देश की सबसे बड़ी एयरलाइन इंडिगो के फ्लाइट संकट ने अब न्यायिक मोड़ ले लिया है। बीते कई दिनों से लगातार उड़ानें रद्द होने और घंटों की देरी से यात्रियों की परेशानियाँ चरम पर पहुँच चुकी हैं। विभिन्न शहरों में हजारों लोग एयरपोर्ट पर फंसे हुए हैं, वहीं एयरलाइन की ओर से समस्या की जड़ें दूर करने की कोशिशें जारी हैं।
इसी बीच यह मामला अब सीधे सुप्रीम कोर्ट पहुँच गया है। सुप्रीम कोर्ट के वकील नरेंद्र मिश्रा ने मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिखकर स्वतः संज्ञान लेने और तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है।
संकट की पृष्ठभूमि: 1000 से अधिक फ्लाइट रद्द, ऑपरेशनल सिस्टम चरमरा गया
इंडिगो एयरलाइन पिछले एक सप्ताह से भारी परिचालन संकट से गुजर रही है। रिपोर्टों के अनुसार—
1000 से अधिक उड़ानें रद्द
कई रूट पर लगातार देरी, 4 से 10 घंटे तक वेट
देश के बड़े हवाईअड्डों – दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता – पर सबसे ज्यादा असर
यात्रियों को वैकल्पिक उड़ानों, रिफंड और होटल बुकिंग को लेकर परेशानी
एयरलाइन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि यह बड़े पैमाने पर तकनीकी और स्टाफिंग से जुड़े ऑपरेशनल इश्यू का परिणाम है। हालांकि, पायलट यूनियनों ने भी इंडिगो पर फैटीग रिस्क मैनेजमेंट का पालन ठीक से न करने के आरोप लगाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट में शिकायत: CJI से ‘तुरंत कार्रवाई’ की मांग
वरिष्ठ अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा ने CJI को भेजे पत्र में कहा है—
इंडिगो के रद्द हुए हजारों फ्लाइट से आम जनता प्रभावित
मेडिकल, शिक्षा, नौकरी, विदेश यात्रा, और आपातकालीन जरूरतों वाले लोग मुश्किल में
एयरलाइन ने यात्रियों को समय पर सूचना देने और वैकल्पिक व्यवस्था देने में विफलता दिखाई
DGCA और मंत्रालय को तत्काल निगरानी और जवाबदेही तय करनी होगी
उन्होंने यह भी कहा कि यह स्थिति जनहित के तहत सुप्रीम कोर्ट के स्वतः संज्ञान का विषय है, क्योंकि लाखों नागरिकों का समय, पैसा और सुरक्षा दांव पर है।
क्या सुप्रीम कोर्ट ले सकता है स्वतः संज्ञान?
हालांकि सुप्रीम कोर्ट का स्वतः संज्ञान लेना अत्यंत संवेदनशील प्रक्रिया है, लेकिन—
अगर मामला जनहित से जुड़ा हो
लाखों नागरिक प्रभावित हों
कोई बड़ी संस्था नियमों का उल्लंघन कर रही हो
और प्रशासन स्थिति संभालने में असफल दिखे
तो कोर्ट खुद सुनवाई शुरू कर सकता है। वकील मिश्रा का दावा है कि “इंडिगो का संकट सिर्फ एयरलाइन का निजी मामला नहीं है, बल्कि यह सार्वजनिक सुरक्षा और यात्री अधिकारों का विषय बन चुका है।”
यात्रियों के हालात: एयरपोर्ट पर रातभर इंतजार, टिकटों का खर्च दोगुना
कई यात्रियों ने सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपनी परेशानी बयां की—
यात्रियों को फ्लाइट रद्द होने की सूचना उड़ान से कुछ घंटे पहले मिली
होटल और कैब पर अतिरिक्त खर्च बढ़ा
अन्य एयरलाइंस के टिकटों के दाम 2 से 3 गुना तक बढ़ गए
लोग कई घंटों तक कतारों में खड़े रहे
NRIs और अंतरराष्ट्रीय यात्रियों की कनेक्टिंग फ्लाइट छूट गई
देशभर में यात्रियों का कहना है कि “इंडिगो ने फ्लाइट ऑपरेशन को सही ढंग से मैनेज करने में गंभीर चूक की है।”
DGCA की भूमिका और कार्रवाई
नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने—
इंडिगो से विस्तृत रिपोर्ट माँगी
रद्द उड़ानों, स्टाफिंग, मैनेजमेंट और तकनीकी दिक्कतों पर जवाब तलब किया
यात्रियों की सुरक्षा और सुविधा को प्राथमिकता देने का निर्देश दिया
इसके साथ ही DGCA यह भी जांच कर रहा है कि क्या इंडिगो ने ड्यूटी और रेस्ट समय के नियमों का उल्लंघन किया है।
संकट के पीछे संभावित कारण
1. क्रू की कमी और रोस्टरिंग समस्या
2. टेक्निकल इश्यू और अचानक मेंटेनेंस
3. पायलटों की थकान और ओवरवर्क
4. भीड़भाड़ वाले रूट और खराब मौसम
5. अप्रत्याशित परिचालन दबाव
इंडिगो ने आधिकारिक बयान जारी कर कहा है कि जल्द ही स्थिति सामान्य हो जाएगी, और यात्रियों को वैकल्पिक विकल्प दिए जा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट क्या निर्देश दे सकता है? (संभावित)
अगर कोर्ट इस मुद्दे पर सुनवाई शुरू करता है, तो संभव है कि—
DGCA को त्वरित जांच रिपोर्ट दाखिल करने को कहा जाए
यात्रियों को मुआवजा देने के निर्देश आएं
इंडिगो पर ऑपरेशनल सुधार लागू करने का आदेश दिया जाए
टिकट रिफंड प्रक्रिया को आसान और तेज बनाने को कहा जाए
एयरलाइन सेक्टर की नीतियों की समीक्षा की जाए
इंडिगो फ्लाइट संकट अब सिर्फ तकनीकी या प्रशासनिक समस्या नहीं रह गया, बल्कि यह राष्ट्रव्यापी यात्री अधिकारों का बड़ा मुद्दा बन चुका है। सुप्रीम कोर्ट में उठी आवाज से मामले की गंभीरता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
देशभर की नजरें अब इस बात पर टिकी हैं कि क्या CJI इस पर स्वतः संज्ञान लेंगे और क्या इससे यात्रियों को जल्द राहत मिलेगी।
