
IED BLAST: सुरक्षाबलों को खुली चुनौती,सारंडा जंगल में नक्सलियों का IED ब्लास्ट, CRPF के ASI शहीद — संयुक्त अभियान में बौखलाए माओवादी।
चाईबासा। झारखंड और ओडिशा सीमा पर स्थित घने सारंडा जंगलों में नक्सलियों ने एक बार फिर सुरक्षाबलों को निशाना बनाते हुए बड़ा हमला किया है। शनिवार को पश्चिमी सिंहभूम जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए IED विस्फोट में CRPF 134 बटालियन के सहायक अवर निरीक्षक (ASI) सत्यवान कुमार सिंह शहीद हो गए। यह हमला तब हुआ जब सुरक्षा बल नक्सलियों के विरुद्ध सघन सर्च ऑपरेशन चला रहे थे।
नक्सलियों की घात – पहले से बिछाया गया था IED बम
प्राप्त जानकारी के अनुसार, झारखंड और ओडिशा की सीमा पर राउरकेला के बोंलाग थाना क्षेत्र के जंगलों में नक्सलियों ने सुरक्षा बलों को निशाना बनाने के लिए पहले से ही IED बम बिछा रखा था। जैसे ही CRPF का संयुक्त बल इलाके में गश्त करते हुए पहुंचा, धमाका हो गया। विस्फोट की चपेट में आकर ASI सत्यवान कुमार गंभीर रूप से घायल हो गए। उन्हें राउरकेला अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया।
इलाके की घेराबंदी, तलाशी अभियान तेज
घटना के तुरंत बाद सुरक्षाबलों ने पूरे क्षेत्र की घेराबंदी कर दी है और इलाके में व्यापक तलाशी अभियान शुरू कर दिया गया है। पश्चिमी सिंहभूम के एसपी राकेश रंजन ने बताया कि इस हमले की साजिश के पीछे माओवादी संगठन की रणनीति को लेकर जांच की जा रही है। क्षेत्र में गश्त बढ़ा दी गई है और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से अलर्ट मोड पर हैं।
टॉप माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई से बौखलाए नक्सली
सुरक्षा एजेंसियों की माने तो सारंडा और कोल्हान क्षेत्र में सक्रिय टॉप माओवादी नेता जैसे मिसिर बेसरा, अनमोल, असीम मंडल, जयकांत, पिंटु लोहरा आदि के खिलाफ लगातार अभियान चलाए जा रहे हैं। इन अभियानों में माओवादियों के हथियारों के जखीरे और भारी मात्रा में विस्फोटकों को बरामद किया गया है, जिससे उनकी कमर टूट चुकी है। इसी बौखलाहट में नक्सलियों ने अब सीधे हमले शुरू कर दिए हैं।
किसने संभाली है मोर्चा
इस संयुक्त अभियान में चाईबासा पुलिस, सीआरपीएफ की 26, 60, 134, 174, 193 और 197 बटालियन, कोबरा की 203 और 209 यूनिट, और झारखंड जगुआर की टीमें शामिल हैं। एक विशेष अभियान दल का गठन कर माओवादियों के खिलाफ दिन-रात अभियान चलाया जा रहा है।
शहीद को श्रद्धांजलि
ASI सत्यवान कुमार सिंह की शहादत को राष्ट्र कभी नहीं भूलेगा। उन्होंने देश की सुरक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी। उनकी वीरता आने वाले अभियानों के लिए प्रेरणा बनेगी।
यह घटना न सिर्फ एक बड़ा आतंकी हमला है, बल्कि यह दर्शाती है कि देश के भीतर अब भी कई ऐसे दुर्गम क्षेत्र हैं जहाँ माओवादी संगठन सुरक्षा बलों को चुनौती देने की ताक में बैठे हैं। सरकार और सुरक्षाबलों के लिए यह वक्त है एकजुट होकर इस चुनौती का जवाब देने का।