
भारत-ब्रिटेन के बीच ऐतिहासिक व्यापार समझौता, भारतीय निर्यातकों के लिए खुला नया रास्ता
भारत और ब्रिटेन के बीच वर्षों से लंबित फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) को लेकर बड़ी सफलता मिली है। दोनों देशों ने ऐतिहासिक व्यापार समझौते पर मुहर लगा दी है, जिससे भारतीय उत्पादों को ब्रिटिश बाजार में बड़ा फायदा मिलेगा। वहीं, ब्रिटेन को भी भारत में शराब, दवाइयों और तकनीकी सेवाओं के लिए रास्ता मिलेगा। यह डील दोनों अर्थव्यवस्थाओं के लिए “विन-विन” स्थिति साबित हो सकती है।
1. किन क्षेत्रों को होगा फायदा?
भारत के लिए यह समझौता विशेष रूप से कृषि, ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल और स्मॉल-मीडियम इंडस्ट्रीज (SMEs) के लिए लाभकारी रहेगा। FTA के तहत इन क्षेत्रों में ब्रिटेन द्वारा आयात शुल्क (टैरिफ) में भारी छूट दी गई है। इससे भारतीय निर्यातकों को ब्रिटिश बाजार में प्रतिस्पर्धी कीमतों पर अपने उत्पाद बेचने का मौका मिलेगा।
2. कृषि निर्यात में संभावित 20% की बढ़ोतरी
FTA से कृषि निर्यातकों को बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत से कृषि उत्पादों का निर्यात 20 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। खासकर चावल, मसाले, फल-सब्जियां और जैविक उत्पादों की मांग ब्रिटेन में लगातार बढ़ रही है। यह डील उस मांग को पूरा करने में मदद करेगी।
3. भारतीय टेक्सटाइल और ऑटो इंडस्ट्री को मिलेगा नया जीवन
ब्रिटिश बाजार में भारतीय वस्त्र और ऑटो उत्पादों की पहले से अच्छी पहचान है। अब टैरिफ कम होने से ये प्रोडक्ट्स और भी सस्ते और सुलभ होंगे। इससे भारत के टेक्सटाइल सेक्टर को बूस्ट मिलेगा और लाखों लोगों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं। ऑटो सेक्टर में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स और ऑटो पार्ट्स के निर्यात में तेजी आने की संभावना है।
4. ब्रिटेन को भारत में मिलेगी ये छूट
FTA के तहत ब्रिटेन को भारत में कुछ खास सेक्टर्स में निवेश और व्यापार करने की विशेष छूट दी गई है। इसमें मुख्य रूप से तीन क्षेत्र शामिल हैं:
व्हिस्की और अल्कोहल उत्पादों पर टैक्स में छूट:
ब्रिटेन लंबे समय से भारत में व्हिस्की निर्यात पर ऊंचे आयात शुल्क की शिकायत करता रहा है। अब भारत ने कुछ छूट के साथ इन उत्पादों के लिए रास्ता खोला है, जिससे ब्रिटिश ब्रांड्स को बढ़त मिलेगी।
फार्मा सेक्टर में बाजार पहुंच आसान:
ब्रिटिश दवा कंपनियों को भारतीय बाजार में ज्यादा हिस्सेदारी मिल सकेगी। इससे एक ओर नई दवाएं भारत में उपलब्ध होंगी, तो दूसरी ओर घरेलू फार्मा उद्योग के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी।
टेक कंपनियों को निवेश की सहूलियत:
ब्रिटेन की टेक कंपनियों को भारत में निवेश करने के लिए और अधिक लचीलापन मिलेगा। खासतौर पर फिनटेक, क्लाउड सर्विस और साइबर सिक्योरिटी क्षेत्र में साझेदारी बढ़ सकती है।
5. डेयरी सेक्टर पर असर, चिंता का विषय
जहां एक ओर कृषि और टेक्सटाइल सेक्टर को राहत मिली है, वहीं भारतीय डेयरी उद्योग इस समझौते को लेकर चिंतित है। FTA के तहत ब्रिटिश डेयरी उत्पादों को भारत में कुछ सीमा तक प्रवेश मिल सकता है, जिससे स्थानीय उत्पादकों पर दबाव बढ़ेगा। छोटे डेयरी किसान इस प्रतिस्पर्धा का सामना कर पाएंगे या नहीं, यह बड़ा सवाल है।
6. सरकारी प्रतिक्रिया और विश्लेषण
भारत सरकार के अनुसार, यह डील भारत के आर्थिक हितों को ध्यान में रखते हुए की गई है। वाणिज्य मंत्रालय के अधिकारियों का कहना है कि यह समझौता रोजगार, निवेश और निर्यात – तीनों मोर्चों पर सकारात्मक असर डालेगा।
ब्रिटेन ने भी इस समझौते को “ब्रेक्जिट के बाद की सबसे बड़ी डील” बताया है। वहां के प्रधानमंत्री ने इसे ब्रिटिश अर्थव्यवस्था के लिए नई ऊर्जा करार दिया है।
भारत-ब्रिटेन के बीच यह FTA सिर्फ व्यापारिक लेन-देन नहीं, बल्कि दो वैश्विक लोकतांत्रिक शक्तियों के आर्थिक जुड़ाव का प्रतीक है। इससे दोनों देशों को लाभ मिलेगा, लेकिन भारत को अपने घरेलू उद्योगों, खासकर डेयरी क्षेत्र की रक्षा के लिए विशेष नीति बनानी होगी। अगर सही संतुलन बना रहा, तो यह समझौता भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में नई ऊंचाइयों पर पहुंचा सकता है।