
मंडी, हिमाचल प्रदेश – हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में मंगलवार देर रात बादल फटने की भयावह घटना से भारी तबाही मच गई। इस हादसे में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हुई है, जबकि कई वाहन मलबे में दब गए हैं और शहर के प्रमुख मार्ग बंद हो चुके हैं। भारी बारिश के कारण हुए भूस्खलन ने जनजीवन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त कर दिया है।
भारी वर्षा बनी कहर
मंडी जिले में सोमवार रात से ही लगातार भारी बारिश का दौर जारी था, जो मंगलवार को बादल फटने की घटना में बदल गया। जेल रोड, जोनल अस्पताल मार्ग, सैंण क्षेत्र और अन्य हिस्सों में भारी भूस्खलन देखा गया। इससे न केवल सड़कों पर यातायात बाधित हुआ, बल्कि कई वाहन भी मलबे में दब गए।
चार लोगों की मौत, कई घायल
प्रशासन की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक चार लोगों की मौत हो चुकी है। राहत और बचाव कार्य लगातार जारी है, लेकिन तेज बारिश और भूस्खलन की वजह से बचाव कार्यों में मुश्किलें आ रही हैं। कई जगहों पर बिजली आपूर्ति ठप हो चुकी है, और मोबाइल नेटवर्क भी बाधित हुआ है।
स्कूल-कॉलेज बंद, NDRF की टीम तैनात
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए प्रशासन ने स्कूल और कॉलेजों को एहतियातन बंद करने का आदेश दिया है। वहीं, एनडीआरएफ (NDRF) और एसडीआरएफ (SDRF) की टीमें राहत-बचाव कार्य में लगी हुई हैं। मंडी जिला प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि वह अनावश्यक रूप से घर से बाहर न निकलें और सुरक्षित स्थानों पर रहें।
प्रशासन की तैयारी और अलर्ट
मंडी जिला प्रशासन ने तुरंत प्रभाव से आपदा नियंत्रण केंद्र सक्रिय कर दिया है और राहत सामग्री की व्यवस्था की जा रही है। हेल्पलाइन नंबर जारी कर दिए गए हैं ताकि फंसे हुए लोग संपर्क कर सकें। जिलाधिकारी अरिंदम चौधरी ने बताया कि प्रशासन पूरी मुस्तैदी से हालात पर नजर बनाए हुए है। उन्होंने कहा, “लोगों से अनुरोध है कि वे अफवाहों से बचें और प्रशासन के दिशा-निर्देशों का पालन करें।”
सड़कों और पुलों को नुकसान
बादल फटने और उसके बाद हुए भूस्खलन से कई मुख्य सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं। नेशनल हाइवे-21 का एक हिस्सा भी कुछ देर के लिए बंद करना पड़ा। पुलों के क्षतिग्रस्त होने से कुछ गांवों का जिला मुख्यालय से संपर्क टूट गया है। यातायात व्यवस्था को बहाल करने के लिए PWD (लोक निर्माण विभाग) की टीमें लगातार कार्य कर रही हैं।
पर्यटक भी फंसे
हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, और घटना के वक्त यहां बड़ी संख्या में पर्यटक भी मौजूद थे। होटल एसोसिएशन ने जानकारी दी कि कुछ पर्यटक होटलों में ही फंसे हुए हैं और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है। पर्यटक विभाग की ओर से हेल्पलाइन और ट्रैवल अलर्ट भी जारी कर दिए गए हैं।
जल स्रोतों में उफान, बाढ़ का खतरा
लगातार हो रही बारिश और जलस्रोतों में आई तेजी से बहाव के कारण बाढ़ जैसी स्थिति बन गई है। मंडी शहर से गुजरने वाली बीएसएल नहर, सुक्खा खड्ड, और अन्य नदियों का जलस्तर खतरे के निशान को पार कर चुका है। प्रशासन ने नदियों के किनारे बसे लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
जलवायु विशेषज्ञों ने कहा है कि पहाड़ी इलाकों में इस प्रकार की घटनाएं अब लगातार बढ़ रही हैं, जो जलवायु परिवर्तन और मानवजनित हस्तक्षेप का परिणाम है। रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस.पी. शर्मा के मुताबिक, “जलवायु में हो रहे बदलावों और अनियोजित विकास के कारण पहाड़ी क्षेत्रों में बारिश की तीव्रता और प्राकृतिक आपदाएं तेजी से बढ़ रही हैं।”
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें
इस घटना की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही हैं, जिनमें देखा जा सकता है कि कैसे सड़कें दरारों में तब्दील हो गई हैं, वाहन मलबे में दबे पड़े हैं और लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भाग रहे हैं। कई स्थानीय निवासियों ने प्रशासन से तत्काल मदद की अपील की है।
सरकार की प्रतिक्रिया
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने घटना पर दुख जताते हुए मृतकों के परिवारों को 4 लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने की घोषणा की है। उन्होंने आपदा प्रभावित क्षेत्रों का हवाई सर्वेक्षण भी किया और प्रशासन को आवश्यक सहायता प्रदान करने का आदेश दिया।
मंडी में बादल फटने और भूस्खलन की यह घटना एक बार फिर यह दर्शाती है कि प्राकृतिक आपदाओं के सामने कितनी कमजोर है हमारी तैयारी। जहां प्रशासन राहत और बचाव कार्यों में जुटा है, वहीं यह भी समय है कि लंबी अवधि के लिए सतत विकास और प्राकृतिक आपदाओं के प्रति सजगता को नीतिगत रूप से लागू किया जाए।