
मानवता हुई शर्मसार: अयोध्या में बुजुर्ग मां को परिजनों ने लावारिस छोड़ा
अयोध्या | ब्यूरो रिपोर्ट
अयोध्या में एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया। यहां एक बुजुर्ग महिला को उसके ही परिजन सड़क किनारे लावारिस हालत में छोड़कर चले गए। महिला की उम्र करीब 70 साल बताई जा रही है और वह चलने-फिरने में असमर्थ है। इस हाल में उन्हें जिस तरह बेसहारा छोड़ दिया गया, वह समाज के उस बेरुखे चेहरे को दिखाता है, जहां रिश्ते सिर्फ जिम्मेदारी से बचने का माध्यम बनते जा रहे हैं।
सड़क किनारे बेसुध मिली बुजुर्ग महिला
घटना अयोध्या शहर के मुख्य मार्गों में से एक पर हुई, जहां स्थानीय लोगों ने बुजुर्ग महिला को कई घंटों तक अकेले पड़े देखा। महिला असहाय और कमजोर स्थिति में थी। उसके पास न खाने का कोई सामान था, न पहनने की ढंग की चीजें। वह लगातार रोती रही और कुछ बोल पाने की हालत में भी नहीं थी।
स्थानीय निवासियों ने जब महिला को कई घंटों तक एक ही जगह पर बैठे देखा, तो उन्हें शक हुआ। पास जाकर पूछने पर महिला कुछ भी स्पष्ट नहीं बता सकी। बाद में लोगों ने पुलिस और सामाजिक संगठनों को सूचना दी।
परिजनों की बेरुखी ने तोड़ा दिल
पुलिस ने जब जांच शुरू की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। पता चला कि महिला को उसके ही परिजन एक वाहन से लाकर यहां छोड़ गए थे। न उन्हें किसी वृद्धाश्रम में छोड़ा गया, न ही किसी अस्पताल या देखभाल केंद्र में। बल्कि जान-बूझकर सड़क किनारे इस हालत में छोड़ा गया, ताकि किसी को शक न हो और वे अपने ‘बोझ’ से छुटकारा पा सकें।
पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के माध्यम से वाहन की पहचान करने की कोशिश शुरू कर दी है। वहीं, सोशल मीडिया पर यह मामला वायरल होने के बाद कई सामाजिक कार्यकर्ता बुजुर्ग महिला की मदद के लिए आगे आए हैं।
मानवता को झकझोर देने वाला दृश्य
स्थानीय निवासी संजय तिवारी बताते हैं कि “हमने जब पहली बार दादी मां को यहां देखा, तो लगा कोई खो गया है। लेकिन जब कुछ घंटों तक कोई लेने नहीं आया, और वह कुछ बता भी नहीं पा रही थीं, तब समझ में आया कि मामला गंभीर है। उन्होंने जो हालत में उन्हें छोड़ा, वह देखकर आंखें भर आईं।”
एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अर्चना पांडे ने कहा, “यह केवल एक महिला की कहानी नहीं है, यह हमारे समाज की बदलती सोच की तस्वीर है, जहां रिश्ते मतलब के साथ जुड़े होते हैं और जिम्मेदारियों से बचने के लिए ऐसे अमानवीय कदम उठाए जा रहे हैं।”
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
पुलिस ने महिला को तत्काल स्थानीय वृद्धाश्रम पहुंचाया, जहां उन्हें प्राथमिक चिकित्सा दी गई और भोजन उपलब्ध कराया गया। साथ ही प्रशासन ने बुजुर्ग महिला के परिजनों की पहचान करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
सीओ सिटी अयोध्या का कहना है कि, “यह अत्यंत संवेदनशील मामला है। बुजुर्ग माता को इस हालत में छोड़ना एक तरह से त्याग देना है, जो भारतीय संस्कृति के मूल भावों के विरुद्ध है। यदि जांच में यह सामने आता है कि जानबूझकर उन्हें छोड़ा गया है, तो संबंधित लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।”
बुजुर्गों के प्रति बढ़ रही संवेदनहीनता
पिछले कुछ वर्षों में देशभर में ऐसे मामलों की संख्या तेजी से बढ़ी है, जहां बुजुर्गों को उनके ही बच्चों या परिजनों द्वारा घर से निकाल दिया गया, या वृद्धाश्रमों में छोड़ दिया गया। नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) के आंकड़ों के अनुसार, बुजुर्गों के साथ अपराध और उपेक्षा के मामलों में 20% तक बढ़ोतरी देखी गई है।
समाजशास्त्री प्रो. अजय मिश्रा बताते हैं, “हम भले ही डिजिटल और आर्थिक रूप से तरक्की कर रहे हों, लेकिन भावनात्मक रूप से कमजोर हो रहे हैं। बुजुर्गों को अब संपत्ति या जिम्मेदारी के नजरिए से देखा जा रहा है, न कि जीवन भर के त्याग और प्रेम के रूप में।”
समाज से अपील
यह घटना हमें एक बड़ा सवाल देती है – क्या हम सच में उस संस्कृति को जी रहे हैं, जहां ‘मातृदेवो भव’ और ‘पितृदेवो भव’ जैसे आदर्श रहे हैं? अगर हम अपने ही माता-पिता को सड़क पर बेसहारा छोड़ दें, तो यह केवल उनका नहीं, बल्कि हमारी सामाजिक आत्मा का अपमान है।
सरकार, सामाजिक संगठनों और आम नागरिकों को मिलकर ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही, समाज में बुजुर्गों के प्रति संवेदना और सम्मान की भावना को बढ़ावा देने के लिए जन-जागरूकता अभियानों की जरूरत है।
अयोध्या की यह घटना किसी एक महिला की पीड़ा नहीं है, यह हमारे समाज की सामूहिक संवेदनहीनता का दर्पण है। जरूरी है कि हम सिर्फ ‘रीएक्ट’ न करें, बल्कि ऐसे हालात बदलने के लिए सक्रिय कदम उठाएं।