
Google Pay, Paytm और PhonePe जैसे UPI ऐप्स कमाई कैसे करते हैं?
भारत में डिजिटल पेमेंट्स की क्रांति के बाद UPI (यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस) ऐप्स का इस्तेमाल तेज़ी से बढ़ा है। आज लाखों लोग Google Pay, Paytm और PhonePe जैसे ऐप्स के जरिए रोज़ाना लेन-देन करते हैं। दिलचस्प बात यह है कि UPI ट्रांजैक्शन पर ग्राहकों से कोई शुल्क नहीं लिया जाता, तो सवाल उठता है कि आखिर ये कंपनियां मुनाफा कैसे कमाती हैं? आइए विस्तार से समझते हैं।
1. UPI सिस्टम और जीरो चार्ज मॉडल
भारत में NPCI (नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया) द्वारा विकसित UPI प्लेटफॉर्म पर बैंक-टू-बैंक ट्रांसफर बिल्कुल मुफ्त है। इसका मतलब है कि जब कोई व्यक्ति Google Pay, PhonePe या Paytm से पैसे भेजता है, तो ऐप को उस लेन-देन से सीधा कोई शुल्क नहीं मिलता। यही वजह है कि इन कंपनियों ने अपना बिजनेस मॉडल अलग तरीके से तैयार किया है।
2. मर्चेंट ट्रांजैक्शन से कमाई
हालांकि आम यूजर्स से कोई फीस नहीं ली जाती, लेकिन व्यापारी (Merchant) भुगतान पर कुछ मामलों में MDR (Merchant Discount Rate) लागू होता है।
छोटे UPI भुगतान पर MDR ज़ीरो है, लेकिन क्रेडिट कार्ड लिंक्ड UPI पेमेंट या QR कोड से बड़े ट्रांजैक्शन पर बैंक या पेमेंट गेटवे शुल्क ले सकते हैं।
यह शुल्क का कुछ हिस्सा ऐप कंपनियों को भी मिलता है।
उदाहरण के तौर पर, अगर कोई व्यापारी Google Pay से बड़े लेन-देन करता है, तो प्रोसेसिंग चार्ज से कंपनी को आय होती है।
3. लोन और फाइनेंशियल सर्विसेज
Paytm और PhonePe जैसी कंपनियां अब UPI से आगे बढ़कर माइक्रो-लोन, पर्सनल लोन, इंश्योरेंस और म्यूचुअल फंड जैसी सेवाएं देती हैं।
इनके जरिए मिलने वाले ब्याज, प्रोसेसिंग फीस और कमीशन से अच्छी कमाई होती है।
उदाहरण के तौर पर Paytm Postpaid के जरिए ग्राहकों को “अभी खरीदो, बाद में भुगतान करो” सुविधा दी जाती है, जिस पर ब्याज और लेट फीस लगती है।
4. थर्ड-पार्टी प्रमोशन और कैशबैक स्कीम
जब कोई ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म, रेस्टोरेंट चेन या सिनेमा हॉल Google Pay या PhonePe के जरिए पेमेंट लेने का विकल्प देता है, तो वे इसके प्रमोशन के लिए ऐप कंपनी को फीस देते हैं।
कई बार ऐप कंपनियां नए यूजर्स को जोड़ने के लिए कैशबैक ऑफर करती हैं, जिसका खर्च अक्सर पार्टनर कंपनियां उठाती हैं।
5. डेटा-ड्रिवन बिजनेस मॉडल
हालांकि UPI कंपनियां सीधे यूजर का निजी डेटा नहीं बेच सकतीं, लेकिन वे अनाम डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल बिजनेस स्ट्रैटजी और विज्ञापन के लिए करती हैं।
यूजर्स के खर्च करने के पैटर्न से कंपनियां यह तय करती हैं कि किन ब्रांड्स के साथ पार्टनरशिप फायदेमंद होगी।
इससे लक्षित विज्ञापन और ऑफर देकर रेवेन्यू बढ़ाया जाता है।
6. इन-ऐप सर्विस चार्ज
Paytm जैसी कंपनियां बिल पेमेंट, मोबाइल रिचार्ज, मेट्रो कार्ड रिचार्ज या मूवी टिकट बुकिंग जैसी सेवाओं पर कमीशन लेती हैं।
इन-ऐप गेमिंग, गोल्ड खरीद-बिक्री और गिफ्ट कार्ड से भी इनका रेवेन्यू बढ़ता है।
7. बिजनेस के लिए पेमेंट गेटवे
Google Pay Business, PhonePe for Business और Paytm for Business जैसे प्लेटफॉर्म बड़े व्यापारियों को पेमेंट गेटवे सेवा देते हैं।
इन सेवाओं पर प्रोसेसिंग फीस लगती है।
यह कंपनियों के लिए बड़ा रेवेन्यू स्रोत है।
8. निवेश और बैलेंस से ब्याज
Paytm Wallet में रखा पैसा रिजर्व बैंक के नियमों के तहत बैंकों में रखा जाता है। इस पर मिलने वाला ब्याज कंपनी की आय बनता है।
इसी तरह PhonePe और Google Pay भी पार्टनर बैंकों के जरिए फंड मैनेज करके कमाई करते हैं।
9. अंतरराष्ट्रीय ट्रांजैक्शन और प्रीमियम सर्विस
कुछ UPI ऐप अब अंतरराष्ट्रीय भुगतान की सुविधा दे रहे हैं, जिस पर कन्वर्ज़न फीस लगती है।
भविष्य में ये कंपनियां प्रीमियम अकाउंट या सब्सक्रिप्शन मॉडल भी ला सकती हैं, जिससे मासिक या वार्षिक शुल्क लिया जाएगा।
10. लॉन्ग-टर्म गेम प्लान
इन कंपनियों का शुरुआती फोकस यूजर बेस बढ़ाने पर रहा है।
पहले वे भारी कैशबैक और ऑफर्स देकर लोगों को जोड़ते हैं।
एक बार जब करोड़ों यूजर्स और लाखों व्यापारी जुड़ जाते हैं, तो धीरे-धीरे फाइनेंशियल प्रोडक्ट, इंश्योरेंस, लोन और निवेश सेवाओं से रेवेन्यू बढ़ाते हैं।
Google Pay, Paytm और PhonePe जैसी कंपनियां सीधे UPI ट्रांजैक्शन से नहीं, बल्कि फाइनेंशियल सर्विसेज, कमीशन, प्रोसेसिंग फीस, डेटा एनालिटिक्स और व्यापारी सेवाओं से कमाई करती हैं।
UPI ऐप्स का मकसद सिर्फ पेमेंट कराना नहीं, बल्कि एक पूरे डिजिटल इकोसिस्टम का निर्माण करना है, जिसमें शॉपिंग, बिल पेमेंट, इंश्योरेंस, लोन और निवेश – सब कुछ एक ही प्लेटफॉर्म पर हो। यही उनका असली बिजनेस मॉडल है।