
देवघर। धर्म और अध्यात्म की नगरी देवघर अपनी अनोखी परंपराओं और धार्मिक आयोजनों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। यहां हर त्योहार और पूजन बड़े ही श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसी कड़ी में इस बार गणपति विसर्जन को लेकर गजानंद समाज ने ऐसा अनूठा कदम उठाया है, जिसने पूरे झारखंड ही नहीं बल्कि देशभर का ध्यान अपनी ओर खींचा है।
गजानंद समाज की ओर से इस वर्ष गणपति विसर्जन देवघर में नहीं, बल्कि 1265 किलोमीटर दूर पवित्र नगरी हरिद्वार में किया जाएगा। इसके लिए विशेष तैयारी की गई है। बाबा बैद्यनाथ धाम में पहले गणपति बप्पा की भव्य शोभायात्रा निकाली गई, जो नगर के प्रमुख चौक-चौराहों से होकर गुजरी। ढोल, बाजा और नगाड़ों की गूंज से पूरा वातावरण गणपति बप्पा मोरया के जयकारों से गूंज उठा। श्रद्धालु और समाज के सदस्य इस अनूठी परंपरा के गवाह बने।
देवघर से दिल्ली होते हुए हरिद्वार तक का सफर
गजानंद समाज ने गणपति विसर्जन को ऐतिहासिक बनाने के लिए विशेष यात्रा की व्यवस्था की है। शोभायात्रा बाबा बैद्यनाथ मंदिर से शुरू होकर देवघर एयरपोर्ट तक पहुंची। यहां से समिति के सदस्य और श्रद्धालु गणपति बप्पा की प्रतिमा के साथ विमान द्वारा दिल्ली रवाना होंगे। दिल्ली से कनेक्टिंग फ्लाइट के जरिए सभी श्रद्धालु देहरादून जाएंगे। इसके बाद सड़क मार्ग से गणपति की प्रतिमा को लेकर हरिद्वार पहुंचा जाएगा।
हरिद्वार में गंगा तट पर विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के बीच गणपति बप्पा का जल विसर्जन होगा। आयोजन समिति का कहना है कि इस पवित्र कार्य का उद्देश्य देवघर से गणपति बप्पा को गंगा तट तक पहुंचाकर पूरे देश में धार्मिक एकता और भक्ति का संदेश देना है

भव्य शोभायात्रा ने खींचा ध्यान
गणपति विसर्जन से पहले देवघर में निकाली गई शोभायात्रा आकर्षण का केंद्र रही। जगह-जगह श्रद्धालुओं ने शोभायात्रा का स्वागत किया। सड़क पर पुष्प वर्षा की गई और बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक गणपति बप्पा के दर्शन के लिए उमड़ पड़े। यात्रा में शामिल लोग पारंपरिक परिधानों में नजर आए और भक्तिमय माहौल ने सभी को अभिभूत कर दिया।
ढोल-नगाड़ों की थाप और जयकारों के बीच गजानंद समाज के सदस्यों ने संकल्प लिया कि गणपति विसर्जन केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक होगा।
समाज की विशेष तैयारी
गजानंद समाज के पदाधिकारियों ने बताया कि इस पूरे आयोजन की तैयारी महीनों पहले शुरू कर दी गई थी। देवघर से हरिद्वार तक की यात्रा के लिए टिकट बुकिंग, फ्लाइट शेड्यूल, प्रतिमा के सुरक्षित ले जाने की व्यवस्था और हरिद्वार में पूजा की रूपरेखा सब कुछ योजनाबद्ध तरीके से किया गया है। समिति ने कहा कि यह सिर्फ एक विसर्जन नहीं बल्कि भक्ति और आस्था की यात्रा है।
देवघर से हरिद्वार तक धार्मिक संदेश
धार्मिक विद्वानों का मानना है कि गणपति बप्पा को हरिद्वार में गंगा नदी में विसर्जित करना देवघर से लेकर हरिद्वार तक धार्मिक और सांस्कृतिक जुड़ाव को मजबूत करेगा। देवघर पहले से ही बाबा बैद्यनाथ धाम के कारण अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्याति प्राप्त है। अब गणपति विसर्जन का यह आयोजन देवघर की पहचान को और व्यापक बनाएगा।
श्रद्धालुओं में उत्साह
इस खबर के सामने आने के बाद श्रद्धालुओं में खासा उत्साह देखने को मिला है। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि यह पहला मौका है जब देवघर से इतनी बड़ी संख्या में लोग गणपति विसर्जन के लिए विमान से यात्रा कर रहे हैं। भक्तों का मानना है कि इससे धार्मिक परंपराओं का नया अध्याय शुरू होगा।
सुरक्षा और व्यवस्था
समिति ने सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिस प्रशासन के साथ मिलकर देवघर एयरपोर्ट से लेकर शोभायात्रा मार्ग तक विशेष व्यवस्था की है। हरिद्वार में भी स्थानीय प्रशासन को इसकी जानकारी दे दी गई है।
देवघर की धरती हमेशा से ही धार्मिक आयोजनों की गवाह रही है। इस बार गजानंद समाज द्वारा गणपति विसर्जन को हरिद्वार में आयोजित करने का निर्णय न सिर्फ अनूठा है, बल्कि देवघर की धार्मिक पहचान को एक नई ऊंचाई देगा। यह आयोजन भावी पीढ़ियों के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बनेगा कि श्रद्धा और आस्था की कोई सीमाएं नहीं होतीं।

