
देवघर। झारखंड के देवघर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS Deoghar) में मरीजों और परिजनों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए एक नई व्यवस्था लागू की गई है। अब एम्स कैंपस के भीतर निजी वाहनों की एंट्री पूरी तरह बंद कर दी गई है। मरीजों और उनके परिजनों को अस्पताल परिसर के अंदर आने-जाने के लिए बैटरी चालित गाड़ियों की सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी।
यह निर्णय एम्स प्रबंधन ने अस्पताल में भीड़, ट्रैफिक और प्रदूषण की समस्या को समाप्त करने के उद्देश्य से लिया है। एम्स निदेशक डॉ. सौरभ वार्ष्णेय ने इसकी विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि नई व्यवस्था से मरीजों को एक इमारत से दूसरी इमारत तक पहुंचने में काफी सुविधा होगी और सुरक्षा व्यवस्था भी बेहतर तरीके से लागू की जा सकेगी।
निजी वाहनों पर रोक क्यों?
देवघर एम्स परिसर में अब तक बड़ी संख्या में निजी वाहनों की आवाजाही होती थी। इसके कारण अस्पताल परिसर में जाम की स्थिति बनती थी। कई बार मरीजों को इमरजेंसी में ले जाने के दौरान एंबुलेंस को भी बाधा का सामना करना पड़ता था। साथ ही अस्पताल का वातावरण प्रदूषण और ध्वनि से प्रभावित हो रहा था।
नई व्यवस्था लागू होने के बाद निजी गाड़ियों को मुख्य द्वार से आगे जाने की अनुमति नहीं होगी।
मरीजों के लिए बैटरी चालित गाड़ियां
अस्पताल आने वाले मरीजों और परिजनों को अब चिंता करने की आवश्यकता नहीं होगी। मुख्य द्वार से अस्पताल के भीतर जाने के लिए बैटरी से चलने वाली गाड़ियों का इंतजाम किया गया है। यह गाड़ियां मुख्य गेट से विभिन्न विभागों, ओपीडी, वार्ड और इमरजेंसी तक मरीजों और परिजनों को पहुंचाएंगी।
यह सुविधा विशेष रूप से बुजुर्ग मरीजों, दिव्यांगजनों और गंभीर रोगियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगी।
टोकन प्रणाली होगी अनिवार्य
एम्स प्रबंधन के अनुसार, चाहे मरीज पहली बार विजिट कर रहा हो या री-विज़िट पर आया हो, टोकन लेना अनिवार्य होगा।
यह टोकन ABHA Card, ABHA Mobile App अथवा अन्य पंजीकरण ऐप से रजिस्ट्रेशन और QR कोड स्कैन करने के बाद मिलेगा।
टोकन प्रणाली लागू करने का मुख्य उद्देश्य मरीजों की लाइन को व्यवस्थित करना और उनके इलाज की प्रक्रिया को पारदर्शी एवं सुचारू बनाना है।
नई व्यवस्था से मरीजों और परिजनों को क्या फायदा होगा?
1. अस्पताल परिसर में भीड़ और ट्रैफिक की समस्या खत्म होगी।
2. मरीजों को एक गेट से दूसरे गेट तक या दूर-दराज स्थित इमारतों तक आसानी से पहुंचने में मदद मिलेगी।
3. अस्पताल परिसर प्रदूषण और ध्वनि रहित वातावरण में परिवर्तित होगा।
4. सुरक्षा व्यवस्था और भी मजबूत एवं प्रभावी होगी।
5. एंबुलेंस और इमरजेंसी सेवाओं को निर्बाध रूप से चलाने में सहूलियत होगी।

पर्यावरण के लिए लाभदायक कदम
बैटरी चालित गाड़ियों का उपयोग करने से अस्पताल परिसर हरित और स्वच्छ वातावरण में परिवर्तित होगा। मरीजों और परिजनों को ध्वनि और वायु प्रदूषण से मुक्ति मिलेगी। इसके साथ ही अस्पताल के आसपास का परिवेश भी स्वस्थ और शांत बना रहेगा।
देवघर एम्स का महत्व
देवघर स्थित एम्स को केंद्र सरकार ने झारखंड के लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से स्थापित किया है। संथाल परगना और आसपास के जिलों के लाखों मरीज यहां इलाज कराने आते हैं।
हर दिन बड़ी संख्या में मरीज ओपीडी, इमरजेंसी और वार्ड सेवाओं का लाभ उठाते हैं। ऐसे में अस्पताल परिसर में ट्रैफिक को नियंत्रित करना बेहद जरूरी हो गया था।
सुरक्षा व्यवस्था पर फोकस
एम्स प्रबंधन का मानना है कि निजी वाहनों पर रोक लगाने से अस्पताल की सुरक्षा व्यवस्था और अधिक मजबूत होगी। कैंपस में प्रवेश करने वाले प्रत्येक मरीज और परिजन को पंजीकरण कराना होगा और QR कोड स्कैन करना अनिवार्य होगा। इससे मरीजों की सही पहचान सुनिश्चित होगी और किसी भी अप्रिय स्थिति से बचा जा सकेगा।
मरीजों और परिजनों से अपील
एम्स प्रबंधन ने मरीजों और उनके परिजनों से अपील की है कि वे इस नई व्यवस्था में सहयोग करें। इससे अस्पताल का माहौल अनुशासित रहेगा और मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिल पाएंगी।
देवघर एम्स की यह नई पहल स्वास्थ्य सेवाओं को और अधिक सुव्यवस्थित, सुरक्षित और पर्यावरण हितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
निजी वाहनों पर रोक और बैटरी चालित गाड़ियों की सुविधा से मरीजों को राहत तो मिलेगी ही, साथ ही अस्पताल परिसर में प्रदूषण मुक्त वातावरण भी तैयार होगा।
एम्स प्रबंधन के अनुसार, यह व्यवस्था भविष्य में अन्य बड़े अस्पतालों के लिए भी एक मॉडल साबित हो सकती है।

