
‘तिरंगे को सैल्यूट कर समझूंगा बेटे को सैल्यूट किया’: ऑपरेशन सिंदूर में शहीद सुनील के पिता का संकल्प, बोले- छोटे पोते को भी फौज में भेजूंगा
नई दिल्ली/पलवल। “जब भी तिरंगे को सलामी दूंगा, समझूंगा कि मैंने अपने बेटे को सलामी दी है।” यह शब्द हैं पलवल जिले के रहने वाले शहीद सूबेदार मेजर सुनील कुमार के पिता रामनिवास के, जिनका बेटा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में देश की रक्षा करते हुए शहीद हो गया। बेटे की शहादत पर गर्व करते हुए उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो अपने छोटे पोते को भी फौज में भेजूंगा।
ऑपरेशन सिंदूर में दिखाया अदम्य साहस
भारतीय सेना ने हाल ही में ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत सीमा पार आतंकियों के ठिकानों को ध्वस्त किया। इस कार्रवाई में सूबेदार मेजर सुनील कुमार अग्रिम मोर्चे पर डटे रहे और दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब दिया। इस दौरान वे गंभीर रूप से घायल हो गए और अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने अंतिम सांस ली। उनकी शहादत ने पूरे गांव और जिले को गर्व और गम से भर दिया।
पिता बोले – बेटा हमेशा के लिए अमर हो गया
गमगीन लेकिन दृढ़ आवाज में पिता रामनिवास ने कहा, “बेटा देश के लिए कुर्बान हुआ है। हमारे परिवार का खून अब भारत माता की मिट्टी में मिल गया है। यह दुख जरूर है कि अब वह हमारे बीच नहीं है, लेकिन यह गर्व भी है कि उसने अपनी आखिरी सांस तक देश की सेवा की।” उन्होंने जोड़ा, “तिरंगे के सामने सिर झुकाते समय मैं यह मानूंगा कि मैंने अपने बेटे को नमन किया है।”
बचपन से ही था देशसेवा का जुनून
परिवार के अनुसार, सुनील कुमार बचपन से ही अनुशासित और बहादुर थे। स्कूल के दिनों में ही उन्होंने एनसीसी ज्वाइन की थी और सेना में जाने का सपना देखा था। 20 साल पहले उन्होंने भारतीय सेना में भर्ती होकर कई ऑपरेशनों में हिस्सा लिया। उनकी बहादुरी और नेतृत्व क्षमता के चलते उन्हें कई बार सम्मानित भी किया गया।
छोटे बेटे को भी देंगे देश की सेवा का मौका
रामनिवास का कहना है कि शहादत से उनका हौसला टूटा नहीं है, बल्कि और मजबूत हुआ है। उन्होंने कहा, “बड़े बेटे ने देश के लिए प्राण न्यौछावर कर दिए, अब अगर मौका मिला तो छोटे बेटे को भी सेना में भेजूंगा। और अगर वह भी देश के लिए शहीद हो गया तो यह मेरे लिए गर्व की बात होगी।”
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
सूबेदार मेजर सुनील कुमार का पार्थिव शरीर जब पैतृक गांव पहुंचा तो लोगों की आंखों में आंसू और दिल में गर्व का जज़्बा था। ‘भारत माता की जय’ और ‘सुनील अमर रहें’ के नारों से आसमान गूंज उठा। सेना के जवानों ने पूरे सम्मान के साथ तिरंगे में लिपटे पार्थिव शरीर को अंतिम सलामी दी।
परिवार और गांव का गर्व
गांव के बुजुर्गों का कहना है कि सुनील कुमार ने न केवल परिवार बल्कि पूरे इलाके का नाम रोशन किया। उनकी शहादत आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करेगी। स्थानीय प्रशासन ने परिवार को हर संभव सहायता का भरोसा दिलाया है।
राष्ट्र के लिए बलिदान की मिसाल
‘ऑपरेशन सिंदूर’ में शहीद हुए सैनिकों की गाथा इस बात का प्रमाण है कि भारतीय सेना के जवान हर परिस्थिति में देश की रक्षा के लिए तत्पर रहते हैं। सूबेदार मेजर सुनील कुमार की शहादत आने वाले समय में देशभक्ति और साहस का प्रतीक बनकर याद की जाएगी।