
देवघर, झारखंड। देवघर जिले में एक हृदयविदारक हादसा सामने आया है। घर के बाहर बने सेफ्टी टैंक (सेप्टिक टैंक) में डूबने से एक मासूम बच्चे की मौत हो गई। यह घटना पूरे इलाके में शोक और आक्रोश का कारण बन गई है। मृतक बच्चे का नाम आनंद कुमार बताया जा रहा है।
परिजनों और स्थानीय लोगों के अनुसार, आनंद खेलते-खेलते अचानक घर से बाहर निकल गया और काफी देर तक वापस नहीं लौटा। जब परिजनों ने बच्चे को हर जगह खोजा, तो घर के बाहर बने सेफ्टी टैंक में डंडे से देखने पर उसका शव तैरता हुआ दिखाई दिया। आनन-फानन में बच्चे को बाहर निकालकर इलाज के लिए पहले देवीपुर अस्पताल और बाद में देवघर सदर अस्पताल लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
हादसे का विवरण: खेलते-खेलते खो गई मासूम की जिंदगी
घटना के संबंध में परिजन सोनू कुमार ने जानकारी दी कि हादसा देर शाम का है। घर पर सभी लोग आपस में बैठे थे और महिलाएं रसोई में खाना बनाने में व्यस्त थीं। इसी बीच आनंद खेलते-खेलते बाहर निकल गया।
जब काफी देर तक बच्चा नजर नहीं आया, तो परिजन परेशान हो उठे और खोजबीन शुरू कर दी। खोजबीन के दौरान जब घर के बाहर बने सेफ्टी टैंक में डंडा डालकर देखा गया, तो बच्चे का शव ऊपर आता दिखाई दिया।
परिजनों ने तुरंत बच्चे को बाहर निकाला और उसे अस्पताल ले जाया गया। लेकिन डॉक्टरों ने जांच के बाद बच्चे को मृत घोषित कर दिया।
इलाज के प्रयास और नाकाम उम्मीद
जानकारी के अनुसार, बच्चे को पहले नजदीकी देवीपुर अस्पताल ले जाया गया था। डॉक्टरों ने हालत गंभीर देखते हुए बच्चे को देवघर सदर अस्पताल रेफर कर दिया। सदर अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टरों ने जांच के बाद मासूम आनंद को मृत घोषित कर दिया।
बच्चे की मौत की खबर सुनते ही पूरे परिवार में कोहराम मच गया। माता-पिता और परिजन बेसुध होकर रोने लगे।
परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
मासूम की मौत के बाद परिवार का माहौल शोक में डूब गया। माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। वहीं रिश्तेदार और पड़ोसी भी गम में डूब गए। सदर अस्पताल में पोस्टमार्टम के बाद शव को परिजनों को सौंप दिया गया।
स्थानीय लोगों की नाराजगी: सुरक्षा व्यवस्था पर उठे सवाल
इस हादसे के बाद स्थानीय लोगों में नाराजगी देखी जा रही है। उनका कहना है कि खुले और असुरक्षित सेफ्टी टैंक छोटे बच्चों के लिए जानलेवा साबित हो रहे हैं। ऐसे हादसे पहले भी कई बार सामने आए हैं, लेकिन प्रशासन और ग्रामीण स्तर पर सुरक्षा इंतजामों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
स्थानीय लोगों ने मांग की है कि गांव और शहर के घरों में बने सेफ्टी टैंक/सेप्टिक टैंक को ढककर सुरक्षित बनाया जाए, ताकि ऐसे हादसों को रोका जा सके।
हादसे के बाद प्रशासन की भूमिका
घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। बच्चे के शव का पोस्टमार्टम सदर अस्पताल में कराया गया और उसके बाद परिजनों को सौंप दिया गया।
पुलिस प्रशासन ने परिवार को सांत्वना दी और भविष्य में सुरक्षा उपायों पर ध्यान देने की बात कही। हालांकि ग्रामीणों का कहना है कि सिर्फ आश्वासन से काम नहीं चलेगा, प्रशासन को सख्त कदम उठाने होंगे।
लगातार हो रहे हादसे, बढ़ रही चिंता
सेफ्टी टैंक या खुले नालों में डूबकर बच्चों की मौत की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। देवघर और आसपास के इलाकों में यह कोई पहली घटना नहीं है।
स्थानीय लोग कहते हैं कि शहर और गांव में सेप्टिक टैंक अक्सर खुले छोड़ दिए जाते हैं। कई जगहों पर टैंक का ढक्कन पुराना और कमजोर होता है, जिससे इस तरह की घटनाएं घटित हो जाती हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर निर्माण के समय सुरक्षा मानकों का पालन किया जाए और नियमित रूप से ढक्कनों की जांच हो, तो इस तरह के हादसों को रोका जा सकता है
मासूम की मौत ने छोड़ा सवाल
आनंद की मौत ने समाज और प्रशासन दोनों के सामने बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि आखिर कब तक ऐसे हादसों में मासूम अपनी जान गंवाते रहेंगे।
परिवार की खुशियां मातम में बदल गईं। जिस बच्चे की हंसी-खिलखिलाहट से घर गूंजता था, आज वही घर गमगीन है।