देश आज अपना 76वां संविधान दिवस मना रहा है। यह दिन भारत की लोकतांत्रिक यात्रा, संवैधानिक मूल्यों और नागरिक अधिकारों की मजबूती का प्रतीक माना जाता है। इस विशेष अवसर पर संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक भव्य और ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें देशभर की निगाहें टिकी रहीं। कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय मंत्रिमंडल के सदस्य, सांसद और अनेक विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।

इस कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण रहा भारतीय संविधान का नौ भाषाओं में अनुवादित संस्करण जारी होना। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बहुभाषीय संस्करण का विमोचन किया। यह कदम भारत की भाषाई विविधता और समावेशी लोकतंत्र की पहचान को और मजबूत बनाता है। संविधान को विभिन्न भाषाओं में उपलब्ध कराना उस व्यापक दृष्टिकोण की ओर इशारा करता है, जिसमें प्रत्येक भारतीय नागरिक को संविधान की जानकारी उसकी मातृभाषा में उपलब्ध कराने का प्रयास शामिल है।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रीय गीत और संविधान दिवस की महत्ता पर आधारित डॉक्यूमेंट्री से हुई। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के बहुभाषीय संस्करण का अनावरण किया। यह अनुवाद देश की नौ प्रमुख भारतीय भाषाओं में किया गया है, जिनमें हिन्दी, संस्कृत, बंगाली, तमिल, तेलुगु, उर्दू, गुजराती, मराठी और कन्नड़ शामिल हैं।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान भारत की आत्मा है और इसमें निहित मूल्य आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं, जितने 1949 में थे, जब संविधान को अंगीकृत किया गया था। उन्होंने कहा कि बहुभाषीय अनुवाद से नागरिकों को संविधान को समझने में और आसानी होगी तथा इससे भारत के लोकतांत्रिक चरित्र को नई मजबूती मिलेगी।
संविधान दिवस का इतिहास
संविधान दिवस, जिसे संविधान अंगीकरण दिवस भी कहा जाता है, हर साल 26 नवंबर को मनाया जाता है। इसी दिन वर्ष 1949 में भारत की संविधान सभा ने संविधान को औपचारिक रूप से अपनाया था। हालांकि यह 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ, जिसे हम आज गणतंत्र दिवस के रूप में जानते हैं।
2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को आधिकारिक रूप से संविधान दिवस के रूप में घोषित किया, ताकि नागरिकों में संविधान के प्रति जागरूकता और संवैधानिक मूल्यों के प्रति सम्मान बढ़ाया जा सके।
समारोह में प्रमुख नेताओं के संदेश
कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारतीय संविधान एक जीवंत दस्तावेज है, जो हर युग के अनुसार खुद को ढालने में सक्षम है। उन्होंने स्वतंत्रता, समानता और न्याय जैसे मूल्यों को मजबूत बनाए रखने की अपील की।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान केवल शासन की रूपरेखा नहीं, बल्कि भारत की संस्कृति, विविधता और उदारता का प्रतीक है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों का प्रयोग करते समय नागरिकों को अपनी जिम्मेदारियों को भी याद रखना चाहिए।
बहुभाषीय संविधान की जरूरत क्यों?
भारत विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र ही नहीं, बल्कि भाषाओं के मामले में भी सबसे समृद्ध देशों में शामिल है। यहां 22 आधिकारिक भाषाएं और हजारों बोलियाँ बोली जाती हैं।
ऐसे में संविधान को अपनी मातृभाषा में समझना हर नागरिक का अधिकार है। बहुभाषीय अनुवाद की पहल—
नागरिकों में संवैधानिक जागरूकता बढ़ाएगी
युवा पीढ़ी को संविधान से जोड़ने में अहम भूमिका निभाएगी
नीति-निर्माण, न्यायिक प्रक्रियाओं और शोध को नई गति देगी
भाषाई विविधता और सांस्कृतिक सम्मान को मजबूत करेगी
यह कदम संविधान को जनता के और करीब ले जाने वाला साबित होगा।
सेंट्रल हॉल का ऐतिहासिक महत्व
सेंट्रल हॉल भारतीय लोकतंत्र का प्रतीक स्थल माना जाता है। यहीं पर संविधान सभा की बैठकें हुईं और यहीं संविधान की रूपरेखा तैयार की गई। आज उसी स्थान पर संविधान के बहुभाषीय संस्करण का जारी होना एक ऐतिहासिक क्षण माना जा रहा है।
संविधान दिवस पर देशभर में कार्यक्रम
संविधान दिवस के अवसर पर स्कूलों, कॉलेजों, सरकारी कार्यालयों और विभिन्न संस्थानों में भी विशेष कार्यक्रम आयोजित किए गए।
छात्रों ने संविधान की प्रस्तावना का सामूहिक पठन किया
जागरूकता रैलियां आयोजित की गईं
विभिन्न विभागों में संविधान पर आधारित क्विज़ व संगोष्ठियों का आयोजन हुआ
न्यायालयों में संवैधानिक मूल्यों पर विशेष व्याख्यान दिए गए
संविधान का महत्व
भारतीय संविधान नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करता है और राज्य के कर्तव्यों व नीतियों की स्पष्ट परिभाषा देता है। यह स्वतंत्रता, समानता, धर्मनिरपेक्षता और न्याय के सिद्धांतों पर आधारित है।
आज 76वें संविधान दिवस पर देश ने एक बार फिर समावेशी लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताई है। बहुभाषीय संविधान का जारी होना न सिर्फ एक प्रशासनिक कदम है, बल्कि ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के मूल विचार को और सशक्त बनाता है।
