रांची में तेजी से घटते हरित आवरण को बचाने के लिए आरकेडीएफ विश्वविद्यालय ने सेंट्रल कोलफील्ड्स लिमिटेड (CCL) के सहयोग से एक अभिनव पहल शुरू की है। “ट्री एम्बुलेंस” नाम की यह विशेष मोबाइल यूनिट बीमार, क्षतिग्रस्त और कमजोर पेड़ों का वैज्ञानिक तरीके से उपचार कर उन्हें नया जीवन देने का काम कर रही है। बीते 5 वर्षों में इस मुहिम ने 3,000 से अधिक पेड़ों को उपचार देकर बचाया है, जो शहर की हरियाली के लिए एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है।

मोबाइल क्लिनिक की तरह काम करती है ट्री एम्बुलेंस
ट्री एम्बुलेंस पूरी तरह से पेड़ों के इलाज के लिए तैयार एक मोबाइल हेल्थ यूनिट है। इसमें मिट्टी की गुणवत्ता जांचने और बढ़ाने वाले उपकरण, जैविक कीटनाशक, विशेष उर्वरक, रोग पहचान तकनीक और उपचार किट मौजूद रहती है। सूचना मिलते ही 2–3 विशेषज्ञों की टीम मौके पर पहुंचकर पेड़ की पूरी मेडिकल जांच करती है और उसी समय उपचार की प्रक्रिया शुरू कर देती है। अक्सर कई बीमारियों की पहचान तुरंत हो जाती है, जिससे पेड़ तेजी से ठीक होते हैं। इस परियोजना का विचार आरकेडीएफ विवि के रजिस्ट्रार डॉ. अमित कुमार पांडेय को 2020 में आया था। 22 अगस्त 2020 को विश्वविद्यालय के एमडी सिद्धार्थ कपूर ने इसकी औपचारिक शुरुआत की। शुरुआत से ही CCL ने वित्तीय और तकनीकी सहायता देकर इस अभियान को मजबूत आधार दिया।
तीन चरणों में पेड़ों को दिया जाता है नया जीवन
1. उपचार चरण
सबसे पहले पेड़ की बीमारी की पहचान की जाती है। जरुरत पड़ने पर जैविक कीटनाशक और विशेष उर्वरकों का इंजेक्शन दिया जाता है, जिससे संक्रमण तेजी से खत्म हो सके और पेड़ की प्रतिरोधक क्षमता बढ़े।
2. मिट्टी की गुणवत्ता सुधार
पेड़ों के कमजोर होने का प्रमुख कारण अक्सर मिट्टी की खराब गुणवत्ता होती है। ऐसे मामलों में टीम मृदा की जांच कर उपचार करती है। मिट्टी में पोषक तत्वों की मात्रा बढ़ाई जाती है, जिससे पेड़ों को दोबारा ऊर्जा मिल सके।
3. मरम्मत और संरचनात्मक सुधार
संक्रमित, कमजोर या मृत शाखाओं की छंटाई की जाती है। रोगग्रस्त हिस्सों को हटाकर पेड़ को राहत दी जाती है, जिससे उसका विकास फिर से तेज होता है और पेड़ स्वस्थ रूप से बढ़ने लगता है। इस प्रक्रिया ने हजारों पेड़ों को नया जीवन दिया है।
इस मिशन का पर्यावरण पर बड़ा प्रभाव
रांची के शहरी इलाकों में जहां लगातार निर्माण कार्य से पेड़ों का अस्तित्व खतरे में था, वहीं ट्री एम्बुलेंस एक संरक्षक की तरह काम कर रही है। यह न केवल हरियाली को बचा रही है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण के प्रति समाज में जागरूकता भी बढ़ा रही है। छात्रों को भी इस अभियान से जोड़ा गया है, जिससे उन्हें पर्यावरण विज्ञान का वास्तविक अनुभव मिलता है।
