
SIR को लेकर सियासत तेज, शीतकालीन सत्र में हंगामे के आसार
संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले ही मतदाता सूचियों के विशेष पुनरीक्षण अभियान (Special Interim Revision – SIR) को लेकर राजनीतिक तापमान बढ़ गया है। विपक्ष जहां इस अभियान को लेकर सवाल खड़े कर रहा है, वहीं भाजपा इसे पूरी तरह चुनाव आयोग का अधिकार क्षेत्र बताती हुई विपक्ष पर विदेशी ताकतों के साथ मिलीभगत का आरोप लगा रही है।
गोड्डा से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने SIR मुद्दे पर सख्त बयान देते हुए साफ कहा कि भारत का चुनाव केवल भारतीय नागरिकों के वोट से होगा, विदेशी या बांग्लादेशी वोटों से नहीं। उन्होंने कहा कि SIR का विरोध वही लोग कर रहे हैं जो देश की चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित करने के लिए बाहरी तत्वों का सहारा लेते हैं।
निशिकांत दुबे का बड़ा हमला: “चुनाव भारतीय वोटों से होगा, विदेशी वोटरों से नहीं”
निशिकांत दुबे ने मीडिया से बात करते हुए कहा,
“भारत का चुनाव भारतीय वोटों से होगा, बांग्लादेशी या किसी विदेशी वोट से नहीं। SIR का विरोध वे लोग कर रहे हैं, जिनकी विदेशी ताकतों से मिलीभगत है और जो चुनाव को प्रभावित करना चाहते हैं।”
उन्होंने यह भी दावा किया कि बिहार में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है जिसमें किसी वैध भारतीय नागरिक का नाम SIR में हटाया गया हो। सुप्रीम कोर्ट भी साफ कर चुका है कि SIR पूरी तरह से चुनाव आयोग का वैधानिक अधिकार है और उसके तहत किया जा रहा काम न्यायसंगत है।
रविवार को होगी सांसदों की बैठक, तय होगी आगे की रणनीति
निशिकांत दुबे ने बताया कि रविवार को भाजपा सांसदों की एक महत्वपूर्ण बैठक होगी जिसमें SIR पर विपक्ष के रुख और पार्टी की कार्ययोजना पर चर्चा की जाएगी। उन्होंने कहा कि बैठक के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि सदन में पार्टी किस तरह विपक्ष का जवाब देगी।
1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा शीतकालीन सत्र
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया के माध्यम से जानकारी दी कि शीतकालीन सत्र 1 दिसंबर से 19 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान कुल 15 बैठकें निर्धारित की गई हैं। सरकार कई महत्वपूर्ण विधेयक लेकर आ सकती है, वहीं विपक्ष SIR को लेकर सदन में घमासान की तैयारी में है।
SIR को लेकर विपक्ष का हंगामा तय
विपक्षी दल पहले ही संकेत दे चुके हैं कि वे SIR के नाम पर सदन में सरकार को घेरने का प्रयास करेंगे। विपक्ष का आरोप है कि इस अभियान के जरिये मतदाता सूची से नाम हटाए जा रहे हैं। वहीं भाजपा और चुनाव आयोग इन आरोपों को निराधार बताते हैं।
शीतकालीन सत्र में SIR मुद्दा बड़ा राजनीतिक फ्लैशपॉइंट बन सकता है और सदन में जोरदार बहस व हंगामे की पूरी संभावना है।
