
भारत सरकार ने दवाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए 3 लोकप्रिय कफ सिरप (Cough Syrup) पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध (Ban) लगा दिया है। साथ ही केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य मंत्रालय और ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के माध्यम से 5 ऐसे रासायनिक तत्वों (Chemical Compounds) के इस्तेमाल से बचने की सलाह दी है, जो कफ सिरप जैसी दवाओं में आम तौर पर पाए जाते हैं और स्वास्थ्य के लिए गंभीर रूप से हानिकारक साबित हो सकते हैं।
क्यों लगाया गया बैन?
सरकारी रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाल ही में सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (CDSCO) द्वारा कई राज्यों से लिए गए सैंपल्स में पाया गया कि कुछ कफ सिरप में खतरनाक रासायनिक अवयव (toxic ingredients) मौजूद हैं।
इनमें से कुछ पदार्थों के सेवन से किडनी, लिवर और नर्वस सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है। इसके अलावा, बच्चों और बुजुर्गों में इन सिरप्स से सांस लेने में दिक्कत, ब्लड प्रेशर असंतुलन और बेहोशी जैसे लक्षण पाए गए।
सरकार ने इन रिपोर्ट्स के आधार पर विशेषज्ञों की एक कमेटी गठित की थी, जिसने जांच के बाद 3 सिरप पर तुरंत बैन लगाने की सिफारिश की।
बैन किए गए 3 कफ सिरप कौन से हैं?
हालांकि सरकार ने अभी तक कंपनियों के नाम सार्वजनिक नहीं किए हैं, लेकिन सूत्रों के मुताबिक यह तीनों सिरप छोटे बच्चों और खांसी-जुकाम के मरीजों में इस्तेमाल किए जा रहे थे।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को निर्देश दिया है कि इन सिरप्स के बचे हुए स्टॉक को तुरंत बाजार से जब्त किया जाए और इनके उत्पादन एवं वितरण पर रोक लगाई जाए।
5 खतरनाक पदार्थ जिनसे बचने की चेतावनी
स्वास्थ्य मंत्रालय ने डॉक्टरों और फार्मासिस्टों को सलाह दी है कि वे ऐसे कफ सिरप या दवाएं प्रिस्क्राइब न करें जिनमें ये पांच पदार्थ शामिल हों:
1. कोडीन (Codeine) – यह एक ओपिओइड कंपाउंड है जो लत लगने और सेंट्रल नर्वस सिस्टम को दबाने का कारण बन सकता है।
2. डेक्स्ट्रोमेथॉर्फन (Dextromethorphan) – ज्यादा मात्रा में सेवन से भ्रम, चक्कर और मानसिक असंतुलन हो सकता है।
3. क्लोरफेनिरामाइन (Chlorpheniramine) – एलर्जी में राहत देता है, लेकिन नींद, कमजोरी और सांस की दिक्कतें पैदा कर सकता है।
4. स्यूडोएफ़ेड्रिन (Pseudoephedrine) – हृदय गति बढ़ा सकता है और हाई ब्लड प्रेशर वालों के लिए खतरनाक है।
5. अल्कोहल बेस्ड सॉल्वेंट्स (Alcohol-based solvents) – बच्चों में जिगर और मस्तिकारात्मक प्रष्क पर नभाव डाल सकते हैं।
बच्चों के लिए खास चेतावनी
कफ सिरप का उपयोग 2 साल से कम उम्र के बच्चों में करना पहले से ही जोखिम भरा माना जाता है। अब सरकार ने साफ तौर पर कहा है कि माता-पिता बिना डॉक्टर की सलाह के कफ सिरप बच्चों को न दें।
विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चों की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होती है, और इन सिरप्स में मौजूद रासायनिक तत्व उनके शरीर के लिए बहुत हानिकारक साबित हो सकते हैं।
फार्मा कंपनियों पर सख्ती
सरकार ने फार्मास्यूटिकल कंपनियों को निर्देश दिया है कि वे अपने उत्पादों के फॉर्म्युलेशन (Formulation) की पुन: समीक्षा करें और यदि इनमें खतरनाक पदार्थ शामिल हैं, तो तुरंत उनका विकल्प तैयार करें।
ड्रग्स कंट्रोल विभाग आने वाले हफ्तों में देशभर की फैक्ट्रियों का औचक निरीक्षण (surprise inspection) करेगा।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चिंता
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने भी कई देशों में भारतीय निर्मित कफ सिरप्स के कारण बच्चों की मौत की घटनाओं पर चिंता जताई थी। इसके बाद भारत सरकार ने कफ सिरप के निर्यात के लिए टेस्टिंग सर्टिफिकेट अनिवार्य कर दिया था।
अब यह बैन उसी नीति का विस्तार है ताकि भारत में भी लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके।
डॉक्टरों की सलाह
विशेषज्ञ डॉक्टरों का कहना है कि खांसी या जुकाम के शुरुआती लक्षणों में बिना डॉक्टर की सलाह के कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए।
गर्म पानी, भाप लेना, अदरक-शहद जैसे घरेलू नुस्खे कई बार बेहतर विकल्प साबित होते हैं।
अगर खांसी 7 दिनों से ज्यादा बनी रहे या बुखार के साथ हो, तो तुरंत डॉक्टर से जांच करानी चाहिए।
जनता के लिए सरकार की अपील
स्वास्थ्य मंत्रालय ने लोगों से अपील की है कि वे अपने घरों में रखे सभी कफ सिरप्स की लेबल जांचें, और अगर इनमें ऊपर बताए गए किसी भी तत्व का नाम लिखा है, तो उनका सेवन तुरंत बंद करें।
राज्य सरकारों से भी कहा गया है कि वे जनजागरूकता अभियान (Awareness Campaign) चलाकर लोगों को जागरूक करें।
भविष्य की कार्रवाई
केंद्र सरकार ने कहा है कि आगे भी सभी ओवर-द-काउंटर (OTC) दवाओं की क्वालिटी टेस्टिंग को सख्त किया जाएगा।
फार्मा कंपनियों को अब हर उत्पाद के लिए सेफ्टी डेटा और टॉक्सिकोलॉजिकल रिपोर्ट देना अनिवार्य होगा।
सरकार का यह कदम जनता की सेहत की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है।
कफ सिरप जैसी आम दवाएं भले ही घरेलू उपयोग में आती हों, लेकिन इनमें मौजूद खतरनाक तत्व गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि इस बैन से देश में सेफ मेडिसिन कल्चर (Safe Medicine Culture) को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में ऐसी घटनाओं पर रोक लगेगी।