गिरिडीह जिले के डुमरी थाना क्षेत्र में अवैध शराब तस्करी के खिलाफ उत्पाद विभाग को एक बड़ी सफलता हाथ लगी है। उत्पाद विभाग की टीम ने गुरुवार देर रात गुप्त सूचना के आधार पर एक ट्रक को पकड़ा, जिसमें भारी मात्रा में विदेशी शराब की खेप बिहार भेजी जा रही थी। यह कार्रवाई शराब माफिया के सक्रिय नेटवर्क और उनके नए-नए तरीकों की पोल खोलती है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, ट्रक के आगे वाले हिस्से में आलू की बोरियाँ लदी थीं ताकि पुलिस या विभागीय टीमों को शक न हो। लेकिन, गहन जांच के दौरान ट्रक के पिछले हिस्से से 800 पेटी विदेशी शराब बरामद की गई, जिसे बेहद चतुराई से छिपाया गया था। जब्त शराब की अनुमानित बाजार कीमत लगभग 75 लाख रुपये बताई जा रही है। उत्पाद विभाग के अधिकारियों के अनुसार, यह तस्करी गिरोह लंबे समय से बिहार में शराब की अवैध सप्लाई कर रहा था और यह खेप भी उसी नेटवर्क का हिस्सा थी।
कैसे पकड़ी गई तस्करी की यह खेप?
उत्पाद विभाग के मुताबिक, उन्हें एक विश्वसनीय स्रोत से सूचना मिली थी कि एक ट्रक में कृषि उपज के नाम पर भारी मात्रा में विदेशी शराब बिहार की ओर भेजी जा रही है। सूचना मिलते ही विभाग ने डुमरी थाना क्षेत्र में विशेष नाकाबंदी की। देर रात एक ट्रक के संदिग्ध रूप से गुजरने पर उसे रोका गया। जब चालक और उसके साथी घबराए दिखाई दिए, तो टीम ने ट्रक की तलाशी शुरू की।
तलाशी के दौरान जैसे ही आलू की बोरियाँ हटाईं गईं, उसके नीचे शराब की पेटियां मिलने लगीं। इसके बाद अधिकारियों ने तुरंत पूरी खेप को जब्त किया और ट्रक में सवार चारों तस्करों को हिरासत में ले लिया। टीम के अनुसार, यह तस्करी “कृषि उपज का बहाना” बनाकर की जाती थी ताकि किसी को शक न हो।
गिरफ्तार हुए चारों तस्कर
कार्रवाई में गिरफ्तार किए गए चार अभियुक्तों की पहचान इस प्रकार हुई है—
1. हरिंदर सिंह
2. बिंदर सिंह
3. हरपीत सिंह
4. दीपक कुमार
रिपोर्ट के अनुसार, ये सभी पंजाब और हरियाणा के निवासी हैं और लंबे समय से शराब तस्करी से जुड़े नेटवर्क से संपर्क में थे। विभाग अब इनसे पूछताछ कर उनकी सप्लाई चैन और तस्करी नेटवर्क की गहराई से जांच कर रहा है।
तस्करी का ‘कृषि उपज रूट’ क्या है?
अधिकारियों के मुताबिक, शराब माफिया अब तस्करी करने के लिए नए-नए उपाय अपना रहे हैं। इनमें सबसे चर्चित तरीका है – कृषि उपज को आगे रखकर अवैध चीजों की स्मगलिंग करना। आलू, प्याज या अन्य कृषि सामग्रियों के सहारे शराब की पेटियाँ पीछे छिपा दी जाती हैं ताकि पुलिस की चेकिंग में आसानी से पकड़ा न जा सके।
इस मामले में भी यही तरीका अपनाया गया था। उत्पाद विभाग ने इस तस्करी रूट को “कृषि उपज का बहाना” बताते हुए इसे एक सुनियोजित और संगठित नेटवर्क बताया।
75 लाख की शराब—बिहार में क्यों भेजी जा रही थी?
बिहार में शराबबंदी लागू होने के बाद से विदेशी और देशी शराब की तस्करी में जबरदस्त इजाफा हुआ है। तस्कर पंजाब, हरियाणा, झारखंड और उत्तर प्रदेश से शराब की खेप बिहार में भेजते हैं, जहां अवैध बाजार में इसे कई गुना कीमत पर बेचा जाता है।
उत्पाद विभाग के सूत्रों की मानें, तो पकड़ी गई 800 पेटियों की यह खेप भी पटना, नालंदा और नवादा जिलों में सप्लाई की जानी थी। इससे जुड़े और बड़े माफिया कौन हैं, इसकी जांच अब तेज कर दी गई है।
उत्पाद विभाग की बड़ी सफलता, आगे भी जारी रहेगा अभियान
उत्पाद विभाग ने इस कार्रवाई को बड़ी सफलता करार दिया है और कहा है कि शराब तस्करी रोकने के लिए विभाग लगातार सक्रिय है। अधिकारियों के अनुसार, इस कार्रवाई के बाद नेटवर्क से जुड़े अन्य तस्करों पर भी दबाव बढ़ा है और आने वाले दिनों में और बड़ी गिरफ्तारियों की संभावना है।
उत्पाद अधीक्षक ने कहा—
“हमारी टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर इस बड़े नेटवर्क को पकड़ा है। अवैध शराब तस्करी के खिलाफ हमारी कार्रवाई आगे भी जारी रहेगी। कानून का उल्लंघन करने वालों को किसी भी हाल में बख्शा नहीं जाएगा।”
फॉरेंसिक और दस्तावेज़ों की जांच भी शुरू
शराब की खेप के साथ मिले बिल, रसीद, ट्रांसपोर्ट पेपर और जीएसटी दस्तावेजों की भी जांच की जा रही है। संदेह है कि इनमें से अधिकांश कागजात फर्जी हो सकते हैं। यदि ऐसा पाया जाता है, तो संबंधित माफिया के खिलाफ आर्थिक अपराध शाखा भी कार्रवाई कर सकती है।
स्थानीय लोगों ने की सराहना
डुमरी क्षेत्र के स्थानीय लोगों ने उत्पाद विभाग की इस कार्रवाई की प्रशंसा की है। ग्रामीणों का कहना है कि यदि इस तरह की तस्करी पर अंकुश लगाया जाता है, तो क्षेत्र में अपराध और अवैध गतिविधियों पर भी लगाम लगेगी।
