
Gopal Khemka murder case: जमीन विवाद में सुपारी देकर हत्या, बेऊर जेल से जुड़े तार।
पटना। पटना में शनिवार को उस समय सनसनी फैल गई जब यह सामने आया कि बिहार के बड़े कारोबारी गोपाल खेमका की हत्या जमीन विवाद को लेकर सुपारी देकर करवाई गई है। वर्षों से व्यवसाय और सामाजिक क्षेत्र में सक्रिय खेमका परिवार पहले भी ऐसे हमले झेल चुका है, जब वर्ष 2018 में उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या की गई थी। अब एक बार फिर वही दर्द, वही साजिश दोहराई गई है, लेकिन इस बार निशाना खुद गोपाल खेमका बने।
हत्या का मकसद: जमीन विवाद और पुरानी दुश्मनी
जांच में सामने आया है कि गोपाल खेमका की हत्या किसी तात्कालिक गुस्से या झगड़े का परिणाम नहीं, बल्कि पूर्व नियोजित साजिश का हिस्सा थी। जमीन से जुड़े पुराने विवाद और पारिवारिक दुश्मनी ने इस हत्या को जन्म दिया है। पुलिस के अनुसार, हत्या को अंजाम देने से पहले पूरी रेकी की गई, और लाइनर-शूटर पहले से तय थे।
कैसे रची गई साजिश?
खेमका पर नजर रखने के लिए एक लाइनर तैनात था, जिसे यह जानकारी थी कि वे रोज़ बांकीपुर क्लब से रामगुलाम चौक होते हुए अकेले घर लौटते हैं। शुक्रवार की रात को भी जैसे ही खेमका क्लब से निकले, लाइनर ने शूटर को सूचना दी। जैसे ही वे अपने घर के गेट पर पहुंचे, शूटर ने केवल 5 सेकेंड में पास आकर कार की दाहिनी खिड़की से कनपटी पर गोली मार दी।
गोली सिर में धंस गई और मौके पर ही उनकी मौत हो गई। उन्हें तुरंत मेडिवर्सल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
बेऊर जेल से जुड़े तार, अजय वर्मा से पूछताछ
इस हत्याकांड की साजिश में बेऊर जेल में बंद कुख्यात अपराधी अजय वर्मा की भूमिका पर भी संदेह जताया जा रहा है। पटना पुलिस ने शनिवार को बड़ी कार्रवाई करते हुए कमिश्नर, आईजी, एसएसपी, चार सिटी एसपी, कई डीएसपी और 12 थानेदारों के साथ जेल में छापेमारी की।
अजय वर्मा से करीब 20 मिनट तक पूछताछ की गई। पुलिस को शक है कि हत्या उसकी सुपारी गैंग के जरिए करवाई गई।
कार्रवाई तेज, SIT गठित
गोपाल खेमका के छोटे बेटे डॉ. गौरव खेमका के बयान पर गांधी मैदान थाने में अज्ञात के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
पुलिस ने फतुहा के औद्योगिक क्षेत्र और आरा में छापेमारी कर 5 लोगों को हिरासत में लिया है।
सिटी SP दीक्षा के नेतृत्व में 35 सदस्यीय SIT गठित की गई है जिसमें पटना पुलिस, STF और पुलिस मुख्यालय की टीम शामिल है।
बेटे की हत्या के आरोपी पहले भी जेल जा चुके हैं
खेमका परिवार पहले भी ऐसी त्रासदी झेल चुका है। 20 दिसंबर 2018 को उनके बेटे गुंजन खेमका की हत्या हाजीपुर में पेपर मिल के गेट के पास दिनदहाड़े कर दी गई थी। इस मामले में भी जमीन विवाद सामने आया था। गुंजन को तीन गोलियां मारी गई थीं और उनके ड्राइवर को भी गोली लगी थी।
इस केस में पुलिस ने अभिषेक कुमार उर्फ मस्तु वर्मा, अरुण कुमार चौधरी, उनके बेटे आनंद कुमार चौधरी और राहुल आनंद उर्फ चीकू को गिरफ्तार किया था। चारों को जेल भेजा गया था। इनमें से तीन अभी जमानत पर बाहर हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सख्त रुख
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस हत्याकांड को गंभीरता से लेते हुए DGP विनय कुमार से पूरी जानकारी ली और निर्देश दिया कि इस मामले में बिना किसी भेदभाव के सख्त कार्रवाई की जाए।
उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी स्तर पर लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों को चिन्हित कर कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा कि साजिशकर्ता और क्रियान्वयन करने वाले, दोनों के खिलाफ एक समान सख्त रुख अपनाया जाए।
गोपाल खेमका की हत्या सिर्फ एक व्यवसायी की हत्या नहीं है, यह बिहार में संगठित अपराध और जमीन माफिया के गहरे जाल की ओर इशारा करती है। यह केस दर्शाता है कि कैसे पुराने जमीनी विवाद वर्षों बाद भी खून-खराबे का रूप ले सकते हैं। अब देखना यह है कि पुलिस और प्रशासन इस हाई प्रोफाइल केस को कितनी पारदर्शिता और सख्ती से अंजाम तक पहुंचाते हैं।