
“झारखंड विधानसभा परिसर में दिवंगत मंत्री रामदास सोरेन को दी गई भावभीनी श्रद्धांजलि”
देवघर/रांची। झारखंड के लोकप्रिय नेता और स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग तथा निबंधन विभाग के मंत्री, स्वर्गीय रामदास सोरेन का पार्थिव शरीर आज दिनांक 16 अगस्त 2025 को झारखंड विधानसभा परिसर में अंतिम दर्शनार्थ रखा गया। सुबह से ही विधानसभा परिसर में एक भावुक और गंभीर माहौल व्याप्त था। हर तरफ सिर्फ एक ही नाम की चर्चा थी—रामदास सोरेन—जिन्होंने अपने सरल स्वभाव, जनसेवा की भावना और अथक परिश्रम से लोगों के दिलों में विशेष स्थान बनाया था।
विधानसभा परिसर में जैसे ही दिवंगत मंत्री का पार्थिव शरीर पहुंचा, पूरा वातावरण शोकाकुल हो गया। पार्थिव शरीर को तिरंगे में लपेटकर सम्मानपूर्वक मंच पर रखा गया, ताकि जनप्रतिनिधि, अधिकारी-कर्मचारी और आमजन अंतिम बार अपने प्रिय नेता के दर्शन कर सकें।
श्रद्धांजलि अर्पित करने पहुंचे नेता, जनप्रतिनिधि और अधिकारी
अंतिम दर्शन के लिए सबसे पहले झारखंड विधानसभा अध्यक्ष माननीय श्री रबीन्द्र नाथ महतो पहुंचे। उन्होंने पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किया और कुछ क्षण मौन रहकर दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। उनके साथ मौजूद विधानसभा उपाध्यक्ष, कई मंत्रिगण, विधायकगण, पूर्व सांसदगण और पूर्व विधायकगण ने भी बारी-बारी से पुष्पांजलि अर्पित की।
राज्य सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री, जिनमें वित्त मंत्री, ग्रामीण विकास मंत्री, स्वास्थ्य मंत्री, कृषि मंत्री समेत विभिन्न विभागों के प्रतिनिधि शामिल थे, ने श्रद्धांजलि दी। विधानसभा सचिवालय के पदाधिकारी और कर्मचारी भी बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। सभी ने उन्हें एक सच्चे जनसेवक और ईमानदार नेता के रूप में याद किया।
मंत्री जी के राजनीतिक जीवन का संक्षिप्त परिचय
स्वर्गीय रामदास सोरेन झारखंड की राजनीति में एक सशक्त और लोकप्रिय नाम रहे। वे हमेशा गरीब, मजदूर, किसान और वंचित वर्ग के हित में नीतियां बनाने के लिए जाने जाते थे। उन्होंने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग का कार्यभार संभालते हुए राज्य में शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के कई प्रयास किए।
उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में विद्यालयों की संख्या बढ़ाने पर जोर दिया।
डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई नवाचार लागू किए।
निबंधन विभाग में पारदर्शिता और भ्रष्टाचारमुक्त व्यवस्था के लिए कई कड़े कदम उठाए।
उनकी नेतृत्व शैली में सादगी और दृढ़ता का अनोखा मेल था। आम जनता से सीधा संवाद उनकी पहचान थी। वे हमेशा कहते थे—”राजनीति सेवा का माध्यम है, सत्ता का साधन नहीं।”
जनता की भावनाएं और प्रतिक्रियाएं
अंतिम दर्शन के लिए न सिर्फ जनप्रतिनिधि बल्कि आम लोग भी दूर-दूर से पहुंचे। देवघर, दुमका, साहिबगंज, बोकारो और अन्य जिलों से आए लोग अपने नेता को विदाई देने पहुंचे। किसी की आंखें नम थीं, तो कोई चुपचाप खड़ा होकर उन्हें निहार रहा था।
गोड्डा से आए एक बुजुर्ग किसान ने कहा—”रामदास बाबू ने हमारे गांव में स्कूल खुलवाया था। हम गरीब थे, लेकिन उन्होंने हमारी बात सुनी और मदद की। आज हम उन्हें खोकर अनाथ महसूस कर रहे हैं।”
श्रद्धांजलि सभा में गूंजे भावुक शब्द
श्रद्धांजलि सभा में नेताओं ने अपने शब्दों में दिवंगत मंत्री की स्मृतियों को साझा किया। विधानसभा अध्यक्ष रबीन्द्र नाथ महतो ने कहा—”रामदास सोरेन झारखंड के सच्चे सपूत थे। वे न सिर्फ एक कुशल प्रशासक थे, बल्कि बेहद विनम्र और संवेदनशील इंसान भी थे।”
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा—”उनका जाना झारखंड की राजनीति और समाज दोनों के लिए अपूरणीय क्षति है।”
सरकारी सम्मान के साथ अंतिम यात्रा की तैयारी
विधानसभा परिसर में श्रद्धांजलि के बाद पार्थिव शरीर को उनके पैतृक गांव ले जाने की तैयारी की गई, जहां उनका अंतिम संस्कार पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने व्यवस्था संभालते हुए सुरक्षा और श्रद्धांजलि कार्यक्रम की सुचारू रूप से सम्पन्नता सुनिश्चित की।
झारखंड की राजनीति में एक खालीपन
रामदास सोरेन की मृत्यु से झारखंड की राजनीति में एक ऐसा खालीपन आ गया है, जिसे भरना आसान नहीं होगा। वे सिर्फ एक मंत्री नहीं, बल्कि शिक्षा सुधार के पक्षधर, किसानों के साथी और युवाओं के प्रेरणास्रोत थे। उनके विचार, उनकी नीतियां और उनका संघर्ष झारखंड की आने वाली पीढ़ियों के लिए मार्गदर्शक बने रहेंगे।
जनमानस के दिल में अमर रहेंगे
कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी लोगों ने खड़े होकर दो मिनट का मौन रखा। तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर की ओर देख कर हर किसी के मन में यही विचार था कि यह विदाई केवल शरीर की है, विचार और कार्य सदैव जीवित रहेंगे।
झारखंड की धरती ने एक सच्चा सपूत खो दिया है, लेकिन उनकी सेवा, त्याग और संघर्ष की गाथा आने वाले समय में भी प्रेरणा देती रहेगी।