हॉन्ग कॉन्ग के व्यस्त और घनी आबादी वाले क्षेत्र में गुरुवार देर रात एक भयावह हादसा सामने आया, जिसने पूरे शहर को दहलाकर रख दिया। 31 मंजिला दो आवासीय टावरों में भीषण आग लगने से कम से कम 44 लोगों की मौत हो गई, जबकि 300 से अधिक लोग अब भी लापता बताए जा रहे हैं। राहत और बचाव दल रात से लगातार मौके पर मौजूद हैं, लेकिन आग की तीव्रता और धुएं ने अभियान को बेहद चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

आग कैसे लगी? प्रारंभिक जांच में क्या निकला
स्थानीय पुलिस और फायर डिपार्टमेंट के अनुसार आग लगभग रात 1:15 बजे टावर A की 12वीं मंजिल से शुरू हुई। देखते ही देखते अग्निशामक अलार्म बजने लगे, लेकिन कुछ मिनटों में ही लपटें ऊपर की ओर फैलने लगीं।
टावर B में आग तभी फैली जब तेज हवा के कारण धुआं और चिंगारियां दूसरी इमारत तक पहुंच गईं।
प्रारंभिक जांच में शॉर्ट-सर्किट की आशंका जताई जा रही है, लेकिन अधिकारियों ने अभी इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं की है। कुछ निवासियों ने बताया कि आग लगने से ठीक पहले “तेज़ धमाके जैसी आवाज़” सुनाई दी थी।
मध्यरात्रि में मची भगदड़, लिफ्टें ठप
आग लगने के समय अधिकांश लोग सो रहे थे। जैसे ही धुएं ने ऊपरी फ्लोरों को घेरना शुरू किया, रहवासियों में अफरा-तफरी मच गई।
लिफ्टें तुरंत बंद कर दी गईं, जिससे लोग सीढ़ियों की ओर दौड़े। कई लोग धुएं के कारण बेहोश होकर वहीं गिर पड़े।
फायर डिपार्टमेंट ने बताया कि 31 मंजिला इमारतों में लगे स्मोक-एक्सट्रेक्शन सिस्टम ने “अपेक्षित तरीके से काम नहीं किया”, जिससे हालात और बिगड़ गए।
12 घंटे तक चला रेस्क्यू ऑपरेशन
लगभग 250 फायरफाइटर्स और 60 एम्बुलेंसों को राहत कार्य में लगाया गया।
हेलमेट-माउंटेड कैमरों और थर्मल स्कैनिंग के जरिए एक-एक फ्लोर को खंगाला गया।
फायर चीफ ने बताया:
“यह हाल के वर्षों का सबसे कठिन ऑपरेशन रहा। धुआं इतना घना था कि दो मिनट भी बिना ऑक्सीजन मास्क के खड़ा होना असंभव था।”
फायर विभाग का कहना है कि कुछ फ्लोरों में धुआं इतना फैला हुआ था कि ऊपरी मंजिलों की सीढ़ियों तक पहुंचने में भी घंटों लग गए।
घायलों की हालत गंभीर, हॉस्पिटल में जगह कम
अब तक 120 से अधिक घायलों को शहर के अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। इनमें से 35 की हालत गंभीर है।
हॉस्पिटल प्रशासन ने कहा कि मरीजों की संख्या बढ़ने पर “आपातकालीन बिस्तरों” का उपयोग शुरू किया गया है।
शहर में मातम, परिवारों की आंखों में इंतज़ार
टावर परिसर के बाहर हजारों लोग अपने परिजनों की जानकारी के लिए खड़े रहे। कई लोग रोते हुए एक-दूसरे से लापता परिजनों का विवरण साझा करते दिखाई दिए।
सोशल मीडिया पर मदद की अपीलों की बाढ़ आ गई है। शहर के विभिन्न क्षेत्रों में आपातकालीन हेल्पलाइन नंबर जारी किए गए हैं।
पुरानी इमारतों की सुरक्षा पर बड़ा सवाल
इस हादसे ने हॉन्ग कॉन्ग की ऊंची आवासीय इमारतों की सुरक्षा प्रणालियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
शहर में मौजूद 30 वर्ष से अधिक पुरानी इमारतों में फायर सिस्टम अक्सर कमजोर पाए जाते हैं।
कई निवासियों का आरोप है कि:
स्मोक डिटेक्टर ठीक से काम नहीं करते
इमरजेंसी अलार्म कई बार खराब पाए जाते हैं
मेंटेनेंस नियमित रूप से नहीं होता
सरकार ने घोषणा की है कि इस हादसे के बाद पूरे शहर में सभी हाई-राइज़ बिल्डिंग्स का व्यापक निरीक्षण कराया जाएगा।
सरकार की प्रतिक्रिया: हाई-लेवल जांच शुरू
हॉन्ग कॉन्ग सरकार ने इस हादसे को “बड़ी आपदा” घोषित किया है और हाई-लेवल जांच कमेटी का गठन किया है।
मुख्य सचिव ने कहा:
“दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। राहत कार्य हमारी प्राथमिकता है, लेकिन यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि जिम्मेदारी तय हो।”
सरकार ने पीड़ित परिवारों के लिए आर्थिक सहायता की घोषणा भी की है।
फायरफाइटर्स की बहादुरी की प्रशंसा
स्थानीय मीडिया और निवासियों द्वारा फायरफाइटर्स की जमकर सराहना की जा रही है, जिन्होंने कई लोगों को धुएं से भरी इमारतों से सुरक्षित बाहर निकाला।
कुछ जवानों ने अपनी जान जोखिम में डालकर ऊपरी मंजिलों की खिड़कियों से बचाव कार्य किया।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
दुनिया भर के देशों ने हॉन्ग कॉन्ग को संवेदना संदेश भेजे हैं।
संयुक्त राष्ट्र ने हादसे को “दुखद और हृदयविदारक” बताया है और पीड़ितों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है।
हादसा क्या सिखाता है?
यह घटना एक बार फिर यह याद दिलाती है कि ऊंची इमारतों में फायर सेफ़्टी कितनी महत्वपूर्ण है।
विशेषज्ञों का कहना है कि:
सभी ऊंची इमारतों में नियमित फायर ड्रिल हो
स्मोक डिटेक्टर और स्प्रिंकलर हर महीने टेस्ट हों
इमरजेंसी एग्जिट रास्ते हमेशा साफ और खुला रखा जाए
घरों में भी बेसिक फायर सुरक्षा उपकरण होने चाहिए
हॉन्ग कॉन्ग के इस भीषण हादसे ने पूरे शहर को सदमे में डाल दिया है।
44 लोगों की मौत और सैकड़ों के लापता होने की घटना सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि एक चेतावनी भी है।
आने वाले दिनों में यह जांच और फायर सिस्टम की खामियों पर व्यापक बहस का विषय बनेगा।
फिलहाल शहर पीड़ित परिवारों के साथ खड़ा है और राहत अभियान जारी है।
