
नई दिल्ली। देश की आर्थिक नीतियों और कर सुधारों से जुड़ी सबसे बड़ी बैठक GST काउंसिल आज दिल्ली में आयोजित होने जा रही है। इस बैठक में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री शामिल होंगे। बैठक का मुख्य एजेंडा राज्यों की आर्थिक स्थिति, टैक्स संग्रहण में आ रही चुनौतियां और केंद्र सरकार से क्षतिपूर्ति अनुदान (Compensation Grant) की मांग रहेगा। खासकर झारखंड ने इस बैठक में अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने के लिए केंद्र से विशेष पैकेज और लंबित क्षतिपूर्ति राशि की मांग रखने का ऐलान किया है।
झारखंड का रुख: क्षतिपूर्ति अनुदान की मांग
झारखंड सरकार का कहना है कि राज्य में जीएसटी लागू होने के बाद परंपरागत कर संग्रहण पर असर पड़ा है। उद्योगों और खनन गतिविधियों से मिलने वाले राजस्व में भी कमी आई है। ऐसे में राज्य सरकार का दावा है कि उसे केंद्र से जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि समय पर और पर्याप्त मात्रा में नहीं मिल पा रही है। वित्त विभाग के सूत्रों के अनुसार, झारखंड इस बैठक में केंद्र से हजारों करोड़ रुपये के क्षतिपूर्ति अनुदान की मांग करेगा ताकि विकास योजनाओं, स्वास्थ्य, शिक्षा और बुनियादी ढांचे पर काम में तेजी लाई जा सके।
जीएसटी काउंसिल बैठक का एजेंडा
आज होने वाली बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा होगी। इनमें –
1. राज्यों को जीएसटी क्षतिपूर्ति राशि जारी करना।
2. नई वस्तुओं और सेवाओं पर टैक्स दरों की समीक्षा।
3. ई-कॉमर्स सेक्टर में टैक्स अनुपालन को आसान बनाने पर विचार।
4. लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के लिए टैक्स ढांचा सरल करना।
5. राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए विशेष वित्तीय मुद्दों पर चर्चा।
सूत्रों का कहना है कि इस बैठक में पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने पर भी विचार किया जा सकता है। हालांकि, इस पर सभी राज्यों की सहमति जरूरी होगी।
झारखंड की आर्थिक स्थिति
झारखंड की अर्थव्यवस्था काफी हद तक खनिज संसाधनों और उद्योगों पर आधारित है। कोयला, लौह अयस्क और अन्य खनिजों के उत्पादन से राज्य को बड़ा राजस्व मिलता रहा है। लेकिन जीएसटी लागू होने के बाद राज्य के पारंपरिक टैक्स संग्रहण स्रोतों में गिरावट आई है। राज्य सरकार का कहना है कि अगर केंद्र से क्षतिपूर्ति अनुदान समय पर मिले, तो स्वास्थ्य सेवाओं, शिक्षा सुधार, सड़क और बिजली जैसे बुनियादी ढांचे में तेजी लाई जा सकती है।
विपक्ष का बयान
विपक्षी दलों ने भी झारखंड सरकार के रुख का समर्थन किया है। विपक्ष का कहना है कि केंद्र सरकार को राज्यों की वित्तीय स्थिति को ध्यान में रखते हुए क्षतिपूर्ति राशि तुरंत जारी करनी चाहिए। विपक्ष का आरोप है कि जीएसटी लागू करते समय केंद्र ने राज्यों को आश्वासन दिया था कि राजस्व में कमी होने पर उन्हें पांच वर्षों तक क्षतिपूर्ति दी जाएगी। लेकिन कई राज्यों को यह राशि समय पर नहीं मिल रही है, जिससे विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं।
विशेषज्ञों की राय
आर्थिक विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी काउंसिल की बैठक राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय का बड़ा मंच है। विशेषज्ञों का कहना है कि झारखंड जैसे खनन-आधारित राज्यों के लिए क्षतिपूर्ति अनुदान बेहद जरूरी है, क्योंकि इन राज्यों की अर्थव्यवस्था सीधे तौर पर टैक्स संग्रहण पर निर्भर करती है। यदि केंद्र राज्यों को समय पर सहायता प्रदान करता है तो न केवल विकास योजनाएं प्रभावित होंगी बल्कि निवेश माहौल भी बेहतर होगा।
क्या हो सकता है फैसला?
बैठक में संभावना है कि केंद्र सरकार राज्यों को आंशिक क्षतिपूर्ति राशि जारी करने पर सहमति जताए। इसके अलावा, टैक्स दरों में कुछ संशोधन और नए क्षेत्रों को जीएसटी के दायरे में लाने पर भी चर्चा हो सकती है। झारखंड की मांग को देखते हुए यह देखना दिलचस्प होगा कि केंद्र इस पर कितना सकारात्मक रुख अपनाता है।
दिल्ली में होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक राज्यों की आर्थिक स्थिति और केंद्र-राज्य संबंधों के लिए अहम साबित होगी। झारखंड की क्षतिपूर्ति अनुदान की मांग इस बैठक का मुख्य आकर्षण रहेगी। अगर केंद्र सरकार इस पर सकारात्मक फैसला लेती है तो झारखंड समेत अन्य राज्यों को भी राहत मिलेगी और विकास योजनाओं को नई रफ्तार मिलेगी।