भारत ने किया UAV ड्रोन से मिसाइल दागने का सफल परीक्षण: सैन्य तकनीक में बड़ी छलांग ।

भारत ने किया UAV ड्रोन से मिसाइल दागने का सफल परीक्षण: सैन्य तकनीक में बड़ी छलांग ।

नई दिल्ली | डिफेंस डेस्क
भारत ने रक्षा क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक सफलता हासिल करते हुए स्वदेशी रूप से विकसित यूएवी (Unmanned Aerial Vehicle) ड्रोन से हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल का सफल परीक्षण किया है। यह परीक्षण देश की सैन्य ताकत और तकनीकी आत्मनिर्भरता को एक नए मुकाम पर पहुंचाने वाला माना जा रहा है। इस मिशन को रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की निगरानी में अंजाम दिया गया।

DRDO के अधिकारियों के अनुसार, यह पहला मौका है जब भारत में विकसित यूएवी प्लेटफॉर्म से मिसाइल लॉन्च कर सटीक निशाना साधा गया है। यह परीक्षण ओडिशा तट के पास एक निर्धारित परीक्षण क्षेत्र में किया गया। परीक्षण के दौरान यूएवी ने 25,000 फीट की ऊंचाई से लक्ष्य को ट्रैक किया और कमांड के तहत मिसाइल को दागा, जो सटीकता के साथ अपने लक्ष्य पर जाकर लगी।

क्या है यह UAV ड्रोन?

DRDO द्वारा विकसित यह UAV (जिसे ‘तपस्वी’ नाम दिया गया है) एक मध्यम ऊंचाई पर उड़ने वाला लॉन्ग एंड्यूरेंस प्लेटफॉर्म है, जिसे निगरानी, खुफिया जानकारी जुटाने और हमले जैसी कई भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है। यह ड्रोन सैटेलाइट लिंक की मदद से दूरस्थ नियंत्रण में कार्य कर सकता है और दिन-रात काम करने में सक्षम है।

इस UAV की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह सिर्फ निगरानी नहीं करता, बल्कि हथियारों से लैस है। इस परीक्षण के जरिए यह साबित हो गया है कि यह UAV भारतीय सशस्त्र बलों के लिए एक बहुउपयोगी युद्ध उपकरण बन चुका है।

परीक्षण में क्या हुआ खास?

इस परीक्षण में DRDO ने एक हल्के वजन की हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल को ड्रोन पर माउंट किया था। मिशन के दौरान टारगेट पहले से फिक्स किया गया था और यूएवी को कमांड कंट्रोल सेंटर से निर्देश भेजे गए। मिसाइल ने लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक नकली दुश्मन ठिकाने को निशाना बनाया और पूरी तरह से ध्वस्त कर दिया।

परीक्षण के सफल होने की पुष्टि DRDO के चेयरमैन डॉ. समीर कामत ने करते हुए कहा, “यह परीक्षण न केवल तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी सफलता है, बल्कि यह भारतीय रक्षा प्रणाली के आत्मनिर्भर बनने की दिशा में भी एक अहम कदम है।”

यूएवी से मिसाइल लॉन्चिंग: क्यों है अहम?

1. कम जोखिम: बिना पायलट वाले ड्रोन के जरिए हमले से सैनिकों की जान जोखिम में नहीं पड़ती।

2. सटीकता: AI और सेंसर आधारित टारगेटिंग से सटीक हमले संभव होते हैं।

3. गोपनीयता: ड्रोन ऊंचाई पर उड़ते हुए दुश्मन की निगरानी करते हुए हमला कर सकता है, जिससे दुश्मन को पता भी नहीं चलता।

4. तेज रिएक्शन टाइम: यूएवी तुरंत प्रतिक्रिया देने में सक्षम होते हैं, जिससे सीमाओं पर त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।

इस टेक्नोलॉजी का सामरिक महत्व

यूएवी से मिसाइल दागने की यह तकनीक अमेरिका, इजरायल और चीन जैसे देशों के पास पहले से मौजूद है। अब भारत भी इस श्रेणी में शामिल हो गया है। यह तकनीक भारतीय सेनाओं को सीमाओं पर निगरानी के साथ-साथ जरूरत पड़ने पर हमला करने की दोहरी ताकत प्रदान करती है।

विशेषज्ञों के मुताबिक, यह ड्रोन टेररिज्म, घुसपैठ, सीमाई संघर्ष और रणनीतिक स्ट्राइक में बेहद कारगर सिद्ध हो सकता है। यह प्रणाली भारत की जवाबी क्षमता को तेज और अधिक प्रभावी बनाएगी ।

‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ को बढ़ावा

इस परीक्षण की एक और खास बात यह है कि यह मिशन पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक पर आधारित था। ड्रोन से लेकर मिसाइल, सेंसर और सॉफ्टवेयर तक – सब कुछ भारत में ही बनाया गया। इससे न केवल देश की सुरक्षा व्यवस्था मजबूत होगी, बल्कि विदेशी हथियारों पर निर्भरता भी घटेगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को यह एक बड़ा समर्थन माना जा रहा है।

भविष्य की योजना

DRDO और भारतीय वायुसेना अब इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करने की योजना बना रहे हैं। परीक्षण के बाद वायुसेना की एक टीम ने इसकी कार्यक्षमता का परीक्षण किया और फीडबैक दिया। अब आने वाले महीनों में इसका उत्पादन शुरू किया जा सकता है।

रक्षा मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि इस सिस्टम को अगले दो वर्षों में सीमाओं पर तैनात किया जा सकता है। इसके अलावा नौसेना और थलसेना को भी इसका अनुकूल वर्जन उपलब्ध कराया जाएगा।

विशेषज्ञों की राय

डिफेंस स्ट्रैटेजी एक्सपर्ट ब्रिगेडियर (से.नि.) अजय मेहरा के अनुसार, “यूएवी से मिसाइल लॉन्च करना भविष्य का युद्ध है। भारत ने इस दिशा में जो कदम उठाया है, वह हमारे रक्षा दृष्टिकोण को पूरी तरह बदल सकता है। यह युद्ध के नियमों को फिर से परिभाषित करेगा।”

UAV ड्रोन से मिसाइल दागने की इस सफलता ने भारत को आधुनिक सैन्य तकनीक में अग्रणी देशों की कतार में खड़ा कर दिया है। यह कदम न केवल सुरक्षा दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भारत की तकनीकी क्षमता और रक्षा आत्मनिर्भरता का प्रमाण भी है। आने वाले समय में ऐसी तकनीकें भारत की सीमाओं की रक्षा के साथ-साथ आतंकवाद के खिलाफ भी प्रभावी हथियार बनेंगी।

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