
श्रावण मास में गंगाजल का महत्व और घर में रखने की सही विधि
देवप्रेमियों और आस्थावान हिंदुओं के लिए गंगाजल मात्र जल नहीं, बल्कि अमृत के समान है। यह जल न केवल आध्यात्मिक शुद्धता का प्रतीक है, बल्कि जीवन के प्रत्येक संस्कार और धार्मिक कार्य में इसकी अनिवार्य भूमिका है। सनातन परंपरा में इसकी इतनी महत्ता है कि जन्म से लेकर मृत्यु तक इसका प्रयोग आवश्यक माना गया है।
श्रावण मास में शिवभक्त कांवड़ यात्रा कर सैकड़ों किलोमीटर की यात्रा करके गंगाजल लाते हैं, जिसे वे बाबा भोलेनाथ को अर्पित करते हैं। मान्यता है कि इस पवित्र जल से शिव अभिषेक करने पर समस्त पापों से मुक्ति मिलती है और पुण्य की प्राप्ति होती है।
गंगाजल का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व
सनातन धर्म के शास्त्रों के अनुसार, गंगाजी का उद्भव भगवान श्रीहरि विष्णु के चरणों से हुआ और वे भगवान शिव की जटाओं से होती हुई पृथ्वी पर अवतरित हुईं। इसी कारण यह जल दैवीय और अमृततुल्य माना जाता है। गंगाजल की विशेषता यह है कि यह वर्षों तक खराब नहीं होता और अपनी पवित्रता बनाए रखता है।
गंगाजल को रखने के नियम: क्या करें और क्या न करें?
गंगाजल को कहां रखें?
गंगाजल को कभी भी घर के किसी भी कोने में रखने की गलती न करें। शास्त्रों के अनुसार गंगाजल को घर के ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व दिशा में रखना सबसे शुभ होता है। यदि यह दिशा उपलब्ध न हो, तो उत्तर या पूर्व दिशा को प्राथमिकता दें। इन दिशाओं को देवताओं की दिशा माना जाता है और इनसे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
किस बर्तन में रखें गंगाजल?
गंगाजल को रखने के लिए धातु के पात्र का उपयोग करें। प्लास्टिक या रबर के बर्तन में गंगाजल रखना उसकी पवित्रता को कम कर सकता है। तांबा (कॉपर) और पीतल (ब्रास) को सबसे उत्तम धातु माना गया है। इन धातुओं में जल को रखने से उसकी ऊर्जा और पवित्रता बनी रहती है।
गंगाजल को अपवित्र अवस्था में न छुएं
गंगा देवी को सनातन परंपरा में देवी का दर्जा प्राप्त है। जिस प्रकार हम देवी-देवताओं की मूर्तियों को पवित्र अवस्था में ही छूते हैं, ठीक वैसे ही गंगाजल को भी अशुद्ध हाथों, स्नान न किए हुए शरीर या किसी भी अपवित्र अवस्था में नहीं छूना चाहिए। इससे उसकी पवित्रता पर आघात होता है।
गंगाजल के घर में रखने से होते हैं कई लाभ
गंगाजल को घर में रखने और नियमित रूप से छिड़काव करने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
यह जल वास्तु दोष को भी दूर करता है और घर में सुख-शांति एवं समृद्धि बनाए रखता है।
सुबह पूजा से पहले घर के मुख्य द्वार और हर कमरे में थोड़ा-थोड़ा गंगाजल छिड़कने से घर का वातावरण पवित्र और ऊर्जा से भरा रहता है।
पूजा में गंगाजल का उपयोग
श्रावण मास में शिव पूजा में गंगाजल का विशेष महत्व है। ‘गंगा जल से अभिषेक किए बिना भोलेनाथ की पूजा अधूरी मानी जाती है।’ साथ ही श्रीकृष्ण के चरणामृत बनाने में भी गंगाजल का प्रयोग बहुत शुभ फलदायक माना गया है।
गंगाजल को किसी भी शुद्ध जल में मिलाने से वह भी पवित्र हो जाता है। इसलिए यदि आपके पास सीमित मात्रा में गंगाजल है, तो आप उसे सामान्य जल में मिलाकर उसका प्रयोग कर सकते हैं।
ध्यान रखने योग्य बातें:
1. गंगाजल को कभी शौचालय या रसोईघर के पास न रखें। ये स्थान अपवित्र माने जाते हैं।
2. गंगाजल को पवित्र स्थान पर ऊँचाई पर रखें, जहां हाथ लगाने से पहले श्रद्धा का भाव आए।
3. यदि किसी कारणवश गंगाजल गिर जाए, तो उस स्थान को गंगाजल से ही पुनः पवित्र कर लें।
4. गंगाजल से अग्नि संस्कार, गृह प्रवेश, नामकरण, यज्ञ जैसे अनेक धार्मिक कार्यों में इसका उपयोग अनिवार्य रूप से होता है।
गंगाजल से जुड़ी एक रोचक मान्यता
सनातन धर्म में यह मान्यता है कि जब भी कोई व्यक्ति गंगाजल से स्नान करता है या उसका स्पर्श करता है, तो उसके जीवन के पाप धुल जाते हैं और आत्मा शुद्ध होती है। यही कारण है कि अंत समय में गंगाजल पिलाना या शव यात्रा से पहले मुख में गंगाजल देना बहुत जरूरी माना जाता है।
गंगाजल सिर्फ जल नहीं, बल्कि आस्था, परंपरा और आध्यात्मिकता का स्रोत है। यदि इसे नियमपूर्वक और श्रद्धा के साथ घर में रखा जाए, तो यह जीवन में शांति, सुख, समृद्धि और मोक्ष तक का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।
🙏 श्रद्धा से रखे गए गंगाजल का असर जीवन में चमत्कारिक परिवर्तन ला सकता है। इस श्रावण मास में शिवपूजन के साथ गंगाजल का प्रयोग करें और आस्था से जुड़े इस अमृत तुल्य जल की कृपा पाएं। 🙏
🚩 हर हर गंगे! 🚩