
पटना। झारखंड की राजनीति में इन दिनों सियासी हलचल तेज है। इसी बीच राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के नेता हेमंत सोरेन ने पटना में एक बड़ा दावा किया। उन्होंने कहा, “अगर हम जेल नहीं गए होते, तो झारखंड में बीजेपी का खाता तक नहीं खुलता।” यह बयान उन्होंने शनिवार को पटना दौरे के दौरान पार्टी कार्यकर्ताओं और महागठबंधन सहयोगियों के बीच दिया।
हेमंत सोरेन का यह बयान झारखंड की राजनीति को एक नई दिशा देने वाला माना जा रहा है। उन्होंने अपने भाषण में भाजपा पर जमकर निशाना साधा और कहा कि विपक्ष को कमजोर करने के लिए केंद्र सरकार ने साजिश के तहत उन्हें जेल भेजा, लेकिन जनता ने उनके साथ विश्वासघात नहीं किया।
झारखंड में सियासी संघर्ष और हेमंत सोरेन का जेल प्रकरण
झारखंड की राजनीति में बीते कुछ महीनों से उथल-पुथल मची हुई है। हेमंत सोरेन पर मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध खनन से जुड़े मामलों में आरोप लगे थे, जिसके चलते उन्हें जेल भेजा गया था। हालांकि, उन्होंने हमेशा इन आरोपों को राजनीतिक बदले की कार्रवाई करार दिया।
उनका कहना है कि केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी (BJP) विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिए ईडी (ED) और सीबीआई (CBI) जैसी एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
पटना में JMM और RJD की साझा रणनीति
पटना दौरे के दौरान हेमंत सोरेन ने RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से भी मुलाकात की। इस मुलाकात को महागठबंधन की मजबूती के तौर पर देखा जा रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि झारखंड और बिहार में आगामी लोकसभा चुनाव और विधानसभा चुनाव को देखते हुए विपक्षी दल एकजुटता का संदेश देना चाहते हैं।
हेमंत सोरेन का भाजपा पर सीधा हमला
अपने भाषण में हेमंत सोरेन ने कहा:
“बीजेपी झारखंड में लोकतंत्र को खत्म करना चाहती है। उन्होंने मेरे खिलाफ झूठे मुकदमे गढ़े, ताकि हमारी सरकार को अस्थिर किया जा सके। लेकिन जेल से निकलने के बाद जनता का और भी ज्यादा समर्थन मिल रहा है।”
उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने झारखंड के विकास के लिए जो काम शुरू किए थे, उन्हें रोकने का हर संभव प्रयास किया गया।
झारखंड में भाजपा की स्थिति पर सवाल
हेमंत सोरेन के इस बयान ने राजनीतिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है कि क्या सचमुच उनके जेल जाने से भाजपा को फायदा हुआ? आंकड़ों के अनुसार, झारखंड में पिछले चुनावों में भाजपा को मिली सीटें अपेक्षित से कम रहीं, जबकि JMM और कांग्रेस गठबंधन ने बेहतर प्रदर्शन किया था।
राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी ने उन्हें पीड़ित की छवि दी, जिसका फायदा उन्हें सहानुभूति वोट के रूप में मिला।
महागठबंधन का लक्ष्य: 2024 लोकसभा और 2025 विधानसभा
हेमंत सोरेन ने पटना से महागठबंधन के लिए साफ संदेश दिया कि वे भाजपा के खिलाफ मजबूत रणनीति बनाएंगे। उन्होंने दावा किया कि अगर विपक्ष एकजुट रहा, तो झारखंड में भाजपा का खाता भी मुश्किल से खुलेगा।
महागठबंधन की योजना है कि लोकसभा चुनाव के साथ-साथ वे 2025 में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को करारा जवाब देंगे।
जनता के बीच बढ़ा हेमंत सोरेन का प्रभाव
जेल से निकलने के बाद हेमंत सोरेन की लोकप्रियता में इजाफा देखने को मिला है। उनके समर्थक उन्हें “झारखंड के असली जननेता” कहकर पुकार रहे हैं। कई जगहों पर उनकी रैलियों और जनसभाओं में बड़ी संख्या में लोग जुट रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि उनकी गिरफ्तारी ने उन्हें नायक बनाने का काम किया है, जिससे भाजपा को राजनीतिक नुकसान हो सकता है।
पटना में दिया गया हेमंत सोरेन का यह बयान झारखंड की राजनीति को नई दिशा दे सकता है। उनके दावे से साफ है कि वे खुद को भाजपा के खिलाफ एक मजबूत चेहरा बनाकर पेश करना चाहते हैं।
अब देखना होगा कि आने वाले चुनावों में जनता उनके इस दावे पर कितना भरोसा जताती है और महागठबंधन उनकी रणनीति को कितना सफल बना पाता है।