
हजारीबाग खासमहाल जमीन घोटाला झारखंड की सियासत और प्रशासनिक गलियारों में इस समय सबसे चर्चित मामला बन गया है। करोड़ों रुपये के इस कथित घोटाले में कई उच्च अधिकारियों और नेताओं के नाम सामने आए हैं। इसी कड़ी में निलंबित IAS अधिकारी विनय चौबे को एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने 4 दिन की रिमांड पर लिया है। आरोप है कि उन्होंने पद पर रहते हुए खासमहाल की कीमती जमीनों को गलत तरीके से ट्रांसफर करने में अहम भूमिका निभाई।
क्या है हजारीबाग खासमहाल जमीन घोटाला?
हजारीबाग की खासमहाल जमीनें राज्य सरकार के नियंत्रण में आती हैं और इनका उपयोग सार्वजनिक हित, विकास कार्यों और सरकारी जरूरतों के लिए होना चाहिए। आरोप है कि कई सालों से इन जमीनों को बाजार दर से कम कीमत पर, फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर निजी व्यक्तियों और कंपनियों के नाम कर दिया गया। इस घोटाले में सरकारी खजाने को भारी नुकसान हुआ और आम जनता के अधिकारों पर डाका पड़ा।
विनय चौबे की भूमिका पर क्या हैं आरोप?
निलंबित IAS विनय चौबे पर आरोप है कि उन्होंने इस जमीन घोटाले में अपनी पदस्थापना का दुरुपयोग किया। आरोप है कि उन्होंने:
फर्जी दस्तावेज़ों को वैधता दी,
जमीनों के अवैध हस्तांतरण की अनुमति दी,
सरकारी जमीनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने के लिए प्रभावशाली लोगों से मिलीभगत की
ACB रिमांड का उद्देश्य
ACB ने विनय चौबे को चार दिन की रिमांड पर लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। रिमांड के दौरान ACB निम्नलिखित बिंदुओं पर जानकारी जुटाने का प्रयास करेगी:
किन-किन जमीन सौदों में उनकी सीधी या अप्रत्यक्ष भूमिका रही?
इस घोटाले में और कौन से अधिकारी या नेता शामिल हैं?
घोटाले की रकम का प्रवाह कहां-कहां हुआ?
फर्जी कागजात और रजिस्ट्री से जुड़े कौन से दस्तावेज़ तैयार करवाए गए?
अब तक की कार्रवाई
ACB ने मामले से जुड़े कई दस्तावेज़ जब्त किए हैं।
घोटाले से जुड़े अन्य संदिग्ध अधिकारियों और बिचौलियों से भी पूछताछ की जा रही है।
राज्य सरकार ने पहले ही विनय चौबे को निलंबित कर दिया था।
राजनीतिक और प्रशासनिक हलचल
इस घोटाले ने झारखंड के राजनीतिक और प्रशासनिक गलियारों में हलचल मचा दी है। विपक्ष इसे सरकार की बड़ी नाकामी बता रहा है, वहीं सरकार का कहना है कि दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा। इस मामले का असर आगामी प्रशासनिक फेरबदल और राजनीतिक समीकरणों पर भी पड़ सकता है।
जनता की प्रतिक्रिया
स्थानीय लोगों में इस घोटाले को लेकर आक्रोश है। उनका कहना है कि ये जमीनें जनहित के लिए सुरक्षित रहनी चाहिए थीं, लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से इनका निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया। जनता मांग कर रही है कि:
घोटाले की पूरी जांच CBI या उच्च स्तरीय एजेंसी से कराई जाए।
सभी दोषियों को सख्त सजा मिले।
जिन लोगों को अवैध रूप से जमीनें दी गई हैं, उनसे उन्हें वापस लिया जाए।
कानूनी पहलू
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह मामला भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और सरकारी संपत्ति के दुरुपयोग से जुड़े प्रावधानों के तहत आता है। अगर आरोप सिद्ध होते हैं तो दोषियों को 7 साल तक की सजा और जुर्माने का सामना करना पड़ सकता है।
आगे की संभावनाएं
रिमांड खत्म होने के बाद ACB कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर सकती है। साथ ही, इस घोटाले में शामिल अन्य नाम भी सामने आ सकते हैं। यह मामला झारखंड में जमीन से जुड़े घोटालों की काली परतों को उजागर करने वाला साबित हो सकता है।