देवघर: मोहनपुर प्रखंड के खरकड़िया गांव में गुरुवार को सड़क निर्माण कंपनी के वाहन से एक व्यक्ति के घायल होने के मामले को लेकर आक्रोश भड़क गया। शुक्रवार को सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने खरकड़िया-तिलैया मुख्य सड़क को जाम कर दिया और पीड़ित परिवार के लिए उचित मुआवजा एवं इलाज का पूरा खर्च वहन करने की मांग की।
घटना को लेकर गांव में तनाव का माहौल बना हुआ है।
मिली जानकारी के अनुसार, बीते 17 अक्टूबर को मोहनपुर थाना क्षेत्र के तिलैया गांव निवासी राजेंद्र यादव सड़क निर्माण कार्य में लगे एक भारी वाहन की चपेट में आकर गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे के बाद आनन-फानन में उन्हें स्थानीय लोगों की मदद से देवघर सदर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां डॉक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद उनकी गंभीर स्थिति को देखते हुए रिम्स, रांची रेफर कर दिया।
वर्तमान में राजेंद्र यादव रिम्स में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे हैं।
परिजनों का आरोप है कि सड़क निर्माण कंपनी की लापरवाही के कारण यह हादसा हुआ है। परिजनों ने बताया कि घटना के बाद कंपनी के प्रतिनिधियों ने मौके पर आकर इलाज का संपूर्ण खर्च उठाने का आश्वासन दिया था। लेकिन अब तक कंपनी की ओर से न तो कोई वित्तीय मदद दी गई है, न ही किसी ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया है।
इसी के विरोध में ग्रामीणों ने शुक्रवार सुबह खरकड़िया मुख्य सड़क को जाम कर दिया। ग्रामीणों ने सड़क के बीचोंबीच बैठकर प्रदर्शन किया और प्रशासन एवं कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की।
ग्रामीणों ने कहा कि जब तक पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा नहीं दिया जाएगा और इलाज की पूरी व्यवस्था नहीं की जाएगी, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। उनका कहना है कि राजेंद्र यादव गरीब परिवार से हैं और इलाज का खर्च उठाने की स्थिति में नहीं हैं।
स्थानीय लोगों ने यह भी आरोप लगाया कि सड़क निर्माण कार्य में सुरक्षा के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। बिना चेतावनी बोर्ड, साइनलाइट या सुरक्षा कर्मियों की मौजूदगी के वाहनों का संचालन किया जा रहा है, जिससे ऐसी घटनाएं होना आम बात बन गई है।
घटना की जानकारी मिलते ही मोहनपुर थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। उन्होंने ग्रामीणों से बातचीत कर जाम हटाने का आग्रह किया। काफी समझाने-बुझाने के बाद प्रशासन ने आश्वासन दिया कि मामले की जांच कराई जाएगी और यदि कंपनी की लापरवाही पाई जाती है तो उचित कार्रवाई की जाएगी।
इसके बाद आंशिक रूप से यातायात बहाल कराया गया, हालांकि कुछ लोग देर शाम तक मौके पर डटे रहे।
वहीं, इस घटना को लेकर सड़क निर्माण कंपनी के स्टाफ ने अपनी सफाई दी है। कंपनी के एक कर्मी ने कहा कि यह दुर्घटना कंपनी के वाहन से नहीं हुई थी। उनके अनुसार, “राजेंद्र यादव घटना के समय नशे की हालत में थे और उनकी बाइक खुद असंतुलित होकर गिर गई थी।”
कंपनी का दावा है कि जिस समय हादसा हुआ, उनके किसी वाहन की गतिविधि उस इलाके में नहीं थी।
इस बयान के बाद मामला और पेचीदा हो गया है। एक ओर जहां ग्रामीण कंपनी पर जिम्मेदारी से भागने का आरोप लगा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर कंपनी अपनी संलिप्तता से इंकार कर रही है।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि आसपास लगे कुछ CCTV कैमरों की जांच से स्थिति स्पष्ट हो सकती है, लेकिन अभी तक पुलिस ने फुटेज जब्त नहीं किया है।
पीड़ित के परिजनों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द जांच कर दोषियों को चिन्हित किया जाए और कंपनी पर एफआईआर दर्ज की जाए। उनका कहना है कि यदि प्रशासन द्वारा कार्रवाई नहीं की गई तो वे सड़क निर्माण कार्य को बंद करवाने की मांग को लेकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
स्थानीय सामाजिक संगठनों ने भी इस घटना को लेकर चिंता जताई है। उनका कहना है कि ग्रामीण इलाकों में सड़क निर्माण कार्य के दौरान अक्सर सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जाती है।
“काम जल्दी खत्म करने की होड़ में ठेकेदार और कंपनी प्रशासन मजदूरों व आम नागरिकों की सुरक्षा पर ध्यान नहीं देते। यही वजह है कि ऐसी घटनाएं बढ़ती जा रही हैं,” स्थानीय समाजसेवी राजेश मिश्रा ने कहा।
इस बीच, देवघर जिला प्रशासन ने बताया कि पूरे मामले की जांच मोहनपुर सीओ और थाना प्रभारी को सौंप दी गई है। अधिकारियों ने कहा कि पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने में कोई कोताही नहीं बरती जाएगी।
यदि कंपनी की गलती साबित होती है, तो उसे न केवल इलाज का खर्च उठाना पड़ेगा, बल्कि कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।
उधर, ग्रामीणों ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि आने वाले 48 घंटे के भीतर प्रशासन ठोस कदम नहीं उठाता है, तो वे फिर से अनिश्चितकालीन जाम करेंगे और जिला मुख्यालय में धरना देंगे।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि विकास कार्यों के नाम पर हो रहे निर्माण में स्थानीय सुरक्षा उपायों की अनदेखी किस हद तक खतरनाक साबित हो सकती है।
राजेंद्र यादव का जीवन फिलहाल अस्पताल में संघर्षरत है, जबकि उनके परिवार के लिए यह आर्थिक और मानसिक दोनों रूप से कठिन समय है।
अब देखना यह होगा कि प्रशासन जांच में कितनी तेजी दिखाता है और पीड़ित को न्याय दिलाने के लिए क्या ठोस कदम उठाता है।
