
रांची: झारखंड की राजनीति और प्रशासनिक हलकों में चर्चा का विषय बने बहुचर्चित जमीन घोटाला मामले में एक बड़ी खबर सामने आई है। पूर्व रांची उपायुक्त (DC) छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल गई है। लंबे समय से जेल में बंद रहे छवि रंजन अब अदालत के आदेश के बाद रिहा हो सकेंगे। सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला झारखंड की सियासत और ब्यूरोक्रेसी दोनों में हलचल मचा रहा है।
क्या है पूरा मामला
पूर्व रांची डीसी छवि रंजन पर आरोप है कि उनके कार्यकाल के दौरान रांची में जमीनों की अवैध बिक्री और रजिस्ट्री में अनियमितताएं की गईं। प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने छवि रंजन समेत कई सरकारी कर्मचारियों और बिचौलियों पर आरोप लगाया था कि उन्होंने आपराधिक साजिश के तहत जमीन के दस्तावेजों में हेरफेर कर सरकारी और निजी भूमि को गलत तरीके से ट्रांसफर किया।
इस घोटाले का खुलासा होने के बाद ईडी ने मई 2023 में छवि रंजन को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के बाद उन्हें कई बार कोर्ट में पेश किया गया, लेकिन निचली अदालत और फिर हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी थी। आखिरकार अब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत देते हुए जमानत मंजूर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा – ‘लंबे समय से ट्रायल लंबित’
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि छवि रंजन लंबे समय से जेल में बंद हैं और ट्रायल में अभी समय लग सकता है। इसलिए उन्हें सशर्त जमानत दी जा रही है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जांच एजेंसी यदि चाहे तो ट्रायल के दौरान साक्ष्य पेश कर सकती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद रांची समेत पूरे झारखंड में प्रशासनिक हलकों में इस मुद्दे पर चर्चा तेज हो गई है।
ईडी की जांच में क्या-क्या खुलासे हुए
प्रवर्तन निदेशालय ने अपनी जांच में दावा किया था कि छवि रंजन के कार्यकाल में रांची की कई बहुमूल्य जमीनें फर्जी दस्तावेजों के आधार पर निजी लोगों के नाम ट्रांसफर की गईं।
जांच में यह भी सामने आया था कि कई भूमि माफियाओं और स्थानीय बिचौलियों ने सरकारी रिकॉर्ड में हेरफेर कर करोड़ों की जमीनें बेच दीं।
ईडी ने इस मामले में छवि रंजन सहित 8 अन्य आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA) के तहत चार्जशीट दाखिल की थी।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा
छवि रंजन का नाम आते ही झारखंड की राजनीति में हलचल मच गई थी। विपक्ष ने सरकार पर आरोप लगाया था कि प्रशासनिक स्तर पर भ्रष्टाचार को संरक्षण दिया गया। वहीं सत्तारूढ़ गठबंधन की ओर से कहा गया कि जांच एजेंसियों को निष्पक्ष तरीके से काम करने दिया जा रहा है।
अब जब सुप्रीम कोर्ट ने छवि रंजन को जमानत दी है, तो विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच बयानबाजी फिर से तेज हो गई है।
कौन हैं छवि रंजन?
छवि रंजन 2011 बैच के IAS अधिकारी हैं। उन्होंने रांची के डीसी पद पर रहते हुए कई विकास कार्यों को आगे बढ़ाया था। हालांकि, भूमि घोटाले के मामले के सामने आने के बाद उनका नाम विवादों में आ गया।
उनके खिलाफ ईडी के अलावा राज्य सतर्कता ब्यूरो ने भी अलग-अलग जांच शुरू की थी।
जमानत के बाद क्या होगा आगे
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, जमानत मिलने का अर्थ यह नहीं है कि मामला खत्म हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने छवि रंजन को केवल सशर्त राहत दी है।
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि ट्रायल के दौरान ईडी अपने सबूतों को अदालत में किस तरह प्रस्तुत करती है और बचाव पक्ष क्या तर्क देता है।
इस बीच, सूत्रों के अनुसार छवि रंजन की ओर से कहा गया है कि उन्होंने हमेशा कानून के दायरे में रहकर काम किया है और वे अदालत में अपनी बेगुनाही साबित करेंगे।
ईडी का रुख क्या है
ईडी ने सुप्रीम कोर्ट में यह दलील दी थी कि छवि रंजन की जमानत से जांच प्रभावित हो सकती है, क्योंकि वह एक प्रभावशाली अधिकारी रहे हैं।
हालांकि, कोर्ट ने कहा कि पर्याप्त समय जेल में बिताने के बाद अब उन्हें सशर्त राहत दी जा सकती है।
जनता और प्रशासन की प्रतिक्रिया
रांची के स्थानीय नागरिकों और प्रशासनिक कर्मचारियों के बीच इस फैसले को लेकर मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि कोर्ट ने न्यायसंगत फैसला दिया है, जबकि कुछ का कहना है कि भूमि घोटाले की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए ताकि दोषियों को सजा मिले।
पूर्व रांची डीसी छवि रंजन को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत झारखंड के सबसे चर्चित मामलों में से एक में नया मोड़ लेकर आई है।
अब देखना यह होगा कि आने वाले दिनों में यह केस किस दिशा में आगे बढ़ता है। अदालत में ट्रायल की प्रक्रिया और ईडी की अगली कार्यवाही पर सबकी निगाहें टिकी हैं।