
“क्या आपने कभी सोचा है? फलों पर लगे छोटे-छोटे स्टीकर आखिर क्यों चिपकाए जाते हैं!”
जब आप बाजार से फल खरीदते हैं, तो आपने अक्सर देखा होगा कि सेब, कीवी, केला, संतरा जैसे फलों पर एक छोटा सा स्टीकर चिपका होता है। यह स्टीकर सिर्फ सजावट या ब्रांडिंग के लिए नहीं होता, बल्कि इसके पीछे कई महत्वपूर्ण जानकारियां छिपी होती हैं। आइए जानते हैं कि फलों पर ये स्टीकर क्यों लगाए जाते हैं और इनका क्या मतलब होता है।
1. ब्रांड और सोर्स की जानकारी
इन स्टीकरों पर आमतौर पर उस कंपनी या फार्म का नाम लिखा होता है, जिससे यह फल आया है। इससे पता चलता है कि फल किस ब्रांड या किस देश से आयात हुआ है। यह जानकारी उपभोक्ता के लिए उपयोगी होती है ताकि वह ब्रांड की गुणवत्ता के बारे में जान सके।
2. PLU कोड – फल की पहचान
बहुत से स्टीकरों पर एक PLU (Price Look-Up) कोड भी लिखा होता है, जो कि एक 4 या 5 अंकों की संख्या होती है। इसका उद्देश्य फलों की पहचान करना और यह बताना होता है कि फल:
जैविक (Organic) है
सामान्य (Conventionally grown) है
या Genetically Modified (GMO) है
PLU कोड का मतलब:
4 अंकों का कोड (3 या 4 से शुरू हो): सामान्य खेती से उगाया गया फल
5 अंकों का कोड जो 9 से शुरू हो: जैविक (Organic) फल
5 अंकों का कोड जो 8 से शुरू हो: GMO यानी जेनेटिकली मॉडिफाइड फल
3. सुरक्षा और ट्रैकिंग
यदि फल खाने से किसी को कोई स्वास्थ्य समस्या होती है, तो उस स्टीकर के ज़रिए उस फल के सोर्स या बैच की पहचान की जा सकती है। यह खासकर बड़ी कंपनियों के लिए उपयोगी होता है ताकि वे अपने उत्पादों को ट्रैक कर सकें।
4. ऑटोमेटेड स्कैनिंग और बिलिंग
सुपरमार्केट या बड़ी दुकानों में इन स्टीकरों के कोड स्कैन करके जल्दी से बिलिंग की जा सकती है। यह ग्राहकों और दुकानदारों दोनों के लिए सुविधाजनक होता है।
क्या ये स्टीकर सेहत के लिए हानिकारक हैं?
इन स्टीकरों में इस्तेमाल किया जाने वाला गोंद (adhesive) आमतौर पर खाद्य-सुरक्षित होता है, लेकिन फिर भी फलों को खाने से पहले अच्छे से धो लेना जरूरी है, खासकर अगर छिलका खाने वाला हो (जैसे सेब)।
फल पर लगा स्टीकर महज एक चिपका हुआ टुकड़ा नहीं है, बल्कि वह उस फल की पूरी “पहचान-पत्रिका” है। अगली बार जब आप बाजार जाएं और किसी फल पर स्टीकर देखें, तो उसे नज़रअंदाज न करें। वह आपकी सेहत, आपकी जेब और आपकी जानकारी — तीनों के लिए काम का हो सकता है।