झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन: दिल्ली के अस्पताल में ली अंतिम सांस, राज्य में शोक की लहर

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन का निधन: दिल्ली के अस्पताल में ली अंतिम सांस, राज्य में शोक की लहर

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री, झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के संस्थापक और आदिवासी राजनीति के सबसे बड़े चेहरों में शामिल शिबू सोरेन का निधन हो गया है। उन्होंने दिल्ली के एक निजी अस्पताल में अंतिम सांस ली। 80 वर्षीय शिबू सोरेन लंबे समय से बीमार चल रहे थे। उनके निधन से झारखंड समेत पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। प्रधानमंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक ने गहरी संवेदना व्यक्त की है।

झारखंड की राजनीति में ‘गुरुजी’ के नाम से प्रसिद्ध शिबू सोरेन ने सोमवार देर रात दिल्ली के मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस ली। वे पिछले कुछ महीनों से उम्रजनित बीमारियों से जूझ रहे थे। उनके बेटे और वर्तमान झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने यह दुखद खबर साझा करते हुए कहा, “मेरे पिता, मेरे मार्गदर्शक, मेरे गुरु आज हमें छोड़कर चले गए। यह केवल हमारा नहीं, झारखंड के हर उस नागरिक का व्यक्तिगत क्षति है जिसने गुरुजी से प्रेरणा ली।”

राजनीतिक सफरनामा:
शिबू सोरेन का राजनीतिक जीवन संघर्ष और सफलता की मिसाल है। उन्होंने आदिवासी अधिकारों की लड़ाई को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचाया। 1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा की स्थापना की, जिसका उद्देश्य झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाना था। उनकी कोशिशें रंग लाईं और वर्ष 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड एक स्वतंत्र राज्य बना।

शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री बने और केंद्र में भी उन्होंने कोयला मंत्री जैसे महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया। हालांकि उनके राजनीतिक करियर में कई विवाद भी रहे, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

आदिवासी समाज के प्रतीक:
शिबू सोरेन केवल एक नेता नहीं थे, बल्कि एक आंदोलन थे। उन्होंने झारखंड के आदिवासी समाज को न केवल नेतृत्व दिया, बल्कि उसे संगठित कर नई दिशा दी। जंगल-जमीन की लड़ाई हो, जल-जंगल-जमीन के अधिकार हों या माइनिंग के मुद्दे—हर जगह गुरुजी की भूमिका अहम रही।

उनका नाम संथाल परगना के आदिवासी परिवारों में आज भी सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने सामाजिक कुरीतियों के खिलाफ भी आवाज उठाई और ग्रामीण स्तर पर शिक्षा व स्वास्थ्य की दिशा में कई कदम उठाए।

राजनीति में उत्तराधिकार:
शिबू सोरेन का राजनीतिक उत्तराधिकार अब उनके बेटे हेमंत सोरेन संभाल रहे हैं, जो वर्तमान में झारखंड के मुख्यमंत्री हैं। हालांकि हेमंत की सरकार फिलहाल भी कुछ राजनीतिक संकटों से गुजर रही है, लेकिन गुरुजी के निधन ने पूरे राजनीतिक परिदृश्य को झकझोर कर रख दिया है। आने वाले दिनों में झारखंड की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है।

राष्ट्रीय स्तर पर शोक:
शिबू सोरेन के निधन की खबर मिलते ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी, और अन्य कई बड़े नेताओं ने शोक संवेदना व्यक्त की है। प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट कर कहा, “शिबू सोरेन जी एक अनुभवी नेता और सामाजिक न्याय के समर्थक थे। उनके योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।”

झारखंड में राजकीय शोक:
राज्य सरकार ने शिबू सोरेन के निधन पर झारखंड में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित किया है। इस दौरान सभी सरकारी दफ्तरों में राष्ट्रीय ध्वज आधा झुका रहेगा। उनके पार्थिव शरीर को अंतिम दर्शन के लिए रांची स्थित मोराबादी मैदान में रखा जाएगा, जहां आम लोग और राजनीतिक हस्तियां उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी।

आखिरी यात्रा की तैयारी:
सूत्रों के मुताबिक, शिबू सोरेन का पार्थिव शरीर एयर एंबुलेंस से रांची लाया जाएगा, जहां उनके गांव दुुमका जिले के नेमरा में उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। झारखंड के हर कोने से हजारों की संख्या में लोग उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचने की संभावना है। झारखंड मुक्ति मोर्चा कार्यकर्ताओं ने श्रद्धांजलि यात्रा की तैयारी शुरू कर दी है।

शिबू सोरेन का निधन केवल एक व्यक्ति का जाना नहीं है, बल्कि एक युग का अंत है। झारखंड की आत्मा, उसकी राजनीतिक चेतना और सामाजिक आंदोलन की नींव रखने वाले इस नेता को हमेशा याद रखा जाएगा। उनका संघर्ष, उनका नेतृत्व और उनकी विचारधारा आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देती रहेगी।

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