भारत में शादी सिर्फ एक सामाजिक रस्म नहीं बल्कि एक पवित्र संस्कार माना जाता है। हिंदू विवाह में दूल्हा–दुल्हन अग्नि को साक्षी मानकर फेरे लेते हैं और जीवनभर साथ निभाने का वचन देते हैं। शास्त्रों के अनुसार, हवन और अग्नि से जुड़े अधिकांश धार्मिक कार्य दिन के समय किए जाते हैं, क्योंकि सूर्य देवता को ब्रह्माण्ड का साक्षी माना गया है। लेकिन इसके बावजूद भारत में अधिकतर शादियां रात में ही होती हैं। क्या यह परंपरा शास्त्रों के विपरीत है या इसके पीछे कोई गहरा रहस्य छिपा है? आइए समझते हैं इतिहास, परंपरा और ज्योतिष के आधार पर इस रोचक परंपरा की सच्चाई।

दिन में हवन और पूजा क्यों होती है?
शास्त्रों के अनुसार सूर्य को साक्षी मानकर किए जाने वाले यज्ञ, हवन और पूजा कार्य प्रातःकाल या दिन में श्रेष्ठ माने गए हैं। दिन के समय वातावरण शांत, पवित्र और शुभ माना जाता है जिसमें मंत्रों की ध्वनि और अग्नि की ऊर्जा अधिक प्रभावी होती है। इसलिए प्राचीन काल में विवाह भी प्रायः दिन के समय ही होते थे।तो फिर शादियां रात में क्यों होने लगीं?
समय के साथ सामाजिक व्यवस्थाओं, सुरक्षा और मान्यताओं में काफी बदलाव आया। यही कारण है कि विवाह धीरे-धीरे दिन से रात की ओर शिफ्ट होने लगे। इसके कई कारण हैं:
1. इतिहास और सामाजिक व्यवस्था
पुराने समय में लोग खेती-किसानी करते थे और दिनभर का समय काम में व्यतीत होता था। ऐसे में किसी आयोजन में शामिल होने के लिए रात का समय सबसे उपयुक्त माना गया। लोग अपना काम पूरा करके आराम से विवाह समारोह में शामिल हो सकते थे।
2. समाज में बढ़ती सुरक्षा व्यवस्था
मध्यकाल में सुरक्षा को लेकर कई समस्याएं थीं। गांव-शहर में यात्रा करना दिन की तुलना में रात में आसान और सुरक्षित होता था क्योंकि दिन में व्यापार और खेती की वजह से व्यस्तता अधिक होती थी। विवाह समारोह को रात में करना लोगों के लिए अधिक सुविधाजनक साबित हुआ।
3. गर्मी से राहत
भारत के कई हिस्सों में दिन के समय अत्यधिक गर्मी पड़ती है। बड़े आयोजन जैसे बारात, जयमाला, फेरे आदि गर्मी में करना मुश्किल था। इसलिए रात का समय ठंडा और आरामदायक माना गया, जिससे धीरे-धीरे यह परंपरा लोकप्रिय हो गई।
4. ज्योतिष में शुभ मुहूर्त का महत्व
शादी का समय तय करने में सबसे महत्वपूर्ण होता है मुहूर्त। कई बार शुभ मुहूर्त रात के समय पड़ता है। खासकर शादी के सीजन में जब शुभ तिथियां कम हों, तो ज्योतिषीय गणना के अनुसार शुभ योग रात में ही बनते हैं। इसलिए रात का विवाह पवित्र और शुभ माना जाता है।
5. सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव
आधुनिक दौर में शादी एक बड़ा समारोह बन चुकी है जिसमें सजावट, लाइटिंग, संगीत और फोटोग्राफी का महत्व बढ़ गया है। रात में लाइटिंग की चमक और सजावट का आकर्षण अधिक होता है। इससे रात की शादी अधिक भव्य और सुंदर दिखाई देती है।
क्या रात में शादी शास्त्रों के खिलाफ है?
नहीं। शास्त्र हवन और यज्ञ के लिए दिन का समय श्रेष्ठ बताते हैं, लेकिन विवाह इसके अंतर्गत अनिवार्य रूप से नहीं आता। विवाह के लिए ज्योतिषीय मुहूर्त को अधिक महत्व दिया जाता है। यदि शुभ मुहूर्त रात में बन रहा है, तो उस समय विवाह करना पूर्ण रूप से शास्त्रसम्मत माना जाता है।
रात में शादी करने की परंपरा शास्त्रों के विरुद्ध नहीं है, बल्कि यह सामाजिक बदलाव, सुविधाओं, ज्योतिषीय गणना और समय की परिस्थितियों के अनुसार विकसित हुई परंपरा है। आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में कई विवाह दिन में होते हैं, लेकिन शहरों में रोशनी, सजावट और सुविधा के कारण रात की शादी अधिक लोकप्रिय है।
यह लेख सामाजिक, ऐतिहासिक और ज्योतिषीय मान्यताओं पर आधारित है। किसी भी धार्मिक परंपरा या निर्णय से पहले स्थानीय रीति-रिवाज और परिवार की मान्यताओं को अवश्य ध्यान में रखें।
