मिर्गी एक न्यूरोलॉजिकल (तंत्रिका तंत्र से जुड़ी) बीमारी है, जिसमें दिमाग की कोशिकाओं की असामान्य गतिविधि के कारण बार-बार दौरे पड़ते हैं। यह समस्या हर व्यक्ति में अलग तरह से दिखाई देती है। कुछ लोगों को बार-बार दौरा आता है, जबकि कुछ को लंबे अंतराल के बाद। इसलिए यह समझना बेहद आवश्यक है कि मिर्गी का दौरा कितने समय में फिर से आ सकता है और शरीर का कौन-सा अंग इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित होता है। डॉक्टरों के अनुसार मिर्गी पूरी तरह से दिमाग से जुड़ी समस्या है, इसलिए इसके लक्षण और प्रभाव भी मुख्य रूप से मस्तिष्क पर ही दिखाई देते हैं। आइए विशेषज्ञों की राय के अनुसार इसके मुख्य कारणों, असर और दौरे पड़ने की अवधि को विस्तार से समझते हैं।

मिर्गी का दौरा कितने दिनों में आता है?
मिर्गी का दौरा आने का समय तय नहीं होता। यह व्यक्ति की स्थिति, दवाओं की नियमितता, तनाव, नींद की कमी और जीवनशैली के आधार पर बदल सकता है। कई मरीजों को हर सप्ताह दौरा आ सकता है, तो कुछ लोगों को एक या दो महीने बाद ही दौरा पड़ता है। बहुत से मरीज सही इलाज के बाद वर्षों तक दौरे से पूरी तरह मुक्त भी रह सकते हैं। विशेषज्ञ बताते हैं कि यदि दवाएं नियमित रूप से ली जाएं और ट्रिगर करने वाले कारणों से बचा जाए, तो दौरे की आवृत्ति को काफी हद तक कम किया जा सकता है। जिन लोगों को बार-बार दौरे पड़ते हैं, उन्हें अपनी दवाओं की खुराक और दिनचर्या के बारे में डॉक्टर से लगातार संपर्क में रहना चाहिए।
मिर्गी में सबसे अधिक कौन-सा अंग प्रभावित होता है?
मिर्गी सीधे तौर पर दिमाग यानी मस्तिष्क को प्रभावित करती है। मिर्गी का दौरा तब पड़ता है, जब दिमाग की नसों (न्यूरॉन्स) में अचानक और असामान्य विद्युत सक्रियता होती है। इसका असर पूरे शरीर पर दिखाई दे सकता है, लेकिन इसका मूल कारण और प्रमुख प्रभाव मस्तिष्क पर ही पड़ता है। जब दिमाग प्रभावित होता है, तब शरीर में कई तरह के लक्षण दिख सकते हैं जैसे बेहोशी, शरीर का अकड़ जाना, झटके लगना, बोलने में समस्या, भ्रमित होना या कुछ समय के लिए होश खो देना। गंभीर मामलों में यह स्मृति, ध्यान और व्यवहार पर भी असर डाल सकता है। इसलिए मिर्गी का सही और नियमित उपचार बेहद ज़रूरी है।
मिर्गी के दौरों को प्रभावित करने वाले मुख्य कारण
दौरे कितने दिनों में आएंगे, यह कई कारणों पर निर्भर करता है जैसे नींद की कमी, तनाव, तेज रोशनी, दवाओं का अनियमित सेवन, शराब या नशीले पदार्थ, हार्मोनल बदलाव और संक्रमण। जिन लोगों में ये ट्रिगर ज्यादा होते हैं, उन्हें अधिक बार दौरे देखने को मिल सकते हैं। विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि मरीजों को अपनी दिनचर्या नियमित रखनी चाहिए और किसी भी असामान्य बदलाव पर तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।
यह लेख चिकित्सकीय जानकारी के लिए लिखा गया है और सामान्य जागरूकता हेतु प्रस्तुत किया गया है। किसी भी स्वास्थ्य समस्या, उपचार या दवाई से संबंधित निर्णय लेने से पहले विशेषज्ञ डॉक्टर की सलाह अवश्य लें।
