
आज से भारत सरकार ने नया GST 2.0 कर ढाँचा लागू कर दिया है, जिसका उद्देश्य आम नागरिकों को राहत देना है और महँगी चीजों पर बोझ बढ़ाना है। इस सुधार के तहत रोजमर्रा की जरूरतें सस्ती होंगी, जबकि लक्जरी और हानिकारक वस्तुओं की कीमत में इज़ाफा होगा। आइए देखें कि किन-किन चीजों के दाम कम होंगे और किन्हें महँगा खरीदना पड़ेगा।
क्या सस्ता होगा?
GST 2.0 लागू होने के बाद निम्न वस्तुएँ सस्ती होंगी:
रोजमर्रा का खाना-पीना:
UHT दूध, पनीर, ब्रेड, रेडी-टू-ईट रोटी-पराठा जैसे डेयरी एवं बेकरी उत्पाद जीरो प्रतिशत GST में आ गए हैं।
खाद्य सामग्री और मिठाइयाँ:
वनस्पति तेल, मक्खन-घी, चीनी, पास्ता, बिस्कुट, चॉकलेट, जूस, नारियल पानी आदि अब 5% GST स्लैब पर आएँगे।
पर्सनल केयर व घरेलू उपयोग:
साबुन, शैम्पू, टूथपेस्ट, शेविंग क्रीम, किचनवेयर, बच्चों की बोतल, घरेलू सामान जैसे हैंडबैग, फर्नीचर आदि सस्ते हो जाएंगे।
शिक्षा और स्वास्थ्य सामग्री:
पेंसिल, नोटबुक, चार्ट, ग्लोब, प्रयोगशाला नोटबुक आदि;
स्वास्थ्य क्षेत्र में जीवनरक्षक दवाइयाँ (जिसमें कैंसर की तीन दवाएँ शामिल हैं), स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियाँ आदि अब GST और टैक्स-छूट की मदद से सस्ती होंगी।
विद्युत उपकरण और वाहन (छोटे/मध्यम):
टीवी, एसी, फ्रिज, मॉनिटर आदि इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, छोटी कारें, 350cc से कम मोटरसाइकिलें, कृषि उपकरण, ट्रैक्टर आदि इस नए टैक्स स्लैब में सस्ते होंगे।
क्या महँगा होगा?
GST 2.0 के लागू होने के बाद नीचे दी गई वस्तुओं की कीमतों में बढ़ोतरी होने की संभावना है:
लक्जरी वाहन और हाई-कैपेसिटी मोटरसाइकिलें:
350cc से अधिक मोटरसाइकिलें, लक्जरी और प्रीमियम कारें, बड़ी SUV आदि पर टैक्स दरें बढ़कर 40% हो जाएँगी।
मनोरंजन और हानिकारक उत्पाद:
सिगरेट, तंबाकू उत्पाद, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, कैफीनयुक्त ड्रिंक्स, जुआ-सट्टा आदि पर टैक्स दरें बढ़ गई हैं।
मनोरंजन स्थल व सेवाएँ:
कैसीनो, जुआ, रेस क्लब आदि जैसी सेवाओं पर टैक्स बढ़ा है,- जिससे इनकी लागत उपभोक्ताओं के लिए बढ़ेगी।
सरकार का मकसद और प्रभाव
महंगाई से जूझ रहे आम लोगों को आर्थिक राहत देना; ज़रूरी समानों को सुलभ बनाना; राजस्व बनाए रखना और उपभोग को नियंत्रित करना कि हानिकारक व विलासिता की वस्तुओं पर कम प्राथमिकता हो।
मध्यम एवं निम्न-आय वर्ग को राहत मिलेगी।
दुकानों, ऑनलाइन व्यापारियों को टैक्स स्लैब परिवर्तन के कारण अपनी कीमतों में संशोधन करना होगा।
आयातित वस्तुओं की कीमतों पर भी असर हो सकता है यदि उन पर इम्पोर्ट टैक्स या अन्य शुल्क हों।
उपभोग व्यवहार बदल सकता है — लोग ज़रूरी वस्तुओं की ओर बढ़ेंगे, विलासितापूर्ण खर्चों में कटौती हो सकती है।
GST 2.0 एक महत्वपूर्ण आर्थिक सुधार है जो दैनिक जीवन को सीधा प्रभावित करेगा। जहाँ ज़रूरी एवं रोजमर्रा की चीजें अब सस्ती होंगी, वहीं लक्जरी और हानिकारक वस्तुओं पर खर्च बढ़ सकता है। आम उपभोक्ता के लिए यह समय है बजट पुनर्विचार का — क्या खरीदें और क्या टालें।