
अचानक नहीं होती दिल की बीमारियां, सालों पहले शरीर देता है यह संकेत।
दिल की बीमारियों को लेकर लोगों के मन में यह धारणा आम है कि ये अचानक होती हैं, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि हृदय संबंधी रोग लंबे समय में विकसित होते हैं और इसके शुरुआती संकेत बीमारी का पता चलने से कई साल पहले ही शरीर में नजर आने लगते हैं। दिक्कत यह है कि इन लक्षणों को अक्सर लोग मामूली समझकर नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे समय पर इलाज नहीं हो पाता और गंभीर स्थिति उत्पन्न हो जाती है।
विशेषज्ञों की राय
कार्डियोलॉजिस्ट बताते हैं कि हृदय रोग, खासकर कोरोनरी आर्टरी डिजीज, एक धीमी और जटिल प्रक्रिया है। इसमें धमनियों में प्लाक जमा होना सालों पहले शुरू हो जाता है। जब यह जमाव 70-80% तक पहुंचता है, तभी लक्षण स्पष्ट रूप से दिखने लगते हैं। लेकिन शरीर इससे पहले भी संकेत देता है, जिसे हम समझकर समय रहते सावधानी बरत सकते हैं।
वह एक प्रमुख संकेत: सांस फूलना
विशेषज्ञों के अनुसार, दिल की बीमारी का सबसे अहम और शुरुआती लक्षण है — सांस का बार-बार फूलना। अगर रोजमर्रा की हल्की-फुल्की गतिविधियों जैसे सीढ़ियां चढ़ना, थोड़ी दूरी चलना या हल्का व्यायाम करने पर असामान्य रूप से सांस फूलने लगे, तो यह हृदय की कार्यक्षमता में कमी का संकेत हो सकता है। यह लक्षण हृदय की मांसपेशियों के कमजोर होने, धमनियों में रुकावट आने या दिल के पंपिंग एक्शन में समस्या की ओर इशारा करता है।
क्यों होती है यह समस्या
जब दिल की धमनियां संकरी हो जाती हैं या हृदय की पंपिंग क्षमता घट जाती है, तो शरीर के विभिन्न हिस्सों तक ऑक्सीजन युक्त खून पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंच पाता। ऐसे में हल्के-फुल्के काम के दौरान भी शरीर को अधिक मेहनत करनी पड़ती है और सांस फूलने लगती है। कई बार यह लक्षण लोगों को थकान, उम्र बढ़ने या फिटनेस कम होने का नतीजा लगता है, लेकिन वास्तव में यह दिल की बिगड़ती सेहत का संकेत हो सकता है।
अन्य शुरुआती संकेत
हालांकि सांस फूलना एक बड़ा चेतावनी संकेत है, लेकिन इसके अलावा कुछ और लक्षण भी समय रहते सतर्क कर सकते हैं, जैसे—
सीने में हल्का दबाव या जलन महसूस होना
लगातार थकान और कमजोरी
पैरों, टखनों या पांव में सूजन
तेज धड़कन या धड़कनों का अनियमित होना
रात में बार-बार जागना या करवट बदलने में तकलीफ
कितने साल पहले दिख सकते हैं संकेत
अध्ययनों के मुताबिक, दिल की बीमारी का खतरा बनने वाले बदलाव 10-15 साल पहले से शरीर में शुरू हो सकते हैं। अस्वस्थ खानपान, धूम्रपान, शराब का अधिक सेवन, मोटापा, तनाव और शारीरिक गतिविधियों की कमी इसके प्रमुख कारण हैं। इनसे धमनियों में धीरे-धीरे कोलेस्ट्रॉल, वसा और अन्य तत्व जमा होते हैं, जो अंततः ब्लॉकेज में बदल जाते हैं।
कैसे करें पहचान और बचाव
1. नियमित स्वास्थ्य जांच – 30 साल की उम्र के बाद हर साल ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की जांच कराएं।
2. ईसीजी और इकोकार्डियोग्राफी – अगर सांस फूलने, सीने में दबाव या धड़कन तेज होने जैसे लक्षण हों, तो इन जांचों को टालें नहीं।
3. लाइफस्टाइल में सुधार – संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव नियंत्रण दिल को स्वस्थ रखते हैं।
4. धूम्रपान और शराब से दूरी – ये दोनों हृदय रोग के सबसे बड़े कारक हैं।
5. वजन नियंत्रित रखें – मोटापा दिल पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
विशेषज्ञों की सलाह
कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष गुप्ता का कहना है, “दिल की बीमारियां कभी भी अचानक नहीं होतीं। शरीर कई साल पहले से संकेत देने लगता है, बस जरूरत है कि हम उन्हें समझें और समय पर जांच कराएं। सांस फूलना एक ऐसा लक्षण है जिसे हल्के में नहीं लेना चाहिए, खासकर तब जब यह रोजमर्रा की गतिविधियों में भी हो।”
अंतिम संदेश
दिल की सेहत के लिए जागरूकता और सतर्कता बेहद जरूरी है। अगर हम शुरुआती संकेतों को समय रहते पहचान लें और जीवनशैली में बदलाव कर लें, तो न केवल गंभीर हृदय रोगों से बच सकते हैं, बल्कि जीवन की गुणवत्ता भी बेहतर बना सकते हैं। अगली बार अगर हल्के काम के बाद भी सांस तेज चलने लगे, तो इसे उम्र या थकान का असर मानकर नजरअंदाज न करें, बल्कि तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।