसका उद्देश्य फर्जी वोटिंग रोकना,
डुप्लीकेट नाम हटाना,
नई तकनीक के जरिए मतदाताओं को पंजीकरण में सुविधा देना है।
चुनाव आयोग का मानना है कि इस प्रणाली से मतदाता सूची की शुद्धता बढ़ेगी और लोकतंत्र की बुनियाद और मजबूत होगी।
बिहार में चल रही है विशेष प्रक्रिया
बिहार में चुनाव आयोग ने पहले चरण के रूप में SIR प्रक्रिया शुरू कर दी है, जो 30 सितंबर तक चलेगी। इस दौरान
नए मतदाताओं के नाम जुड़ेंगे,
मृत या स्थानांतरित हो चुके मतदाताओं के नाम हटाए जाएंगे,
और मतदाता पहचान से जुड़े दस्तावेजों की गहन जांच होगी।
बिहार जैसे बड़े और चुनावी दृष्टि से महत्वपूर्ण राज्य में इस प्रक्रिया को लागू करना एक बड़ी चुनौती माना जा रहा है।
10 सितंबर की बैठक में होगा अंतिम फैसला
दिल्ली में 10 सितंबर को चुनाव आयोग की बैठक में पूरे देश में SIR लागू करने का अंतिम फैसला लिया जाएगा। इस बैठक में सभी राज्यों के मुख्य चुनाव अधिकारियों (Chief Electoral Officers) को बुलाया गया है।
संभावना जताई जा रही है कि 2026 से पहले होने वाले सभी विधानसभा चुनाव और 2029 के आम चुनाव SIR प्रणाली के तहत कराए जाएंगे।
राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया
चुनाव आयोग के इस फैसले पर राजनीतिक दलों की अलग-अलग राय सामने आ रही है।
कुछ दलों का कहना है कि यह कदम निष्पक्ष चुनाव की दिशा में ऐतिहासिक साबित होगा।
जबकि कुछ विपक्षी दलों ने आशंका जताई है कि प्रणाली को पूरी तरह लागू करने से पहले तकनीकी खामियों को दूर करना जरूरी है।
बिहार के कई राजनीतिक नेताओं ने इसे मतदाता सूची को पारदर्शी बनाने का सही कदम बताया है।
मतदाताओं के लिए क्या होगा फायदा?
अगर SIR को पूरे देश में लागू कर दिया जाता है, तो आम मतदाताओं को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी:
1. ऑनलाइन पंजीकरण में आसानी – लोग घर बैठे आवेदन कर सकेंगे।
2. डुप्लीकेट नाम हटेंगे – फर्जी वोटिंग की संभावना कम होगी।
3. पारदर्शी चुनाव प्रक्रिया – लोगों का विश्वास चुनाव प्रणाली पर और मजबूत होगा।
4. सटीक मतदाता सूची – बूथ स्तर पर कम विवाद होंगे।
तकनीकी खामियों पर निगरानी
चुनाव आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि SIR लागू करने से पहले तकनीकी खामियों को दूर करने पर जोर दिया जाएगा।
डेटा सुरक्षा,
सर्वर की क्षमता,
और ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसे मुद्दों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर चुनाव आयोग इन चुनौतियों को सफलतापूर्वक हल कर लेता है तो भारत की चुनावी प्रक्रिया दुनिया के लिए एक मिसाल बन सकती है।
चुनाव आयोग का SIR लागू करने का कदम भारतीय लोकतंत्र को और मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।
10 सितंबर की बैठक के बाद तस्वीर साफ हो जाएगी कि यह प्रक्रिया पूरे देश में कब और कैसे लागू होगी। फिलहाल बिहार में 30 सितंबर तक चल रही विशेष समीक्षा से यह तय होगा कि इस प्रणाली की सफलता कितनी है और इसे राष्ट्रीय स्तर पर कितनी तेजी से लागू किया जा सकता है।