
लखनऊ में युवक ने किया सुसाइड, आखिरी बार दोस्त से कहा- “जिंदा रहा तो कल फिर मिलेंगे”
घटना का सार
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। महज एक मोबाइल गेम फ्री फायर (Free Fire) की लत ने एक युवक की जिंदगी छीन ली। ऑनलाइन गेमिंग की लत और उसमें हारने वाले 13 लाख रुपए के कर्ज ने 22 वर्षीय युवक को इस कदर तोड़ दिया कि उसने अपनी जान दे दी।
आत्महत्या से पहले उसने अपने करीबी दोस्त को मैसेज किया था –
“जिंदा रहा तो कल फिर मिलेंगे…”
लेकिन सुबह उसका शव कमरे से बरामद हुआ।
फ्री फायर गेम और ऑनलाइन गेमिंग का खतरा
फ्री फायर एक ऑनलाइन बैटल ग्राउंड गेम है, जिसमें खिलाड़ी वर्चुअल करेंसी (डायमंड) खरीदकर हथियार, स्किन और पावर लेते हैं।
भारत में PUBG के बैन होने के बाद यह गेम युवाओं में और भी ज्यादा लोकप्रिय हो गया।
कई खिलाड़ी इस गेम को एंटरटेनमेंट की बजाय एडिक्शन की तरह खेलते हैं।
नतीजा यह होता है कि धीरे-धीरे बच्चे और युवा ऑनलाइन लेन-देन, पेमेंट, कर्ज और धोखाधड़ी में फंस जाते हैं।
युवक का पारिवारिक और निजी जीवन
युवक लखनऊ के एक मध्यमवर्गीय परिवार से था।
पिता एक प्राइवेट नौकरी करते थे।
युवक बी.कॉम कर रहा था और भविष्य में अच्छे करियर का सपना देख रहा था।
दोस्तों के बीच वह हंसमुख और मददगार स्वभाव का माना जाता था।
लेकिन पिछले एक साल से वह फ्री फायर में इतना डूब गया कि पढ़ाई और परिवार से कटने लगा।
कैसे फंसा 13 लाख के कर्ज में?
गेम खेलने के दौरान युवक ने डायमंड खरीदने के लिए कई बार ऑनलाइन पेमेंट किया।
शुरुआत में यह रकम सैकड़ों और हजारों में थी।
धीरे-धीरे उसने UPI और ऑनलाइन लोन ऐप्स से पैसे उधार लेना शुरू कर दिया।
कुछ रकम उसने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी ली।
कुल मिलाकर उस पर 13 लाख रुपए का कर्ज चढ़ गया।
जब कर्ज चुकाने का दबाव बढ़ा, तो उसने मानसिक संतुलन खो दिया।
सुसाइड से पहले की चैट और कॉल
घटना की रात युवक ने अपने सबसे करीबी दोस्त से फोन पर बात की।
उसने कहा – “कल मिलते हैं, अगर जिंदा रहा तो…”
दोस्त ने इसे मजाक समझा और ज्यादा गंभीरता से नहीं लिया।
लेकिन अगली सुबह जब परिवार ने दरवाजा खोला, तो युवक फांसी के फंदे पर लटका मिला।
पुलिस जांच और परिवार का बयान
पुलिस ने मोबाइल और ऑनलाइन ट्रांजैक्शन की जांच की।
अब तक की जांच में यह सामने आया कि युवक ने अलग-अलग पेमेंट ऐप्स से पैसे खर्च किए थे।
परिवार का कहना है कि उन्हें कभी अंदाजा नहीं था कि बेटा इतनी बड़ी रकम गेमिंग में गंवा देगा।
पिता ने मीडिया से कहा – “अगर हमें पहले पता चलता, तो हम रोक लेते। हमने सोचा कि वह पढ़ाई में बिजी है।”
कानूनी पहलू और सरकार की सख्ती
भारत में कई राज्यों ने ऑनलाइन गेमिंग पर रोक लगाने की मांग की है।
तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना में ऐसे गेम्स पर बैन लगाया गया था।
केंद्र सरकार ने भी ऑनलाइन गेमिंग रेगुलेशन पॉलिसी लाने की बात कही है।
लेकिन पूरी तरह रोक अभी संभव नहीं हो पाई है।
विशेषज्ञों की राय – क्यों खतरनाक है ऑनलाइन गेमिंग?
1. मानसिक दबाव – हारने पर गुस्सा और डिप्रेशन।
2. वित्तीय नुकसान – लत लगने पर पैसे की बर्बादी और कर्ज।
3. सामाजिक दूरी – परिवार और दोस्तों से कट जाना।
4. नींद और स्वास्थ्य पर असर – घंटों खेलने से आंख, दिमाग और शरीर पर बुरा असर।
भारत में ऑनलाइन गेमिंग का बिजनेस
2025 तक भारत में ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का मार्केट 5 बिलियन डॉलर से ज्यादा होने का अनुमान है।
70% खिलाड़ी 18-30 वर्ष के बीच हैं।
इनमें से ज्यादातर छात्र और युवा वर्ग से आते हैं।
फ्री फायर, BGMI, PUBG Lite, Call of Duty जैसे गेम्स सबसे ज्यादा खेले जाते हैं।
इस घटना से सीख –

माता-पिता और समाज को क्या करना चाहिए?

माता-पिता और समाज को क्या करना चाहिए?
1. बच्चों की ऑनलाइन गतिविधि पर नजर रखें।
2. गेमिंग लिमिट तय करें – रोजाना 1 घंटे से ज्यादा गेम न खेलने दें।
3. खुलकर बातचीत करें – बच्चे अगर किसी परेशानी में हैं, तो उन्हें सुने।
4. गेमिंग और पढ़ाई के बीच बैलेंस बनाएं।
5. जरूरत पड़ने पर काउंसलिंग कराएं।
लखनऊ का यह मामला सिर्फ एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए चेतावनी है।
अगर समय रहते बच्चों की लत और गलत आदतों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो ऐसी घटनाएं और बढ़ सकती हैं।
सरकार, स्कूल, माता-पिता और समाज – सबको मिलकर बच्चों और युवाओं को सही दिशा देने की जरूरत है।