
ब्लड कैंसर एक गंभीर और जानलेवा बीमारी है, लेकिन इसकी सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अक्सर इसका पता मरीज को तब चलता है जब बीमारी शरीर में काफी हद तक फैल चुकी होती है। शुरुआती चरण में इसके लक्षण इतने सामान्य होते हैं कि लोग उन्हें सामान्य थकान, कमजोरी या अन्य साधारण बीमारियों से जोड़ लेते हैं। यही कारण है कि ब्लड कैंसर को समय रहते पकड़ पाना मुश्किल हो जाता है।
ब्लड कैंसर में असामान्य रूप से बढ़ने वाली कोशिकाएं खून और बोन मैरो को प्रभावित करती हैं। जब ये कोशिकाएं अनियंत्रित रूप से फैलती हैं तो शरीर की सामान्य कार्यप्रणाली बिगड़ जाती है। शुरुआती दौर में इसके संकेत हल्के बुखार, बार-बार संक्रमण होना, शरीर में कमजोरी, बिना कारण वजन घटना, बार-बार नाक से खून आना या त्वचा पर लाल धब्बे जैसी समस्याओं के रूप में दिख सकते हैं। लेकिन चूंकि ये लक्षण कई अन्य सामान्य बीमारियों में भी देखे जाते हैं, इसलिए लोग इन्हें गंभीरता से नहीं लेते।
डॉक्टरों का कहना है कि ब्लड कैंसर की पहचान में देरी का एक बड़ा कारण लोगों का समय पर जांच न कराना भी है। कई बार मरीज महीनों तक थकान, कमजोरी या बार-बार बुखार जैसी समस्याओं को अनदेखा करते रहते हैं। वहीं दूसरी ओर, कुछ मामलों में यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और लक्षण काफी समय बाद स्पष्ट होते हैं।
ब्लड कैंसर का इलाज तभी ज्यादा सफल हो सकता है जब इसका पता शुरुआती स्टेज पर चल जाए। इसलिए यदि लंबे समय तक थकान, बार-बार संक्रमण या असामान्य ब्लीडिंग जैसी समस्या हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और आवश्यक जांच करानी चाहिए।
आज की जीवनशैली, असंतुलित खानपान और प्रदूषण भी इस बीमारी को बढ़ावा देने वाले कारकों में गिने जाते हैं। हालांकि यह जरूरी नहीं कि हर किसी को यह बीमारी हो, लेकिन सावधानी और नियमित स्वास्थ्य जांच से इसका जोखिम कम किया जा सकता है।
इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य जागरूकता के उद्देश्य से लिखी गई है। यह किसी भी तरह से चिकित्सीय सलाह नहीं है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या या लक्षण के लिए डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।