
Giridih: गिरिडीह में जंगली मशरूम बना ज़हर: एक ही परिवार के 6 लोग फूड पॉइजनिंग के शिकार, सदर अस्पताल में भर्ती।
गिरिडीह। गिरिडीह जिले के जमुआ थाना क्षेत्र के घाघरा गांव में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां जंगली मशरूम (स्थानीय भाषा में खुखड़ी) खाने के बाद एक ही परिवार के छह सदस्य गंभीर फूड पॉइजनिंग का शिकार हो गए। इस घटना ने न केवल इलाके में हड़कंप मचा दिया है, बल्कि जंगली खाद्य पदार्थों के सेवन को लेकर लोगों में डर भी पैदा कर दिया है।
खेत में उगे मशरूम को समझा सुरक्षित, बन गया जानलेवा भोजन
घटना तब घटी जब राजेश प्रसाद वर्मा के परिवार ने खेत में उग आए जंगली मशरूम को प्राकृतिक और सुरक्षित मानते हुए उसकी सब्जी बनाई। परिवार के सभी सदस्यों ने भोजन किया, लेकिन कुछ ही समय बाद सभी को उल्टी, दस्त और पेट में तेज दर्द की शिकायत होने लगी। हालत तेजी से बिगड़ती देख परिजनों ने पहले स्थानीय अस्पताल में इलाज कराया, लेकिन वहां से डॉक्टरों ने स्थिति गंभीर होने पर सभी को गिरिडीह सदर अस्पताल रेफर कर दिया।
बीमारों में बच्चे और महिलाएं भी शामिल
फूड पॉइजनिंग के शिकार हुए लोगों में छोटे बच्चे और महिलाएं शामिल हैं। पीड़ितों में सोनम कुमारी (13 वर्ष), वर्षा कुमारी (11 वर्ष), आयुष कुमार (7 वर्ष), अभिलाषा कुमारी, अनिता देवी और परिवार के मुखिया राजेश प्रसाद वर्मा का नाम शामिल है। सभी का इलाज गिरिडीह सदर अस्पताल में चल रहा है और डॉक्टरों के अनुसार फिलहाल उनकी हालत स्थिर है, लेकिन कुछ समय के लिए सभी को ऑब्ज़र्वेशन में रखा गया है।
डॉक्टरों ने जताई चेतावनी
डॉक्टरों ने इस घटना को गंभीरता से लेते हुए लोगों को चेतावनी दी है कि वे जंगल या खेतों में उगे अनजान किस्म के मशरूम या अन्य जंगली खाद्य पदार्थों का सेवन न करें। कई बार ये मशरूम जहरीले होते हैं और इनकी पहचान आम लोगों के लिए मुश्किल होती है। सही पहचान न होने पर यह जानलेवा साबित हो सकता है।
ग्रामीणों में डर का माहौल
इस घटना के बाद घाघरा गांव और आसपास के इलाके में दहशत का माहौल है। ग्रामीणों का कहना है कि वे अक्सर बारिश के मौसम में खेतों और जंगलों से खुखड़ी लाकर खाते हैं, लेकिन ऐसा हादसा पहले कभी नहीं हुआ। अब लोग प्राकृतिक रूप से उगे खाद्य पदार्थों के प्रति सतर्क हो गए हैं।
प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की ओर से कार्रवाई
फूड सेफ्टी विभाग की एक टीम ने मौके पर पहुंचकर उस मशरूम के सैंपल लिए हैं, जिसकी सब्जी बनाकर खाई गई थी। साथ ही स्वास्थ्य विभाग ने आसपास के गांवों में जागरूकता अभियान शुरू करने की बात कही है, ताकि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
घाघरा गांव की यह घटना एक गंभीर चेतावनी है कि प्राकृतिक खाद्य पदार्थों को आंख मूंदकर सुरक्षित मानना खतरनाक हो सकता है। हालांकि फिलहाल पीड़ितों की हालत स्थिर है, लेकिन समय पर इलाज न मिलता तो स्थिति और भयावह हो सकती थी। यह घटना हमें सिखाती है कि खानपान को लेकर सतर्कता ही सबसे बड़ी सुरक्षा है।