पटना। मौलाना अरशद मदनी के हालिया बयान ने देश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। उनके बयान पर केंद्रीय मंत्री और बिहार के बेगूसराय से सांसद गिरिराज सिंह ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि “मदनी हमेशा भड़काऊ बयान देते हैं और जिन्ना की विचारधारा का समर्थन करते हैं। ऐसे बयान सामाजिक सौहार्द को तोड़ने का काम करते हैं।” इस बयान के सामने आने के बाद बिहार से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक राजनीति गरमा गई है।

मौलाना मदनी ने हाल ही में एक कार्यक्रम में दिए अपने बयान में ऐसी बातें कही थीं जिन्हें कुछ राजनीतिक दलों ने विवादित बताया। सोशल मीडिया पर उनका यह बयान तेजी से वायरल हुआ, जिसके बाद राजनीतिक हलकों में चर्चा तेज हो गई। इसी कड़ी में गिरिराज सिंह ने खुलकर मदनी पर निशाना साधा और उन्हें ‘जिन्ना समर्थक’ बताते हुए आरोप लगाया कि वे जानबूझकर देश के माहौल को खराब करने वाली बातें करते हैं।
गिरिराज सिंह का बड़ा हमला
गिरिराज सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मौलाना मदनी का इतिहास ही भड़काऊ बयानों से भरा है।
उन्होंने कहा—
“मदनी साहब हमेशा ऐसे बयान देते हैं जो देश को विभाजित करने का काम करते हैं। यह वही लोग हैं जो जिन्ना की विचारधारा को बढ़ावा देते हैं। देश को तोड़ने वाली भाषा बोलकर यह लोग देश के मुसलमानों को भी गुमराह करते हैं।”
उन्होंने आगे कहा कि भारत की जनता अब ऐसे लोगों के असली चेहरे को पहचान चुकी है और देश की एकता के खिलाफ बात करने वालों को किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
बयान से बढ़ा राजनीतिक पारा
मदनी के बयान को लेकर पहले भी कई मौकों पर राजनीतिक दलों ने आपत्ति जताई है। लेकिन इस बार मामला इसलिए और गंभीर हो गया क्योंकि इसमें जिन्ना का संदर्भ शामिल है, जो हमेशा से भारतीय राजनीति में संवेदनशील मुद्दा रहा है।
बीजेपी नेताओं का कहना है कि मदनी जानबूझकर ऐसे बयान देते हैं जिनसे हिंदू-मुस्लिम के बीच खाई बढ़े। वहीं विपक्षी दलों का कहना है कि बीजेपी इस मुद्दे को चुनावी फायदे के लिए उछाल रही है।
समाज में क्या प्रभाव?
समाज के कई बुद्धिजीवी और विश्लेषकों का मानना है कि धर्म आधारित बयानबाजी से समाज में तनाव बढ़ता है। उनका कहना है कि ऐसे बयानों को राजनीतिक मंचों से बढ़ावा नहीं मिलना चाहिए।
कुछ लोगों का यह भी कहना है कि धार्मिक और वैचारिक मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन यह मतभेद जब सामाजिक समरसता को भंग करने लगें तो यह गंभीर चिंता का विषय बन जाता है।
मदनी के समर्थकों की सफाई
मदनी के समर्थकों का कहना है कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है। उनका दावा है कि मौलाना का उद्देश्य किसी समुदाय को भड़काना नहीं था, बल्कि ऐतिहासिक संदर्भों में अपनी बात रखना था। हालांकि इस दलील को लेकर भी अलग-अलग प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
गिरिराज सिंह ने की जांच की मांग
गिरिराज सिंह ने केंद्र सरकार और संबंधित एजेंसियों से मांग की है कि ऐसे बयानों की जांच होनी चाहिए और यदि यह देश के कानूनों के खिलाफ पाए जाएं तो कार्रवाई भी की जानी चाहिए। उनका कहना है कि किसी को भी अभिव्यक्ति की आज़ादी के नाम पर देश विरोधी विचारधारा फैलाने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
चुनावी मौसम में बयानबाजी तेज
बिहार और कई अन्य राज्यों में चुनावी माहौल धीरे-धीरे बन रहा है। ऐसे समय में इस तरह के बयान और पलटवार राजनीतिक पार्टियों के लिए हथियार बन जाते हैं। विश्लेषकों का मानना है कि दोनों पक्ष अपने-अपने वोट बैंक को साधने की कोशिश कर रहे हैं।
गिरिराज सिंह का यह बयान भी इसी राजनीतिक संदर्भ में देखा जा रहा है।
सोशल मीडिया पर हंगामा
जैसे ही गिरिराज सिंह की प्रतिक्रिया सामने आई, सोशल मीडिया पर #MadaniControversy और #GirirajSingh ट्रेंड करने लगे।
दोनों समुदायों और राजनीतिक विचारधाराओं से जुड़े लोगों ने अपनी राय सामने रखी।
कुछ ने गिरिराज सिंह के बयान को सही ठहराया, तो कुछ ने इसे राजनीतिक स्टंट करार दिया।
क्या कहती है जनता?
जमीनी स्तर पर लोगों की राय बंटी हुई दिखाई देती है। जहां कुछ लोग मौलाना मदनी के बयान को अनुचित मानते हैं, वहीं कुछ लोगों का कहना है कि विवाद को बेवजह बढ़ाया जा रहा है।
लेकिन एक बात सभी मानते हैं कि इस तरह के बयान और आरोप-प्रत्यारोप समाज को बांटने का काम करते हैं।
मौलाना मदनी के विवादित बयान और उस पर गिरिराज सिंह की कड़ी प्रतिक्रिया ने राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है। दोनों पक्ष अपनी-अपनी दलील पर अड़े हैं, लेकिन इसका असर देश की सामाजिक एकता पर पड़ता दिखाई दे रहा है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यह विवाद किस मोड़ पर जाकर खत्म होता है या आने वाली राजनीति में इसका कैसे उपयोग किया जाता है।
