
Hul Diwas Controversy: साहिबगंज के भोगनाडीह में श्रद्धांजलि कार्यक्रम से पहले हुआ बवाल, मंत्री दीपिका सिंह ने बीजेपी पर लगाया साजिश का आरोप
साहिबगंज, झारखंड:
30 जून 2025 को हूल दिवस के अवसर पर साहिबगंज जिले के भोगनाडीह गांव में उस वक्त माहौल तनावपूर्ण हो गया जब सिदो-कान्हू, चांद-भैरव और फूलो-झानो को श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों और पुलिस के बीच तीखी झड़प हो गई। यह कार्यक्रम झारखंड की आजादी की लड़ाई में योगदान देने वाले महान आदिवासी योद्धाओं को याद करने के लिए आयोजित किया गया था।
इस घटना ने राजनीतिक रूप से तूल पकड़ लिया है। झारखंड सरकार की ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने इस झड़प को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि यह झगड़ा “पूर्व नियोजित साजिश” का हिस्सा था, जिससे हूल दिवस जैसे ऐतिहासिक और गर्व के दिन की गरिमा को धूमिल किया जाए।
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क्या हुआ था भोगनाडीह में?
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, हूल दिवस के मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण, जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक अधिकारी भोगनाडीह में एकत्र हुए थे। इसी बीच पुलिस और स्थानीय ग्रामीणों के बीच किसी मुद्दे को लेकर विवाद हो गया, जो जल्द ही झड़प में बदल गया। कुछ लोगों को हिरासत में भी लिया गया, जिससे मौके पर तनाव और बढ़ गया।
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मंत्री का बयान: “यह बीजेपी की सोची-समझी चाल”
ग्रामीण विकास मंत्री दीपिका पांडेय सिंह ने कहा:
> “भाजपा नहीं चाहती कि सिदो-कान्हू की लड़ाई की भावना लोगों के दिलों में जिंदा रहे। उन्होंने हूल दिवस जैसे आदिवासी स्वाभिमान से जुड़े दिन को विवादास्पद बनाने की साजिश रची है। लेकिन सरकार और जनता इसे नाकाम कर देगी।”
उन्होंने साथ ही कहा कि प्रशासन से पूरे मामले की रिपोर्ट मांगी गई है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।
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सिदो-कान्हू और हूल दिवस का महत्व
हर वर्ष 30 जून को हूल दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह वही दिन है जब साल 1855 में सिदो और कान्हू मुर्मू ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ एक ऐतिहासिक विद्रोह की शुरुआत की थी। इस आंदोलन में हजारों आदिवासी साथियों ने हिस्सा लिया था और यह आदिवासी समाज के स्वाभिमान, साहस और बलिदान का प्रतीक बन गया।
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विपक्ष ने भी साधा निशाना
इस झड़प को लेकर विपक्षी दलों ने राज्य सरकार पर कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए हैं। भाजपा नेताओं का कहना है कि सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए विपक्ष पर आरोप मढ़ रही है।
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निष्कर्ष
हूल दिवस जैसी ऐतिहासिक तिथि पर झड़प का होना दुखद है। यह दिन शहीद आदिवासी वीरों की याद और उनके बलिदान को सम्मान देने का है। राजनीतिक बयानबाजी के बीच जरूरत इस बात की है कि सभी पक्ष मिलकर इस दिन की गरिमा को बनाए रखें और आने वाली पीढ़ियों तक इसके महत्व को पहुंचाएं।