
‘पहलगाम में सभी ने देखा आतंकवाद का रंग…’ – मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा का बयान सुर्खियों में
भोपाल | 2008 के बहुचर्चित मालेगांव ब्लास्ट केस में लंबे कानूनी संघर्ष के बाद आखिरकार साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को राहत मिली है। बरी होने के बाद जब वह भोपाल पहुंचीं तो उनका भव्य स्वागत हुआ। इसी दौरान उन्होंने मीडिया से बातचीत करते हुए एक भावुक और सटीक बयान में पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा – “पहलगाम में सभी ने देखा आतंकवाद का रंग… वहाँ धर्म पूछ-पूछकर लोगों को मारा गया।”
उनका यह बयान अब पूरे देश में बहस का विषय बना हुआ है। जहां एक ओर उनके समर्थकों ने इसे साहसिक और सत्य पर आधारित बताया, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे ‘ध्रुवीकरण’ की राजनीति से जोड़ दिया है।
मालेगांव ब्लास्ट केस: 16 साल की लंबी कानूनी लड़ाई का अंत
सितंबर 2008 में महाराष्ट्र के नासिक जिले के मालेगांव में हुए धमाके में 6 लोगों की मौत और दर्जनों के घायल होने की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया था। शुरुआती जांच के बाद साध्वी प्रज्ञा समेत कुछ अन्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। मामले की जांच एनआईए को सौंपी गई, जिसने बाद में कई साक्ष्यों को खारिज करते हुए कोर्ट से चार्ज हटाने की सिफारिश की।
16 वर्षों तक चली इस कानूनी प्रक्रिया के बाद साध्वी प्रज्ञा को कोर्ट ने बरी कर दिया। इस फैसले के बाद उनके समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई।
साध्वी प्रज्ञा का बयान:
भोपाल एयरपोर्ट पर अपने स्वागत के दौरान मीडिया से बात करते हुए साध्वी ने कहा,
“मैंने कोई अपराध नहीं किया था। सिर्फ इसलिए प्रताड़ित किया गया क्योंकि मैंने जांच एजेंसियों को गलत जानकारी नहीं दी। मैंने सिर्फ सत्य कहा और सत्य के मार्ग पर अडिग रही।”
उन्होंने आगे कहा, “आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, परंतु जब पहलगाम में पर्यटकों से उनके धर्म पूछ-पूछकर मारा गया, तब क्या किसी ने उस आतंकवाद का चेहरा देखा? अब तो पूरा देश जान चुका है कि आतंक का असली रंग क्या होता है।”
पहलगाम हमला: किस ओर इशारा कर रही हैं साध्वी?
साध्वी प्रज्ञा जिस पहलगाम हमले की बात कर रही थीं, वह हाल ही में जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुआ था। हमलावरों ने कथित तौर पर बस में बैठे पर्यटकों की धार्मिक पहचान पूछी और कुछ लोगों पर गोलियां बरसा दीं। इस घटना की व्यापक निंदा हुई, और सुरक्षा एजेंसियां जांच में जुट गईं।
राजनैतिक प्रतिक्रियाएं:
साध्वी प्रज्ञा के बयानों पर सियासी बयानबाज़ी भी तेज हो गई है।
बीजेपी नेताओं ने साध्वी को ‘हिंदू अस्मिता की प्रतीक’ बताते हुए उनके संघर्ष की सराहना की।
कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने उनके बयान को “धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिश” बताया और कहा कि अदालत से बरी होना न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा है, पर बयानबाज़ी से समाज में तनाव फैल सकता है।
कानूनी विशेषज्ञों की राय:
वकीलों का कहना है कि किसी भी मामले में कोर्ट से बरी होना यह नहीं दर्शाता कि आरोप नहीं लगे थे, बल्कि इसका मतलब है कि पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। मालेगांव केस में भी कोर्ट ने यही आधार माना।
सोशल मीडिया पर भी छाया मामला
साध्वी के भोपाल आगमन और उनके बयानों से जुड़ी क्लिप्स सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। ट्विटर , फेसबुक और यूट्यूब पर उनके समर्थकों ने हैशटैग #SadhviPragya और #MalegaonVerdict को ट्रेंड करा दिया।
मालेगांव ब्लास्ट केस में बरी होने के बाद साध्वी प्रज्ञा एक बार फिर चर्चा के केंद्र में हैं। उनके बयानों से एक ओर जहां लोगों को उनके संघर्ष की कहानी जानने को मिली, वहीं दूसरी ओर राजनीति और समाज में नए विवादों ने जन्म ले लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे इस मामले की राजनीतिक और सामाजिक दिशा क्या मोड़ लेती है।