
पटना में ऐतिहासिक सनातन महाकुंभ: धीरेंद्र शास्त्री बोले – “हिंदू एक हैं, और रहेंगे”; धर्म पर हमला हुआ तो देंगे करारा जवाब।
पटना का ऐतिहासिक गांधी मैदान आज एक बार फिर आध्यात्मिकता, आस्था और धर्मनिष्ठता का साक्षी बना। पहली बार यहां सनातन महाकुंभ का भव्य आयोजन हुआ, जिसमें देशभर से लाखों श्रद्धालु, संत, विद्वान और धर्माचार्य जुटे। इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य था – सनातन संस्कृति और हिंदू एकता का संदेश फैलाना।
कार्यक्रम के प्रमुख आकर्षण रहे बागेश्वर धाम सरकार के पीठाधीश्वर पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, जिन्होंने अपने संबोधन में हिंदू समाज को एकजुट रहने की पुरजोर अपील की। उन्होंने कहा,
> “सनातन धर्म का अर्थ है अहिंसा, न कि हिंसा। पर जब धर्म पर चोट की जाएगी, तब हम पलटवार करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।”
‘हिंदू एक हैं, जात-पात में मत बंटो’: धीरेंद्र शास्त्री
अपने जोशीले अंदाज़ में धीरेंद्र शास्त्री ने बिहार की जनता को संबोधित करते हुए कहा,
> “बिहार के पागलों, एक बात गांठ बांध लो – हम सब हिंदू हैं। कोई भाषा के नाम पर लड़ रहा है, कोई जाति या क्षेत्र के नाम पर। लेकिन अगर हमें बचना है, तो इन दीवारों को गिराकर एक होना पड़ेगा।”
उन्होंने साफ़ किया कि उनका जुड़ाव किसी राजनीतिक पार्टी से नहीं है, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि,
> “जिस पार्टी में हिंदू हित की बात होती है, हम उस पार्टी के साथ खड़े होते हैं। हिंदू को अलग नहीं किया जा सकता। आप चाहे जितनी राजनीति कर लो, हिंदू अब बिखरने वाला नहीं है।”
रामभद्राचार्य का बड़ा बयान: ‘बिहार अब हिंदू विरोधियों को सत्ता नहीं देगा’
महाकुंभ में मौजूद जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने भी बेहद गंभीर और राजनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण वक्तव्य दिया। उन्होंने कहा,
> “अब बिहार की जनता हिंदू विरोधी ताकतों को सत्ता सौंपने वाली नहीं है। लोगों की जागरूकता बढ़ी है। सनातन संस्कृति के खिलाफ बोलने वालों को अब करारा जवाब मिलेगा।”
उन्होंने यह भी कहा कि सनातन संस्कृति को मिटाने की साजिशें बहुत हुईं, लेकिन अब वक्त है कि हर हिंदू जागे और धर्म की रक्षा के लिए संगठित हो।
धार्मिक चेतना और एकता का प्रदर्शन
सनातन महाकुंभ के माध्यम से पटना की धरती पर एक बार फिर यह सिद्ध हो गया कि धार्मिक एकता और सनातन संस्कृति का संदेश आज भी लोगों के दिलों में जीवित है। सभा में उमड़े जनसैलाब ने यह साफ संकेत दिया कि अब हिंदू समाज जागरूक है और अपने धर्म, संस्कृति और अस्तित्व की रक्षा के लिए पूरी तरह तैयार है।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक बना, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकजुटता का भी एक बड़ा उदाहरण प्रस्तुत किया।