
भारत में हाई ब्लड प्रेशर यानी हाईपरटेंशन एक “साइलेंट किलर” बनता जा रहा है। ताज़ा रिपोर्ट के अनुसार, देश में हर दूसरा वयस्क इस गंभीर स्वास्थ्य समस्या से जूझ रहा है। ये स्थिति न सिर्फ दिल के रोगों को न्योता देती है, बल्कि स्ट्रोक, किडनी फेल्योर और डायबिटीज जैसी बीमारियों का खतरा भी कई गुना बढ़ा देती है।
खास बात यह है कि अधिकतर लोगों को तब तक पता ही नहीं चलता, जब तक यह स्थिति गंभीर रूप न ले ले। ऐसे में जागरूकता और समय रहते इलाज ही इसका एकमात्र समाधान है।
समस्या कितनी गंभीर है?
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS) और इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की हालिया रिपोर्टों के अनुसार, देश में 45% पुरुष और लगभग 50% महिलाएं किसी न किसी रूप में हाई ब्लड प्रेशर की चपेट में हैं। उम्र बढ़ने के साथ यह जोखिम और बढ़ता है, लेकिन आजकल युवाओं में भी यह समस्या तेजी से पांव पसार रही है।
वर्क फ्रॉम होम की लाइफस्टाइल, लगातार स्क्रीन पर समय बिताना, तनाव, नींद की कमी, जंक फूड का सेवन और शारीरिक गतिविधियों की कमी — ये सब हाई बीपी के प्रमुख कारण बनते जा रहे हैं।
हाई ब्लड प्रेशर होता क्या है?
हाई ब्लड प्रेशर उस स्थिति को कहते हैं जब धमनियों में खून का दबाव सामान्य से ज्यादा हो जाता है। सामान्य बीपी रेंज 120/80 mmHg मानी जाती है। जब ये 130/90 mmHg से ऊपर जाने लगे तो इसे हाईपरटेंशन की शुरुआत माना जाता है।
अगर यह स्थिति लंबे समय तक बनी रहे तो दिल की धड़कन पर दबाव बढ़ जाता है और दिल की बीमारियों की आशंका बढ़ जाती है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण क्या होते हैं?
कई बार हाई बीपी के लक्षण नहीं दिखते और अचानक कोई गंभीर स्थिति सामने आ जाती है। लेकिन कुछ चेतावनी संकेतों पर ध्यान देना ज़रूरी है:
लगातार सिरदर्द
थकान या चक्कर आना
धुंधला दिखना
सांस लेने में परेशानी
सीने में दर्द
नाक से खून आना
अगर आपको इनमें से कोई भी लक्षण बार-बार महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।
हाई बीपी के कारण:
विशेषज्ञों के अनुसार, हाई ब्लड प्रेशर के कई कारक हो सकते हैं:
जीवनशैली से जुड़ी आदतें: तला-भुना खाना, अत्यधिक नमक, शराब और धूम्रपान
मानसिक तनाव: तनाव और चिंता से ब्लड प्रेशर तेजी से बढ़ता है
शारीरिक निष्क्रियता: व्यायाम की कमी से शरीर में फैट जमा होता है, जिससे धमनियों पर दबाव बढ़ता है
अनुवांशिक कारण: परिवार में पहले से बीपी की समस्या होने पर खतरा बढ़ जाता है
मोटापा और डायबिटीज: ये दोनों ही हाई बीपी के मुख्य कारण हैं
हाई ब्लड प्रेशर को कैसे करें कंट्रोल?
हाई बीपी से बचाव के लिए दवा के साथ-साथ जीवनशैली में बदलाव बेहद जरूरी है। विशेषज्ञ इन उपायों को आजमाने की सलाह देते हैं:
1. नमक का सेवन घटाएं: रोजाना 5 ग्राम से अधिक नमक न लें। पैकेज्ड और प्रोसेस्ड फूड में छुपा हुआ नमक भी बीपी बढ़ाता है।
2. डेली एक्सरसाइज करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट तेज चलना, योग, साइकिलिंग या स्वीमिंग करने से लाभ मिलता है।
3. वजन नियंत्रित रखें: शरीर का वजन जितना ज्यादा होगा, बीपी बढ़ने की आशंका भी उतनी ही अधिक होती है।
4. तनाव कम करें: मेडिटेशन, डीप ब्रीदिंग और संगीत थैरेपी जैसी तकनीकों से मानसिक तनाव कम किया जा सकता है।
5. स्मार्ट डाइट लें: हरी सब्ज़ियां, फल, ओट्स, ब्राउन राइस, और बादाम जैसी चीज़ों का सेवन करें। रेड मीट और अधिक तैलीय भोजन से दूरी बनाएं।
6. नियमित नींद लें: नींद की कमी से शरीर में हार्मोनल असंतुलन होता है, जिससे बीपी बढ़ सकता है।
7. रेगुलर मॉनिटरिंग: घर पर डिजिटल बीपी मॉनिटर से समय-समय पर ब्लड प्रेशर चेक करते रहें।
क्या हाई बीपी पूरी तरह ठीक हो सकता है?
डॉक्टरों का मानना है कि हाई ब्लड प्रेशर को अगर शुरुआती अवस्था में पकड़ लिया जाए और सही डाइट, दवा और एक्सरसाइज के ज़रिये कंट्रोल किया जाए तो इसे स्थायी रूप से नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि यह पूरी तरह ठीक नहीं होता, लेकिन नियमित निगरानी से जटिलताओं से बचा जा सकता है।
फोर्टिस अस्पताल, दिल्ली के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. राकेश मिश्रा कहते हैं, “हाई बीपी को हल्के में लेना घातक हो सकता है। भारत में अधिकतर लोग तब अस्पताल पहुंचते हैं जब मामला बिगड़ चुका होता है। अगर 30 की उम्र पार कर चुके हैं, तो हर छह महीने में बीपी चेक कराना ज़रूरी है।”
हाई ब्लड प्रेशर आज सिर्फ एक बीमारी नहीं, बल्कि एक महामारी का रूप ले चुका है। लेकिन थोड़ी जागरूकता और अनुशासन से इसे रोका जा सकता है।