बिहार से सटे कई जिलों में बुधवार को अचानक भड़के Gen Z युवाओं के आंदोलन ने प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है। सुबह से ही दर्जनों स्थानों पर युवाओं की भीड़ सड़कों पर उतर आई, जिसके बाद पथराव, तोड़फोड़ और हाईवे जाम जैसी घटनाओं ने हालात को तनावपूर्ण बना दिया। आंदोलन की शुरुआत सोशल मीडिया पर चल रहे एक अभियान के तहत हुई, जिसके बाद देखते ही देखते कई इलाकों में प्रदर्शन तेज़ हो गया।

आंदोलन का सबसे ज़्यादा प्रभाव बिहार–झारखंड सीमा, कोसी-बागमती क्षेत्र, पूर्वी उत्तर प्रदेश से सटे इलाके, और सोनांचल के कई कस्बों में देखने को मिला। बड़ी संख्या में युवा—जिन्हें सोशल मीडिया पर “Gen Z Protesters” कहा जा रहा है—सरकार की नीतियों, नौकरी संकट और स्थानीय मुद्दों को लेकर सड़क पर उतर आए।
सुबह से ही सड़क पर उतरी भीड़
गुरुवार तड़के ही कई शहरों में युवाओं का समूह स्थानीय चौराहों पर जमा होने लगा। शुरुआत में प्रदर्शन शांतिपूर्ण था, लेकिन भीड़ बढ़ते ही हालात बिगड़ने लगे।
सबसे पहले खबर मिली कि मोहनपुर, जमालपुर, सीतामढ़ी, हसनपुर, सिवान रोड और गया-बोधगया हाइवे पर अचानक प्रदर्शनकारियों ने सड़क जाम कर दिया। थोड़ी ही देर में पुलिस पहुँची, लेकिन युवाओं ने पथराव शुरू कर दिया। कई स्थानों से यह जानकारी मिली कि प्रदर्शनकारी ट्रकों और बसों को रोककर उनसे उतरने को कह रहे थे। इससे आम यात्रियों में दहशत फैल गई।
हाईवे पर घंटों लगा लंबा जाम
NH-27, NH-28, NH-30 और NH-31 पर यातायात पूरी तरह बाधित रहा।
हाइवे पर 10–12 किलोमीटर तक जाम की स्थिति बन गई।
कई एंबुलेंस भी बीच में फंस गईं, जिससे मरीजों के परिजन परेशान रहे।
स्थानीय दुकानदारों ने बताया कि सुबह 8 बजे के आसपास अचानक सैकड़ों युवक बाइक और पैदल हाइवे पर आए और सड़क पर टायर जलाना शुरू कर दिया। “कुछ ही मिनटों में दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई,” एक दुकानदार ने बताया।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य मांगें
Gen Z आंदोलन का नेतृत्व किसी बड़े संगठन की ओर से नहीं किया जा रहा, बल्कि यह सोशल मीडिया से प्रेरित युवाओं का स्वतःस्फूर्त प्रदर्शन बताया जा रहा है।
उनकी प्रमुख मांगें इस प्रकार सामने आई हैं—
1. समान रोजगार नीति
2. रिक्त पदों पर तुरंत नियुक्ति प्रक्रिया
3. प्रतियोगी परीक्षाओं में पारदर्शिता
4. स्थानीय विकास योजनाओं में युवाओं की भूमिका
5. डिजिटल और टेक सेक्टर में अधिक अवसर
कई युवाओं का कहना है कि पिछले कई वर्षों से भर्ती की प्रक्रिया धीमी है, जिससे उन्हें भविष्य को लेकर चिंता बढ़ रही है।
पथराव में कई वाहनों के शीशे टूटे
सिवान–छपरा मार्ग पर युवाओं ने पथराव कर पुलिस की एक जीप को नुकसान पहुंचाया। गया में बोधगया रोड पर दो बसों के शीशे भी टूटे।
कई जगह पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज कर हालात नियंत्रित करने की कोशिश की, लेकिन भीड़ काफी देर तक उग्र बनी रही।
ऐसी ही स्थिति मुंगेर, खगड़िया, पूर्णिया और चकिया के कई इलाकों में भी देखी गई, जहां पुलिस को बैरिकेड लगाकर भीड़ को दूर करना पड़ा।
सोशल मीडिया पर लाइव स्ट्रीम से बढ़ा तनाव
सबसे चिंताजनक पहलू यह रहा कि कई युवक घटनास्थल से लाइव वीडियो, रील्स, और पोस्ट्स बनाकर जारी करते रहे। इससे अन्य क्षेत्रों के युवा भी भड़क उठे और आंदोलन फैलने लगा।
आईटी सेल और साइबर टीम सोशल मीडिया की निगरानी में जुट गई है कि कहीं कोई बाहरी संगठन इस आंदोलन को हवा तो नहीं दे रहा।
प्रशासन अलर्ट पर, कई जिलों में धारा 144 लागू
कई जिलों में हालात काबू में लाने के लिए जिला प्रशासन ने धारा 144 लागू कर दी है।
उच्च अधिकारियों के निर्देश पर पुलिस ने अतिरिक्त कंपनियाँ तैनात की हैं।
एसपी और डीएम ने लगातार प्रभावित क्षेत्रों में दौरा किया। प्रशासन का कहना है कि युवाओं से संवाद स्थापित कर शांतिपूर्ण समाधान निकालने की कोशिश की जा रही है।
यात्रियों और आम लोगों को भारी परेशानी
हाईवे जाम होने से लाखों लोगों की आवाजाही प्रभावित हुई।
स्कूल, कॉलेज और ऑफिस जाने वाले लोग कई घंटे तक सड़क पर फंसे रहे।
कई परिवार शादी समारोह, अस्पताल और रेल-बस कनेक्शन के लिए निकल रहे थे, जिन्हें अचानक हुई इस स्थिति का सामना करना पड़ा। एक यात्री ने बताया, “हम 3 घंटे से सड़क पर फंसे हैं। कहीं पानी मिल रहा है और न ही कोई सुविधा। सुबह से बच्चे भी भूखे बैठे हैं।”
राजनीतिक बयानबाजी भी तेज
घटना के बाद विपक्ष और सत्ता पक्ष दोनों सक्रिय हो गए हैं।
विपक्ष का कहना है कि सरकार की नीतियाँ युवाओं में आक्रोश पैदा कर रही हैं।
सत्ता पक्ष ने इसे “सोशल मीडिया का गलत प्रभाव” बताया है और कहा कि विपक्ष इस आंदोलन को भड़का रहा है।
शाम तक कई जगह हालात काबू में, पर तनाव बरकरार
दिन भर की मशक्कत के बाद पुलिस ने कई स्थानों पर भीड़ को हटाया और हाइवे पर फंसे वाहनों को धीरे-धीरे निकाला।
हालांकि, शाम 6 बजे तक कई इलाके ऐसे थे जहाँ तनाव बना रहा और पुलिस लगातार फ्लैग मार्च कर रही थी।
अधिकारियों ने बताया कि सभी युवाओं से शांतिपूर्ण ढंग से अपनी बात रखने की अपील की गई है।
प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि उनकी मांगों पर सरकार गंभीरता से विचार करेगी।
